ETV Bharat / state

सलवार-सूट पहनकर WWE में रेसलिंग करती हैं 'लेडी खली' कविता दलाल

कविता दलाल बड़ा फैसला लेते हुए डब्ल्यूडब्ल्यूई रिंग में उतरीं. जहां पर एक स्पेशल ड्रेस कोड में रेसलर उतरते हैं, वहीं कविता ने भारतीय परंपरा के अनुसार सूट पहनकर रेसलिंग करने का फैसला लिया. कविता ने इस खेल के माध्यम से भारत का नाम रोशन किया है. कविता महिला सशक्तिकरण का जीता जागता उदाहरण हैं.

ईटीवी भारत ने कविता दलाल से की बातचीत.
author img

By

Published : Jul 17, 2019, 12:02 AM IST

Updated : Jul 17, 2019, 1:41 PM IST

बागपत: सलवार सूट पहनकर डब्ल्यूडब्ल्यूई की रिंग में उतरने वाली देश की पहली महिला रेसलर कविता दलाल की जिंदगी काफी उतार-चढ़ाव भरी रही है. बागपत के एक छोटे से गांव में जन्म लेने वाली कविता दलाल ने पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन किया है.

कविता ने बताया कैसा रहा उनका सफर-
लेडी खली के नाम से जाने जाने वाली कविता दलाल मंगलवार को विजयवाड़ा गांव अपनी ससुराल पहुंची थीं. इस दौरान उन्होंने ईटीवी से बातचीत की. उन्होंने बताया कि मैं पहले वेट लिफ्टिंग करती थी. मैं इस खेल में साउथ इंडियन गेम्स में चैम्पियन थी.

मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं डब्ल्यूडब्ल्यूई में जाऊं. सीड्ब्लूई जालंधर से मेरा करियर शुरू हुआ था. पहली बार मेरी मुलाकात जालंधर में सीडब्ल्यू में खली से हुई थी. तब उन्होंने डब्ल्यूडब्ल्यूई के बारे में बताया और डब्ल्यूडब्ल्यूई में जाने की प्रेरणा दी.

ईटीवी भारत ने कविता दलाल से की बातचीत.

लड़की होने के नाते रास्ता नहीं रहा आसान
कविता ने बताया कि लड़की होने के नाते ये आसान नहीं होता है. आप अगर घर से बाहर कदम रखते हो तो कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. मुझे भी इन समस्याओं का सामना करना पड़ा. लेकिन, मेरी जीत में हमेशा मेरे परिवार का साथ रहा. मेरे सामने जो भी चैलेंज आए मैंने उनका सामना किया. मेरा लक्ष्य है कि मैं भारत के नाम डब्ल्यूडब्ल्यूई चैंपियनशिप लेकर आऊं.

परिवार ने दिया पूरा साथ
कविता का कहना है कि मेरे परिवार ने मेरा पूरा साथ दिया. मेरा चयन पहली बार जब हुआ तो भारत की तरफ से आठ लोग गए थे, जिसमें सात लड़के थे और मैं अकेली लड़की थी.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पर दिखीं नाराज
कविता ने शिकायत भरे शब्दों में कहा कि राष्ट्रपति जी ने मेरी काबिलियत को देखते हुए मुझे सम्मानित किया है, लेकिन जो हमारी प्रदेश सरकार है उसकी तरफ से ऐसा कोई प्रयास नहीं किया गया है. ऐसा कोई सम्मान समारोह आयोजित नहीं हुआ और न ही मुझे बुलाया गया.

बागपत: सलवार सूट पहनकर डब्ल्यूडब्ल्यूई की रिंग में उतरने वाली देश की पहली महिला रेसलर कविता दलाल की जिंदगी काफी उतार-चढ़ाव भरी रही है. बागपत के एक छोटे से गांव में जन्म लेने वाली कविता दलाल ने पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन किया है.

कविता ने बताया कैसा रहा उनका सफर-
लेडी खली के नाम से जाने जाने वाली कविता दलाल मंगलवार को विजयवाड़ा गांव अपनी ससुराल पहुंची थीं. इस दौरान उन्होंने ईटीवी से बातचीत की. उन्होंने बताया कि मैं पहले वेट लिफ्टिंग करती थी. मैं इस खेल में साउथ इंडियन गेम्स में चैम्पियन थी.

मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं डब्ल्यूडब्ल्यूई में जाऊं. सीड्ब्लूई जालंधर से मेरा करियर शुरू हुआ था. पहली बार मेरी मुलाकात जालंधर में सीडब्ल्यू में खली से हुई थी. तब उन्होंने डब्ल्यूडब्ल्यूई के बारे में बताया और डब्ल्यूडब्ल्यूई में जाने की प्रेरणा दी.

ईटीवी भारत ने कविता दलाल से की बातचीत.

लड़की होने के नाते रास्ता नहीं रहा आसान
कविता ने बताया कि लड़की होने के नाते ये आसान नहीं होता है. आप अगर घर से बाहर कदम रखते हो तो कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. मुझे भी इन समस्याओं का सामना करना पड़ा. लेकिन, मेरी जीत में हमेशा मेरे परिवार का साथ रहा. मेरे सामने जो भी चैलेंज आए मैंने उनका सामना किया. मेरा लक्ष्य है कि मैं भारत के नाम डब्ल्यूडब्ल्यूई चैंपियनशिप लेकर आऊं.

परिवार ने दिया पूरा साथ
कविता का कहना है कि मेरे परिवार ने मेरा पूरा साथ दिया. मेरा चयन पहली बार जब हुआ तो भारत की तरफ से आठ लोग गए थे, जिसमें सात लड़के थे और मैं अकेली लड़की थी.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पर दिखीं नाराज
कविता ने शिकायत भरे शब्दों में कहा कि राष्ट्रपति जी ने मेरी काबिलियत को देखते हुए मुझे सम्मानित किया है, लेकिन जो हमारी प्रदेश सरकार है उसकी तरफ से ऐसा कोई प्रयास नहीं किया गया है. ऐसा कोई सम्मान समारोह आयोजित नहीं हुआ और न ही मुझे बुलाया गया.

Intro:सलवार सूट पहनकर डब्ल्यूडब्ल्यूई की रिंग में उतरने वाली देश की पहली महिला कविता दलाल की जिंदगी काफी उतार-चढ़ाव भरी रही है।बागपत के एक छोटे से गांव में अभी हाई कविता दलाल जिन्होंने अमेरिका में डब्ल्यूडब्ल्यूई में अपने देश का नाम रोशन करके एक महिला सशक्तिकरण का देश के लिए जीता जागता उदाहरण है। साथियों का कहना है कि राष्ट्रपति से पुरस्कार मिल कर सम्मान तो दिया है कि प्रदेश सरकार की तरफ से अभी कोई भी सम्मान नहीं दिया।


Body:लेडीस खली के नाम से जाने जाने वाली कविता दलाल आज बागपत जिले के विजयवाड़ा गांव अपनी ससुराल में पहुंची।
कविता दलाल का कहना है कि पहले मैं वेट लिफ्टिंग करती थी उसके बाद एशियन गेम और साउथ इंडियन एशियन गेम में जीत हासिल की। जब पहली बार मेरी मुलाकात जालंधर में सीडब्ल्यू में द ग्रेट खली से हुई थी तब उन्होंने मुझे डब्ल्यूडब्ल्यूई के बारे में बताया और उन्हें उन्होंने डब्ल्यूडब्ल्यूई में जाने की प्रेरणा दी जिसके बाद डब्ल्यूडब्ल्यूई के कुछ लोग मेरा ट्रायल लेने के लिए जलंधर आए। यहां तक पहुचनें
एक लड़की होने के नाते मुझे कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। यहां तक पहुंचने में है मेरे परिवार का हमेशा साथ हमेशा रहा। मैंने अपने नकारात्मक विचारों को सकारात्मक विचारों में बदला है।
कविता का कहना है कि मुझे हमेशा से कुछ अलग करना था अपने देश का नाम रोशन करना था। हमारे हिंदुस्तान में अधिकतर महिलाएं होने के कारण उनके सपने दबा दिए जाते हैं। इस कारण वह कभी आगे नहीं बढ़ पती। वहीं कविता का कहना है कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के ऊपर बोलना है कि यह योजना से कागजों पर ना रहे। इस योजना को सरकार को सही तरीके से कार्य करना चाहिए महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा अवसर दिया जाए कि महिलाओं को बाहर निकलने का अधिक से अधिक मौका मिले और इस समाज में महिलाओं का अपना वर्चस्व मिले।
कविता में प्रदेश सरकार से नाराजगी भी जताई है एक महिला होकर मैंने अमेरिका में अपने देश का झंडा फहराया है। जिसके खातिर मुझे राष्ट्रपति से सम्मान भी मिला है। लेकिन मेरी प्रदेश सरकार की तरफ से आज तक मुझे कोई भी सम्मान समारोह यह एक महिला सशक्तिकरण को देखा नहीं हुआ है। डब्ल्यूडब्ल्यूई में जाने से बाकी महिलाओं को डब्ल्यूडब्ल्यूई में जाने से बाकी महिलाओं को मुझे देख कर जो प्रेरणा मिली है यह बहुत अनोखी चीज है। जिन लड़कियों ने गेम को छोड़ छोड़ दिया था वह लड़कियां फिर से गेम के लिए तैयार हो गई है। अगर आप किसी प्रतिभागी को सम्मानित करते हैं तो उसे देखकर जो समाज में सकारात्मक सोच आती है सकारात्मक सोच को देखकर देश के खातिर कुछ कर गुजरने की बात आती है।
उन्होंने कहा की माई ईटीवी के माध्यम से सीएम तक संदेश पहुंचाना चाहूंगी कि हर खिलाड़ी की दिली इच्छा होती है कि उसको मान सम्मान दिया जाए।


Conclusion:
Last Updated : Jul 17, 2019, 1:41 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.