बहराइच: सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा की ओर से बसाई गई ब्रह्माइच नगरी जिसे कालांतर में अपभ्रंश होकर बहराइच के नाम से जाना गया. ऐसे में बताया जाता है कि बहराइच में शिव मंदिरों और शिवालयों की संख्या अन्य शहरों की अपेक्षा अधिक है. यहां अनेकों पांडव कालीन शिव मंदिर स्थापित है. यहां चाहे कजरी तीज हो, महाशिवरात्रि हो, सावन का सोमवार हो या भगवान शिव का कोई पर्व हो, शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ती है. वहीं जिले में श्री सिद्धनाथ शिव मंदिर नाम से एक ऐसा मंदिर है, जहां की मान्यता है कि यहां भगवान श्री कृष्ण आए थे और रात्रि विश्राम भी किया था.
बता दें, जिले में कई ऐसे शिव मंदिर और शिवाले हैं, जिनकी स्थापना महाभारत काल और अन्य पौराणिक काल में होने की बात बताई जा रही है. चाहे फिर वो श्री सिद्धनाथ शिव मंदिर हो, मंगली नाथन शिव मंदिर या जंगली नाथ शिव मंदिर हो, इनका ऐतिहासिक और पौराणिक दृश्य से विशेष महत्व है. इन मंदिरों को पांडव कालीन मंदिर के रूप में जाना जाता है.
इसे भी पढ़ें: जिस गाड़ी में सपा का झंडा, समझो उसमें बैठा गुंडा : नंद गोपाल नंदी
भगवान श्री कृष्ण ने किया था मंदिर में रात्रि विश्राम
महामंडलेश्वर और श्री सिद्धनाथ पीठ के महंत रवि गिरि जी महाराज ने बताया कि श्री सिद्धनाथ शिव मंदिर का पौराणिक और वैदिक महत्व है. उन्होंने बताया कि श्री सिद्धनाथ शिव मंदिर में भगवान श्री कृष्ण अपने समय में आए और एक रात बिताई. उन्होंने बताया कि महाशिवरात्रि के दिन का विशेष महत्व है. आज के दिन भगवान शिव पर बेलपत्र, धतूरा, पानी, दूध चढ़ाने से मनोकामनाएं पूरी होती है. उन्होंने बताया कि आज भगवान का श्रृंगार विभिन्न रूपों में किया जाएगा और भगवान शिव की बरात भी निकाली जाएगी.