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बहराइच: सोशल डिस्टेंसिंग के साथ मनी परशुराम जयंती - भगवान परशुराम जयंती

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में विभिन्न संगठनों द्वारा अपने अपने आवास पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन बरतते हुए भगवान परशुराम की जयंती मनाई गई.

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बहराइच में मनाई गई भगवान परशुराम की जयंती
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Published : Apr 25, 2020, 11:06 PM IST

बहराइच: जिले में भगवान परशुराम की जयंती विभिन्न संगठनों द्वारा मनाई गई. संगठन के सदस्यों ने अपने अपने आवास पर भगवान परशुराम के चित्र पर माल्यार्पण कर पूरे परिवार के साथ पूजा पाठ किया. इस दौरान लॉकडाउन के नियमों और सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा ध्यान रखा गया.

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बहराइच में मनाई गई भगवान परशुराम की जयंती

बहराइच विकास मंच के अध्यक्ष हर्षित त्रिपाठी ने आज अपने आवास पर भगवान परशुराम के चित्र पर माल्यार्पण कर उनको याद किया. इसके अलावा राष्ट्रीय ब्राह्मण महासंघ के जिला अध्यक्ष डॉ. विवेक दीक्षित ने भी अपने आवास पर भगवान परशुराम को याद कर परिवार सहित जयंती मनाई. इस मौके पर बहराइच विकास मंच के अध्यक्ष हर्षित त्रिपाठी ने कहा कि भगवान परशुराम आदित्य शिव के अनंत भक्त थे. उन्हें भगवान शिव से एक फरसा कुल्हाड़ी रूपी हथियार वरदान के रूप में प्राप्त हुआ था. जिससे उनका नाम परशुराम पड़ा. भगवान शिव ने उन्हें युद्ध कौशल भी सिखाया था. वे ऋषि जमदग्नि और रेणुका देवी के पुत्र थे. वह सदैव अपने पिता ऋषि जमदग्नि की आज्ञा मानते थे.


वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता और मंच के संरक्षक पंडित अनिल त्रिपाठी ने कहा कि भगवान परशुराम का पौराणिक कथाओं और धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान है. भगवान परशुराम को विष्णु का छठा अवतार माना जाता है.

बहराइच: जिले में भगवान परशुराम की जयंती विभिन्न संगठनों द्वारा मनाई गई. संगठन के सदस्यों ने अपने अपने आवास पर भगवान परशुराम के चित्र पर माल्यार्पण कर पूरे परिवार के साथ पूजा पाठ किया. इस दौरान लॉकडाउन के नियमों और सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा ध्यान रखा गया.

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बहराइच में मनाई गई भगवान परशुराम की जयंती

बहराइच विकास मंच के अध्यक्ष हर्षित त्रिपाठी ने आज अपने आवास पर भगवान परशुराम के चित्र पर माल्यार्पण कर उनको याद किया. इसके अलावा राष्ट्रीय ब्राह्मण महासंघ के जिला अध्यक्ष डॉ. विवेक दीक्षित ने भी अपने आवास पर भगवान परशुराम को याद कर परिवार सहित जयंती मनाई. इस मौके पर बहराइच विकास मंच के अध्यक्ष हर्षित त्रिपाठी ने कहा कि भगवान परशुराम आदित्य शिव के अनंत भक्त थे. उन्हें भगवान शिव से एक फरसा कुल्हाड़ी रूपी हथियार वरदान के रूप में प्राप्त हुआ था. जिससे उनका नाम परशुराम पड़ा. भगवान शिव ने उन्हें युद्ध कौशल भी सिखाया था. वे ऋषि जमदग्नि और रेणुका देवी के पुत्र थे. वह सदैव अपने पिता ऋषि जमदग्नि की आज्ञा मानते थे.


वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता और मंच के संरक्षक पंडित अनिल त्रिपाठी ने कहा कि भगवान परशुराम का पौराणिक कथाओं और धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान है. भगवान परशुराम को विष्णु का छठा अवतार माना जाता है.

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