बागपतः भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मांगेराम त्यागी ने कहा है कि राकेश टिकैत CBI व ED से बच सकते हैं लेकिन हमसे नहीं. उनके कई राज हमारे पास हैं इसलिए हमें गद्दार और बदजुबान न कहें. वक्त आने पर वो राज भी खोले जाएंगे. उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन में किसी राजनैतिक पार्टी के आदमी को मंच पर नहीं चढ़ने दिया गया. 13 महीने बाद आखिर ऐसा क्या हो गया कि राकेश टिकैत को राजनैतिक मंचों पर जाने के लिए विवश होना पड़ा?
उन्होंने कहा कि बाबा की विचारधारा यह नहीं थी. उनकी विचारधारा थी किसान की खुशहाली. किसान के लिए लड़ाई. किसान की रक्षा और उसकी फसलों की रक्षा. ईवीएम की रक्षा करना बाबा का उद्देश्य नहीं था. तेलंगाना और बंगाल के मुख्यमंत्री के साथ मंच पर चढ़कर किसी पार्टी को जिताना और हराना बाबा का उद्देश्य नहीं था. बाबा का उद्देश्य था किसान की रक्षा. यहीं से राकेश टिकैत से मतभेद हुए. इस वजह से ही भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) हमारे हिस्से में आई है.
आपने देखा होगा कि बीते दिनों तीन-तीन मुख्यमंत्रियों के साथ उन्होंने मंच साझा किया था. वह CBI व ED से बच सकते हैं लेकिन हमसे नहीं. उनके कई राज हमारे पास हैं इसलिए हमें गद्दार और बदजुबान न कहें. वक्त आने पर वो राज भी खोले जाएंगे. अगर वह नहीं मानेंगे तो वह राज खोले जाएंगे. उनका आरोप है कि हम सत्ताधारी पार्टी के साथ हैं. हमारी कोई फोटो सत्ताधारी पार्टी के साथ नहीं हैं. वह तो तीन-तीन मुख्यमंत्रियों के साथ मंच पर थे. इसके सबूत हमारे पास हैं.
दिल्ली में रोड रोकीं गईं. हमने बैठकर बात करने की बात कही थी, उस समय हम समझ नहीं पाए. उस वक्त हम उनके आधीन थे, उनका जो आदेश था और हम उसी पर काम करते रहे लेकिन हमारी इच्छा नहीं था. हाल में ही वह औरंगजेब की कब्र पर गए, हर मस्जिद के नीचे मंदिर बताते हैं, वह मीडिया में बने रहना चाहते हैं. ऊल-जुलूल आरोप लगा रहे हैं. अपनी बदजुबानी पर लगाम लगाएं. 15 मई 2011 को बाबा टिकैत का निधन हो गया था. मैं सन 2000 से पार्टी की सेवा कर रहा हूं. मैं उनसे सीनियर लीडर हूं. वह अपनी संपत्ति उजागर करें. 2011 के बाद उनकी संपत्ति कितनी बढ़ी यह बताएं. सब सामने आ जाएगा, सबको पता चल जाएगा.
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