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महान क्रांतिकारी खुदीराम बोस की मनायी गयी 131वीं जयंती - लखनऊ समाचार

स्वतंत्रा संग्राम सेनानी भवन में महान क्रांतिकारी खुदीराम बोस की जयंती मनायी गयी. बहराइच विकास मंच ने उनकी 131वीं जयंती मनायी.

क्रांतिकारी खुदीराम बोस की 131वीं जयंती
क्रांतिकारी खुदीराम बोस की 131वीं जयंती
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Published : Dec 4, 2020, 9:36 AM IST

बहराइचः महान क्रांतिकारी खुदीराम बोस की 131वीं जयंती मनायी गयी. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भवन में लोगों ने क्रांतिकारी खुदीराम बोस की तस्वीर पर माल्यार्पण कर उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला. बहराइच विकास मंच ने महान क्रांतिकारी की जयंती का कार्यक्रम आयोजित किया था.

क्रांतिकारी खुदीराम बोस की 131वीं जयंती

केवल 16 साल की उम्र में पुलिस स्टेशन को बम से उड़ाकर खुदीराम बोस सुर्खियों में आये थे. वे स्वतंत्रता आंदोलन में सबसे कम उम्र के क्रांतिकारियों में से थे. उनका जन्म 3 दिसंबर 1889 को हुआ था. बोस के पिता का नाम त्रिलोकनाथ बसु था, जो शहर में तहसीलदार थे. उनकी मां का नाम लक्ष्मीप्रिया देवी था, जो एक धार्मिक महिला थीं. खुदीराम बोस का जन्म मिदनापुर जिले के बहुवैनी (पश्चिम बंगाल) में हुआ था. कार्यक्रम में विकास मंच के अध्यक्ष हर्षित त्रिपाठी ने कहा कि बोस ब्रिटिश शासन से भारत को आजादी दिलाने के लिए क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हुए थे. समाजसेवी मुकेश श्रीवास्तव ने कहा कि खुदीराम बोस के फेंके गये बम की वजह से उन्हें 19 साल की उम्र में मौत की सजा सुनायी गयी. जिसके बाद उन्हें 11 अगस्त 1908 को फांसी पर लटका दिया गया था.

बहराइचः महान क्रांतिकारी खुदीराम बोस की 131वीं जयंती मनायी गयी. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भवन में लोगों ने क्रांतिकारी खुदीराम बोस की तस्वीर पर माल्यार्पण कर उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला. बहराइच विकास मंच ने महान क्रांतिकारी की जयंती का कार्यक्रम आयोजित किया था.

क्रांतिकारी खुदीराम बोस की 131वीं जयंती

केवल 16 साल की उम्र में पुलिस स्टेशन को बम से उड़ाकर खुदीराम बोस सुर्खियों में आये थे. वे स्वतंत्रता आंदोलन में सबसे कम उम्र के क्रांतिकारियों में से थे. उनका जन्म 3 दिसंबर 1889 को हुआ था. बोस के पिता का नाम त्रिलोकनाथ बसु था, जो शहर में तहसीलदार थे. उनकी मां का नाम लक्ष्मीप्रिया देवी था, जो एक धार्मिक महिला थीं. खुदीराम बोस का जन्म मिदनापुर जिले के बहुवैनी (पश्चिम बंगाल) में हुआ था. कार्यक्रम में विकास मंच के अध्यक्ष हर्षित त्रिपाठी ने कहा कि बोस ब्रिटिश शासन से भारत को आजादी दिलाने के लिए क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हुए थे. समाजसेवी मुकेश श्रीवास्तव ने कहा कि खुदीराम बोस के फेंके गये बम की वजह से उन्हें 19 साल की उम्र में मौत की सजा सुनायी गयी. जिसके बाद उन्हें 11 अगस्त 1908 को फांसी पर लटका दिया गया था.

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