बागपत: जिले से भी बड़ी संख्या में किसानों ने ट्रैक्टर परेड में हिस्सा लिया था, जो अब वापस लौट आए हैं. जिले के किसानों ने लाला किले पर किसी धर्म या संगठन का झंडा फहराने को लेकर अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं. वहीं जिले के किसानों का यह भी मानना है कि लाल किले पर ऐसा करने वाले लोग किसान नहीं हो सकते हैं.
देशखाप चौधरी सुरेंद्र सिंह ने कहा कि दिल्ली में ट्रैक्टर परेड के दौरान जो भी हुआ. वह बहुत गलत हुआ. किसी ने किसानों को भड़काने का काम नहीं किया है. राकेश टिकैत शांति की अपील कर रहे थे. उन्होंने कहा कि खाप इस पूरे मामले की जांच की मांग करती है. मामले में पुलिस-प्रशासन की लापरवाही है, जो असामाजिक तत्वों को लाल किले के अंदर घुसने दिया है. हालांकि वह इस दौरान मौके पर नहीं थे. उन्होंने कहा कि वह झंडा लहराने वालों को न पहचानते हैं और न ही जानते हैं. किसानों में कई डकैत भी पैदा होते हैं और साधु भी इनकी पहचान होनी चाहिए. सरकार ने भी किसानों की दिए रूट को बंद कर माहौल बिगाड़ने का काम किया.
रंडाड गांव निवासी किसान सतपाल सिंह ने बुधवार को देशखाप चौधरी सुरेंद्र सिंह के आवास पर कई लोगों को दिल्ली टैक्टर परेडी की आंखों देखी बताई. सतपाल सिंह ने बताया कि लाल किले पर जो हुआ उसमें से उन्होंने बहुत कुछ देखा है, लेकिन जो भी हुआ वह शर्मसार और गलत हुआ है. उन्होंने बताया कि वहां जो किसान थे. वह लाल किले पर झंडा फहराने के पक्ष में नहीं थे. कितने ही सरदार लोग लाल किले पर चढ़ गए और सरदार युवक दाहिने गुबंद पर चढ़ गया और पीले रंग का झंडा बांध दिया और उसके बाद उन लोगों ने नारेबाजी की वह लोग किसान नहीं थे.