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संकट मोचन हनुमान मंदिर के बड़े महंत का देहांत, भक्तों में शोक की लहर - संकट मोचन मंदिर बहराइच

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में स्थित संकट मोचन मंदिर के बड़े महंत सोमवार को ब्रह्मलीन हो गए. इसकी सूचना मिलते ही भक्तों में शोक की लहर दौड़ गई. वहीं उनके सेवादारों ने रुपईडीहा के संकट मोचन हनुमान मंदिर के प्रांगण में विधि विधान से उनकी अंतिम क्रिया की.

मंदिर के बड़े महंत का देहांत
मंदिर के बड़े महंत का देहांत
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Published : Jan 12, 2021, 10:58 AM IST

बहराइच: जिले के रूपईडीहा इंडो-नेपाल बॉर्डर पर स्थित संकट मोचन हनुमान मंदिर के बड़े महंत राम लखन दास जी महाराज का सोमवार को देहांत हो गया. उनके ब्रह्मलीन होने की खबर मिलते ही भक्तों में शोक की लहर दौड़ गई. मंदिर पहुंचे भक्तों ने उनके अंतिम दर्शन किए. सेवादारों ने रुपईडीहा के संकट मोचन हनुमान मंदिर के प्रांगण में विधि विधान से उनकी अंतिम क्रिया की.

निस्वार्थ भाव की सेवा से अभिभूत तत्कालीन महंत श्रीश्री 108 राम दयाल दास ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था. इसके बाद वर्ष 1994 में महंत राम दयाल दास के ब्रह्मलीन होने पर उन्होंने संकट मोचन हनुमान मंदिर की गद्दी संभाली थी. इसके बाद उन्होंने मंदिर परिसर का सुंदरीकरण कराने के साथ मंदिर परिसर की खाली भूमि पर सेवादारों को बसाया था.

सोमवार सुबह महंत राम लखन दास ने 55 वर्ष की उम्र में अपनी देह त्याग दी. वह काफी दिनों से बीमार चल रहे थे. उनके ब्रह्मलीन होने की जानकारी होते ही आसपास के क्षेत्रीय भक्तों में शोक की लहर दौड़ गई. जानकारी के बाद कई राजनीतिक पार्टियों के नेता व प्रशासनिक अधिकारी भी अंतिम दर्शन के लिए मंदिर पहुंचे. उनके करीबियों ने बताया कि महंत के पार्थिव शरीर को रुपईडीहा के संकट मोचन हनुमान मंदिर में रखा जाएगा तथा यहीं पर ही उनकी अंतिम क्रिया की जाएगी.

बहराइच: जिले के रूपईडीहा इंडो-नेपाल बॉर्डर पर स्थित संकट मोचन हनुमान मंदिर के बड़े महंत राम लखन दास जी महाराज का सोमवार को देहांत हो गया. उनके ब्रह्मलीन होने की खबर मिलते ही भक्तों में शोक की लहर दौड़ गई. मंदिर पहुंचे भक्तों ने उनके अंतिम दर्शन किए. सेवादारों ने रुपईडीहा के संकट मोचन हनुमान मंदिर के प्रांगण में विधि विधान से उनकी अंतिम क्रिया की.

निस्वार्थ भाव की सेवा से अभिभूत तत्कालीन महंत श्रीश्री 108 राम दयाल दास ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था. इसके बाद वर्ष 1994 में महंत राम दयाल दास के ब्रह्मलीन होने पर उन्होंने संकट मोचन हनुमान मंदिर की गद्दी संभाली थी. इसके बाद उन्होंने मंदिर परिसर का सुंदरीकरण कराने के साथ मंदिर परिसर की खाली भूमि पर सेवादारों को बसाया था.

सोमवार सुबह महंत राम लखन दास ने 55 वर्ष की उम्र में अपनी देह त्याग दी. वह काफी दिनों से बीमार चल रहे थे. उनके ब्रह्मलीन होने की जानकारी होते ही आसपास के क्षेत्रीय भक्तों में शोक की लहर दौड़ गई. जानकारी के बाद कई राजनीतिक पार्टियों के नेता व प्रशासनिक अधिकारी भी अंतिम दर्शन के लिए मंदिर पहुंचे. उनके करीबियों ने बताया कि महंत के पार्थिव शरीर को रुपईडीहा के संकट मोचन हनुमान मंदिर में रखा जाएगा तथा यहीं पर ही उनकी अंतिम क्रिया की जाएगी.

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