बहराइचः तराई जनपद में चल रहे शीतलहर के भयंकर प्रकोप का बुरा प्रभाव केवल मानव जीवन पर ही नहीं, बल्कि फसलों पर भी पड़ रहा है. गेहूं को छोड़कर दलहनी और तिलहनी फसलों पर शीतलहर का व्यापक प्रकोप है. शीतलहर के प्रकोप के चलते तिलहनी और दलहनी फसलों पर बुरा असर पड़ रहा है. उद्यान सलाहकार आरके वर्मा ने बताया कि 16 डिग्री सेंटीग्रेड से कम तापमान होने पर पत्तियों में सर्दी के कारण झुलसा जैसा रोग लग जाता है. पत्ती और तनों में बर्फ जमने के कारण वह फट जाते हैं और पौधे मर जाते हैं.
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फसलों का न्यूनतम तापमान 16 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक नहीं होना चाहिए. ऐसी स्थिति में पौधों में क्लोरोफिल की मात्रा समाप्त हो जाती है. उनकी ग्रोथ प्रभावित होती है. उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि यदि संभव हो तो खेत के आसपास हल्का धुआं करें, ताकि फसलों को कुछ गर्माहट मिल सके. इसके अलावा मैग्निशियम सल्फेट तथा अन्य रसायन का छिड़काव करके फसलों को कोहरे के कहर से बचाया जा सकता है.