बागपत: चमकी बुखार से बिहार के मुजफ्फरनगर जिले में डेढ़ सौ बच्चों की जान जा चुकी है. चमकी बुखार क्या है, इसके लक्षण क्या है और यह क्यों छोटे बच्चों में अधिक होता है. इसको लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक विषाद राजपूत से ईटीवी भारत ने बातचीत की.
चिकित्सा अधीक्षक विषाद राजपूत ने कही ये बातें
- चमकी बुखार यानी एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम की वजह से होता है.
- इसी के चलते बिहार में अब तक 300 से अधिक बच्चों की जाने जा चुकी है.
- यह सिलसिला लगभग 1 महीने से चल रहा है
- इस बुखार की सबसे बुरी बात यह होती है कि यह बुखार सिर्फ 1 साल से 15 साल के बच्चों तक ही पाया जाता है.
चमकी बुखार के लक्षण
- चमकी बुखार की चपेट में आने से मिर्गी जैसे चक्कर आते हैं.
- इसके अलावा बेहोशी, तेज दर्द, तेज बुखार, दर्द से जी मिचलाना, उल्टी होना, बहुत ज्यादा थकान होना, बहुत कमजोरी महसूस करना, चलने फिरने में परेशानी होना, चमकी बुखार के लक्षण होते हैं.
- यह बुखार अधिकतर कुपोषित बच्चों के संपर्क में बहुत जल्दी आता है.
- चमकी बुखार की एक सबसे बड़ी वजह लीची भी है.
- अगर कोई भी कुपोषित बच्चा लीची को खाता है और अगर लीची आधी कच्ची और पक्की खाने से भी चमकी बुखार होता हैं.
चमकी बुखार से मस्तिष्क होता है प्रभावित
- अधीक्षक ने कहा कि लीची में कुछ जहरीले रासायनिक पदार्थ होते हैं.
- यह रसायन कुपोषित बच्चों के खून में ग्लूकोज के स्तर को कम देता है, यह तत्व ऑक्सीडेंट को रोक देता है.
- इससे खून में फैटी एसिड बढ़ जाती है, जो कि बच्चों के लिवर में ग्लूकोज स्टोर कम होता है.
- इसकी वजह से ग्लूकोज की मात्रा पर्याप्त मस्तिष्क तक नहीं पहुंच पाती और मस्तिष्क गंभीर रूप से प्रभावित हो जाता है.
- इसका असर बच्चों के दिमाग पर होने लगता है और वे मस्तिष्क बुखार के शिकार हो जाते हैं.