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बागपत: गुफा वाले बाबा मंदिर का है ऐतिहासिक महत्व, होली पर लाखों की संख्या में जुटते हैं श्रद्धालु

बागपत के गुफा वाले बाबा मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है. जो भक्त यहां पर सच्चे मन से आते हैं, बाबा उन भक्तों की मनोकामना अवश्य पूरी करते हैं, इसीलिए बाबा के दर्शन करने के लिए बहुत दूर-दूर से लाखों की संख्या में भक्त आते हैं.

गुफा वाले बाबा मंदिर में जुटी श्रद्धालुओं की भीड़
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Published : Mar 21, 2019, 9:25 AM IST

बागपत : एक ऐसा मंदिर, जिसकी मान्यता वर्षों से चली आ रही है. भक्तों की आस्था इस मंदिर से जुड़ी हुई है. करोड़ों श्रद्धालुओं के अटूट विश्वास का प्रतीक यूपी के बागपत जिले में स्थित यह मंदिर गुफा वाले बाबा के नाम से प्रसिद्ध है. यहां पर होली और दिवाली त्योहार पर भारी संख्या में भक्तों का तांता लगा रहता है. इस मंदिर का प्राचीन काल से ही बड़ा महत्व है.

गुफा वाले बाबा का इतिहास सदियों पुराना है, जो भक्त यहां पर सच्चे मन से आते हैं, बाबा उन भक्तों की मनोकामना अवश्य पूरी करते हैं, इसीलिए बाबा के दर्शन करने के लिए बहुत दूर-दूर से लाखों की संख्या में भक्त आते हैं.

मंदिर का है पौराणिक महत्व

कुछ लोग कहते हैं कि गुफा वाले बाबा एक बार तपस्या कर रहे थे,तभी एक भैसे ने गुफा वाले बाबा की तपस्या भंग कर दी, जिससे क्रोधित होकर उन्होंने अपने चिमटे से भैंसे को पत्थर बना दिया. जिस जगह पर भैंसे की मूर्ति है, उसके ऊपर मंदिर का निर्माण कराया गया. समय के अनुसार मूर्ति का कुछ ही हिस्सा अब बचा है.

होली और दीवाली पर गुफा वाले बाबा मंदिर में लाखों की संख्या में जुटते हैं श्रद्धालु

होली और दीवाली पर लाखों की संख्या में आते हैं श्रद्धालु

वैसे तो यहां पर हर दिन बाबा के दर्शन करने के लिए लोग आते रहते हैं, लेकिन रविवार वाले दिन भक्तों का तांता लगा रहता है. वर्ष में होली और दिवाली के त्योहार पर लाखों की संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं क्योंकि इस दिन यहां मेलेका भी आयोजन होता है. भक्तों की मनोकामना पूरी होने पर मंदिरमें भंडारे का भी आयोजन किया जाता है.

.....जब लोगों ने बाबा को मरा हुआसमझ लिया

ऐसी मान्यता है कि कुछ लोग बाबा को अधर्मी समझते हुए उनको मारने के लिए पहुंचे. बाबा उस समय समाधि में लीन थे. लोगों ने उनको मरा हुआसमझ कर वापस लौट गए. कहा जाता है कि बाबा समाधि में लीन होने से पहले अपने भक्तों को कहते हुए गए कि जब तक मैं समाधि में रहूं, तब तक मुझे कोई छुए ना, लेकिन कुछ दिन बाद तपस्या में लीन होने के बाद बाबा के सेवक ने बाबा को मृतसमझा और कुछ लोगों के बहकावे में आकर बाबा को जला दिया, जिसके बाद बाबा ने अपने सेवक को श्राप दे दिया.

मंदिर पर श्रद्धालुओं का है अटूट विश्वास

शिवम ने बताया कि यहां दूर-दूर से श्रद्धालु प्रसाद चढा़ने आते हैं. यहां हर किसी की मन्नतें पूरी होती हैं. उन्होंने बताया कि 20 साल से लोग इन्हें मानते हैं. वहीं, धीरज ने बताया कि मैं मंदिर में पिछले25 साल से आ रहा हूं. यहां दिल्ली, सहारनपुर और दूर-दूर से श्रद्धालु बाबा के दर्शन करने के लिए आते हैं. विशेष रुप से दीवाली और होली के दिन यहां काफी भीड़ होती है.

बागपत : एक ऐसा मंदिर, जिसकी मान्यता वर्षों से चली आ रही है. भक्तों की आस्था इस मंदिर से जुड़ी हुई है. करोड़ों श्रद्धालुओं के अटूट विश्वास का प्रतीक यूपी के बागपत जिले में स्थित यह मंदिर गुफा वाले बाबा के नाम से प्रसिद्ध है. यहां पर होली और दिवाली त्योहार पर भारी संख्या में भक्तों का तांता लगा रहता है. इस मंदिर का प्राचीन काल से ही बड़ा महत्व है.

गुफा वाले बाबा का इतिहास सदियों पुराना है, जो भक्त यहां पर सच्चे मन से आते हैं, बाबा उन भक्तों की मनोकामना अवश्य पूरी करते हैं, इसीलिए बाबा के दर्शन करने के लिए बहुत दूर-दूर से लाखों की संख्या में भक्त आते हैं.

मंदिर का है पौराणिक महत्व

कुछ लोग कहते हैं कि गुफा वाले बाबा एक बार तपस्या कर रहे थे,तभी एक भैसे ने गुफा वाले बाबा की तपस्या भंग कर दी, जिससे क्रोधित होकर उन्होंने अपने चिमटे से भैंसे को पत्थर बना दिया. जिस जगह पर भैंसे की मूर्ति है, उसके ऊपर मंदिर का निर्माण कराया गया. समय के अनुसार मूर्ति का कुछ ही हिस्सा अब बचा है.

होली और दीवाली पर गुफा वाले बाबा मंदिर में लाखों की संख्या में जुटते हैं श्रद्धालु

होली और दीवाली पर लाखों की संख्या में आते हैं श्रद्धालु

वैसे तो यहां पर हर दिन बाबा के दर्शन करने के लिए लोग आते रहते हैं, लेकिन रविवार वाले दिन भक्तों का तांता लगा रहता है. वर्ष में होली और दिवाली के त्योहार पर लाखों की संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं क्योंकि इस दिन यहां मेलेका भी आयोजन होता है. भक्तों की मनोकामना पूरी होने पर मंदिरमें भंडारे का भी आयोजन किया जाता है.

.....जब लोगों ने बाबा को मरा हुआसमझ लिया

ऐसी मान्यता है कि कुछ लोग बाबा को अधर्मी समझते हुए उनको मारने के लिए पहुंचे. बाबा उस समय समाधि में लीन थे. लोगों ने उनको मरा हुआसमझ कर वापस लौट गए. कहा जाता है कि बाबा समाधि में लीन होने से पहले अपने भक्तों को कहते हुए गए कि जब तक मैं समाधि में रहूं, तब तक मुझे कोई छुए ना, लेकिन कुछ दिन बाद तपस्या में लीन होने के बाद बाबा के सेवक ने बाबा को मृतसमझा और कुछ लोगों के बहकावे में आकर बाबा को जला दिया, जिसके बाद बाबा ने अपने सेवक को श्राप दे दिया.

मंदिर पर श्रद्धालुओं का है अटूट विश्वास

शिवम ने बताया कि यहां दूर-दूर से श्रद्धालु प्रसाद चढा़ने आते हैं. यहां हर किसी की मन्नतें पूरी होती हैं. उन्होंने बताया कि 20 साल से लोग इन्हें मानते हैं. वहीं, धीरज ने बताया कि मैं मंदिर में पिछले25 साल से आ रहा हूं. यहां दिल्ली, सहारनपुर और दूर-दूर से श्रद्धालु बाबा के दर्शन करने के लिए आते हैं. विशेष रुप से दीवाली और होली के दिन यहां काफी भीड़ होती है.

Intro:एक ऐसा मंदिर जिसकी मान्यता वर्षो से चली आ रही हैं भक्तों की आस्था गुफा मंदिर से जुड़ी है करोड़ो श्रद्धालुओं का अटूट विश्वास का मन्दिर हैं यूपी के बागपत जिले में यह मंदिर गुफा वाले बाबा के नाम से प्रसिद्ध है यहां पर होली दिवाली पर भारी संख्या में भक्तों का तांता लगा रहता है इस मंदिर का प्राचीन काल से बहुत बड़ा महत्व है।


Body:गुफा वाले बाबा का इतिहास सदियों पुराना है जो भक्त यहां पर सच्चे मन से आते हैं बाबा उन भक्तों की मनोकामना अवश्य पूरी करते हैं इसीलिए बाबा के दर्शन करने के लिए बहुत दूर-दूर से लाखों की संख्या में आते हैं। कुछ लोग कहते हैं गुफा वाले बाबा एक बार तपस्या कर रहे थे तभी एक भैसे ने गुफा वाले बाबा को तपस्या भंग कर दी जिससे क्रोधित होकर उन्होंने उन्होंने अपने चिमटे से भैंसे को पत्थर बना दिया। जिस जगह पर भैंसे की मूर्ति है उसके ऊपर मंदिर का निर्माण कराया गया। समय के अनुसार मूर्ति का कुछ भी हिस्सा बचा है । वैसे तो यहां पर हर वर्ष बाबा के दर्शन करने के लिए लोगों का आते रहते हैं।लेकिन रविवार वाले दिन भक्तों का तांता लगा रहता है । वर्ष में होली और दिवाली के त्यौहार पर लाखों की संख्या में भक्तों पहुंचते हैं क्योंकि इन त्योहारों मेलों का भी आयोजन होता है। साथ ही भक्तों की मनोकामना पूरी होने पर मंदिरों में भंडारे का भी आयोजन किया जाता है। कुछ लोगों का कहना है कुछ लोग बाबा को अधर्मी समझते हुए उनको मारने के लिए पहुंचे। बाबा उस समय समाधि में लीन थे लोगों ने उनको मृतक समझ कर वापस लौट गए।
कहा जाता है कि बाबा समाधि में लीन होने से पहले अपने भक्तों को कहते हुए गए कि जब तक मैं समाधि में रहूं तब तक मुझे कोई छुए ना। लेकिन कुछ दिन बाद तपस्या में लीन होने के बाद बाबा के सेवक ने बाबा को मृतक समझा और कुछ लोगों के बहकावे में आकर बाबा को जला दिया जिसके बाद बाबा ने अपने सेवक को
श्राप दिया।






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