ETV Bharat / state

बहराइच में मनाई गई गोपाल कृष्ण गोखले की जयंती, आजादी में था अमूल्य योगदान - gopal krishna gokhale anniversary

यूपी के बहराइच में गोपाल कृष्ण गोखले की जयंती मनाई गई. कार्यक्रम का आयोजन स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भवन में हुआ. गोपाल कृष्ण गोखले ने स्वाधीनता आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई थी.

बहराइच समाचार.
गोपाल कृष्ण गोखले की जयंती.
author img

By

Published : May 10, 2020, 1:47 AM IST

बहराइच: जनपद मे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भवन में स्वाधीनता आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले गोपाल कृष्ण गोखले की जयंती मनाई गई. बहराइच विकास मंच द्वारा आयोजित कार्यक्रम में स्वाधीनता आंदोलन के महानायक गोपाल कृष्ण गोखले के चित्र पर माल्यार्पण कर वक्ताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. साथ ही उनके जीवन कृत्य पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम की अध्यक्षता बहराइच विकास मंच के अध्यक्ष हर्षित त्रिपाठी ने की.

मंच के संरक्षक पंडित अनिल त्रिपाठी ने कहा कि गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म 9 मई 1866 में हुआ था. वे महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के कोतलुक गांव में एक ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे. गोखले को अपनी शिक्षा प्राप्त करने के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ा. पंडित गोखले स्ट्रीट लाइट की रोशनी में बैठकर पढ़ते थे. उन्होंने 1884 में 18 वर्ष की आयु में मुंबई के एलफिंस्टन कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और पूना के एक अंग्रेजी स्कूल में अध्यापक हो गए.

देश की आजादी में गोखले का अमूल्य योगदान

पंडित हर्षित त्रिपाठी ने कहा कि गोपाल कृष्ण गोखले भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, समाजसेवी विचारक और सुधारक थे. महादेव गोविंद रानाडे गोपाल कृष्ण गोखले को वित्तीय मामलों की अद्वितीय समझ थी. वित्तीय मामलों में अधिकार पूर्वक बहस करने की क्षमता से उन्हें भारत का ग्लैडस्टोन कहा जाता है. वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे. गांधी जी उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते थे. उन्होंने एक संस्था सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी की स्थापना की, जो आम लोगों के हितों के लिए समर्पित थी. देश की आजादी और राष्ट्र निर्माण में गोखले जी का योगदान अमूल्य है.

समाजसेवी मुकेश श्रीवास्तव ने कहा कि गोखले सन 1889 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य बने. वह हमेशा जनता की परेशानियों के लिए कार्य करते रहे. कुछ समय बाद बाल गंगाधर तिलक के साथ गोखले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के ज्वाइंट सेक्रेट्री बन गए. हालांकि दोनों में काफी मतभेद थे. 1905 में गोखले कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए.

बहराइच: जनपद मे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भवन में स्वाधीनता आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले गोपाल कृष्ण गोखले की जयंती मनाई गई. बहराइच विकास मंच द्वारा आयोजित कार्यक्रम में स्वाधीनता आंदोलन के महानायक गोपाल कृष्ण गोखले के चित्र पर माल्यार्पण कर वक्ताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. साथ ही उनके जीवन कृत्य पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम की अध्यक्षता बहराइच विकास मंच के अध्यक्ष हर्षित त्रिपाठी ने की.

मंच के संरक्षक पंडित अनिल त्रिपाठी ने कहा कि गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म 9 मई 1866 में हुआ था. वे महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के कोतलुक गांव में एक ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे. गोखले को अपनी शिक्षा प्राप्त करने के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ा. पंडित गोखले स्ट्रीट लाइट की रोशनी में बैठकर पढ़ते थे. उन्होंने 1884 में 18 वर्ष की आयु में मुंबई के एलफिंस्टन कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और पूना के एक अंग्रेजी स्कूल में अध्यापक हो गए.

देश की आजादी में गोखले का अमूल्य योगदान

पंडित हर्षित त्रिपाठी ने कहा कि गोपाल कृष्ण गोखले भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, समाजसेवी विचारक और सुधारक थे. महादेव गोविंद रानाडे गोपाल कृष्ण गोखले को वित्तीय मामलों की अद्वितीय समझ थी. वित्तीय मामलों में अधिकार पूर्वक बहस करने की क्षमता से उन्हें भारत का ग्लैडस्टोन कहा जाता है. वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे. गांधी जी उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते थे. उन्होंने एक संस्था सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी की स्थापना की, जो आम लोगों के हितों के लिए समर्पित थी. देश की आजादी और राष्ट्र निर्माण में गोखले जी का योगदान अमूल्य है.

समाजसेवी मुकेश श्रीवास्तव ने कहा कि गोखले सन 1889 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य बने. वह हमेशा जनता की परेशानियों के लिए कार्य करते रहे. कुछ समय बाद बाल गंगाधर तिलक के साथ गोखले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के ज्वाइंट सेक्रेट्री बन गए. हालांकि दोनों में काफी मतभेद थे. 1905 में गोखले कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.