ETV Bharat / state

बहराइच: बाजारों में चाइनीज वस्तुओं की चकाचौंध, कुम्हारी कला के अस्तित्व पर छाया संकट - Bahraich today latest news

यूपी के बहराइच में चाइनीज वस्तुओं ने मिट्टी के दिए और खिलौनों की बिक्री की रफ्तार को रोक लगा दी है. इसके चलते कुम्हारी कला के अस्तित्व पर संकट छा गया है. इससे जुड़े व्यवसायी और कारीगर बदहाल जिंदगी जीने को मजबूर हैं.

खतरे में कुम्हारी कला का अस्तित्व
author img

By

Published : Oct 23, 2019, 5:35 PM IST

बहराइच: चाइनीज वस्तुओं की चकाचौंध के कारण भारतीय प्राचीन कुम्हारी कला का अस्तित्व संकट में है. सस्ती चायनीज लाइटों और खिलौनों ने मिट्टी के दीये और खिलौनों की बिक्री की रफ्तार को रोक लगा दी है. कुम्हारी कला से जुड़े व्यवसायी और कारीगर बदहाल जिंदगी जीने को मजबूर हैं.

खतरे में कुम्हारी कला का अस्तित्व.

बाजारों में चाइनीज वस्तुओं की भरमार
दीपावली की बहार शुरू होते ही बाजारों में चाइनीज वस्तुओं की भरमार शुरू हो गई है. सस्ते होने के कारण लोग चाइनीज वस्तुओं की ओर आकर्षित हो रहे हैं. चाइनीज वस्तुओं की चकाचौंध के बढ़ते प्रभाव के कारण प्राचीन भारतीय कुम्हारी कला का अस्तित्व खतरे में आ गया है. तमाम कोशिशों के बावजूद कुम्हारी कला से जुड़े कारीगर और दुकानदार अपना उत्पाद बाजार में बेच नहीं पा रहे हैं.

यह भी पढ़ें: जीडीपी ग्रोथ की दिशा में बेहतर कार्य कर रही यूपी सरकारः वित्त आयोग

बदहाली में व्यवसायी और कारीगर
हालात यह है कि कुम्हारी कला से जुड़े व्यवसाई और कारीगर बदहाल जिंदगी जीने को मजबूर हैं. पहले दीपावली का पर्व आने से महीनों पूर्व इस कला और व्यवसाय से जुड़े कारीगरों और व्यवसायियों के यहां महोत्सव जैसा माहौल रहता था. दिन-रात काम कर वह दीये, खिलौने, मूर्तियां बनाकर उनमें रंग रोगन का काम कर देते थे. अब उनके पास काम नहीं है. उन्हें अपनी जीविका चलाना मुश्किल हो रहा है.

यह भी पढ़ें: NCRB ने जारी की अपराध आंकड़ों की रिपोर्ट, अपहरण की घटनाओं में बढ़ोतरी

अस्तित्व खोती कुम्हारी कला
ऐसी स्थिति में भारतीय प्राचीन कुम्हारी कला अपना अस्तित्व खो रही है. यदि शासन प्रशासन ने कुम्हारी कला के अस्तित्व को बचाने के लिए ठोस पहल नहीं शुरू की तो बदहाली के इस दौर से गुजर रही कुम्हारी कला का अस्तित्व कहीं समाप्त होकर न रह जाए.

बहराइच: चाइनीज वस्तुओं की चकाचौंध के कारण भारतीय प्राचीन कुम्हारी कला का अस्तित्व संकट में है. सस्ती चायनीज लाइटों और खिलौनों ने मिट्टी के दीये और खिलौनों की बिक्री की रफ्तार को रोक लगा दी है. कुम्हारी कला से जुड़े व्यवसायी और कारीगर बदहाल जिंदगी जीने को मजबूर हैं.

खतरे में कुम्हारी कला का अस्तित्व.

बाजारों में चाइनीज वस्तुओं की भरमार
दीपावली की बहार शुरू होते ही बाजारों में चाइनीज वस्तुओं की भरमार शुरू हो गई है. सस्ते होने के कारण लोग चाइनीज वस्तुओं की ओर आकर्षित हो रहे हैं. चाइनीज वस्तुओं की चकाचौंध के बढ़ते प्रभाव के कारण प्राचीन भारतीय कुम्हारी कला का अस्तित्व खतरे में आ गया है. तमाम कोशिशों के बावजूद कुम्हारी कला से जुड़े कारीगर और दुकानदार अपना उत्पाद बाजार में बेच नहीं पा रहे हैं.

यह भी पढ़ें: जीडीपी ग्रोथ की दिशा में बेहतर कार्य कर रही यूपी सरकारः वित्त आयोग

बदहाली में व्यवसायी और कारीगर
हालात यह है कि कुम्हारी कला से जुड़े व्यवसाई और कारीगर बदहाल जिंदगी जीने को मजबूर हैं. पहले दीपावली का पर्व आने से महीनों पूर्व इस कला और व्यवसाय से जुड़े कारीगरों और व्यवसायियों के यहां महोत्सव जैसा माहौल रहता था. दिन-रात काम कर वह दीये, खिलौने, मूर्तियां बनाकर उनमें रंग रोगन का काम कर देते थे. अब उनके पास काम नहीं है. उन्हें अपनी जीविका चलाना मुश्किल हो रहा है.

यह भी पढ़ें: NCRB ने जारी की अपराध आंकड़ों की रिपोर्ट, अपहरण की घटनाओं में बढ़ोतरी

अस्तित्व खोती कुम्हारी कला
ऐसी स्थिति में भारतीय प्राचीन कुम्हारी कला अपना अस्तित्व खो रही है. यदि शासन प्रशासन ने कुम्हारी कला के अस्तित्व को बचाने के लिए ठोस पहल नहीं शुरू की तो बदहाली के इस दौर से गुजर रही कुम्हारी कला का अस्तित्व कहीं समाप्त होकर न रह जाए.

Intro:एंकर- बहराइच में चाइनीज वस्तुओं की चकाचौंध के कारण भारतीय प्राचीन कुम्हारी कला का अस्तित्व संकट में है. सस्ती चायनीज लाइटों और खिलौनों ने मिट्टी के दिए और खिलौनों की बिक्री की रफ्तार को रोक दिया है. अगर प्राचीन भारतीय कुम्हारी कला को बचाने की मुहिम शुरू की गई तो वह दिन दूर नहीं है जब मिट्टी के बर्तन मूर्ति और खिलौने बनाने की प्राचीन भारतीय कला विलुप्त होकर रह जाएगी. पेश है एक रिपोर्ट.


Body:वीओ-1- दीपावली की बहार शुरू होते ही बाजारों में चाइनीज वस्तुओं की भरमार शुरू हो गई है. सस्ती होने के कारण लोग चाइनीज वस्तुओं की ओर आकर्षित हो रहे हैं. चाइनीज वस्तुओं की चकाचौंध के बढ़ते प्रभाव के कारण प्राचीन भारतीय कुम्हारी कला का अस्तित्व खतरे में है. तमाम कोशिशों के बावजूद कुम्हारी कला से जुड़े कारीगर और दुकानदार अपना उत्पाद बाजार में बेच नहीं पा रहे हैं. हालात तो यह है कुम्हारी कला से जुड़े व्यवसाई और कारीगर बदहाल जिंदगी जीने को मजबूर है. पहले दीपावली का पर्व आने से महीनों पूर्व इस कला और व्यवसाय से जुड़े कारीगरों और व्यवसायियों के यहां महोत्सव जैसा माहौल रहता था. दिन रात काम कर वह दिये, खिलौने, मूर्तियां, बनाकर उनमें रंग रोगन का काम कर देते थे. लेकिन अब उनके पास काम नहीं है. उन्हें अपनी जीविका चलाना मुश्किल हो रहा है. ऐसी स्थिति में भारतीय प्राचीन कुम्हारी कला अपना अस्तित्व खो रही है. यदि शासन प्रशासन ने कुम्हारी कला के अस्तित्व को बचाने के लिए ठोस पहल नहीं शुरू की तो बदहाली के दौर से गुजर रही कुम्हारी कला का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा . और हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए डायनासोर की तरह भारतीय कुम्हारी कला चित्र किस्से और कहानियां तक ही सीमित होकर रह जाएगी.
बाइट-1-कुम्हारी कला से जुड़े कारीगर और व्यवसायी


Conclusion:सैयद मसूद कादरी
94 15 15 1963
बहराइच
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.