मेरठ : जिले में बिना अनुमति दाढ़ी रखने पर निलंबित हुए दारोगा इंतसार अली ने दाढ़ी कटवा कर फिर से ड्यूटी ज्वाइन कर ली है. एसपी बागपत अभिषेक सिंह ने दाढ़ी कटवाने के बाद उन्हें बहाल कर दिया है. दाढ़ी कटवाने के बाद नौकरी ज्वाइन करने पर मुस्लिम धर्म गुरुओं ने एतराज जताया है. उलेमाओं के मुताबिक इस्लाम में शरीयत के हिसाब से दाढ़ी नहीं रखना जुर्म है और मजहबी दाढ़ी रखकर कटवा देना उससे भी बड़ा जुर्म है. ऐसे में अगर शरीयत और सुन्नत की बात आती है तो ऐसे मौके पर दाढ़ी नहीं बल्कि नौकरी ही छोड़ देनी चाहिए. दाढ़ी कटवा कर नौकरी को तवज्जों देकर दारोगा इंतसार अली ने शरीयत के हिसाब से बहुत बड़ा जुर्म किया है.
जानिए क्या है पूरा मामला-
आपको बता दें कि जनपद बागपत के थाने में तैनात यूपी पुलिस के दारोगा इंतसार अली मजहबी दाढ़ी रखे हुए थे. बिना अनुमति के पुलिस महकमे में मजहबी दाढ़ी रखना अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है. बागपत एसपी अभिषेक सिंह ने तीन बार इंतसार अली को न सिर्फ उच्च अधिकारियों से दाढ़ी के लिए अनुमति लेने को कहा था बल्कि अनुमति मिलने तक दाड़ी कटवा कर नौकरी पर आने की चेतावनी दी थी. लेकिन इंतसार अली ने दाढ़ी नहीं कटवाई. जिसके बाद अनुशासनहीनता के आरोप में एसपी को उन्हें निलंबित करना पड़ा. मजहबी दाढ़ी रखने पर जहां यह मामला चर्चा का विषय बन गया वहीं मुस्लिम दारोगा के निलंबन के बाद इस्लामिक संगठनों ने इसका विरोध किया था.
शरीयत में दाढ़ी रखकर कटवाना बड़ा जुर्म
मुस्लिम दारोगा द्वारा नौकरी के लिए दाढ़ी कटवाने पर भी धर्म गुरुओं ने एतराज जताया है. दाढ़ी कटवाकर नौकरी को तवज्जो देने के मामले में उलेमाओं का कहना है कि इस्लाम में मजहबी दाढ़ी नहीं रखना भी जुर्म है. वहीं दाढ़ी रखकर कटवा देना यह उससे भी बड़ा जुर्म माना जाता है. लिहाजा दाढ़ी कटवा कर नौकरी को तवज्जो देना या अपने कारोबार को तवज्जो देना इस्लाम और शरीयत के खिलाफ है. इस्लाम में शरीयत और सुन्नत को तवज्जो न देकर किसी भी कारोबार एवं नौकरी को करना नाजायज है. अगर कहीं इस्लाम और सुन्नत पर आंच आती है तो ऐसे में दाढ़ी कटवाने की बजाए इस तरह की नौकरियां छोड़ देनी चाहिए.