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PM मोदी के तीनों कृषि कानून वापसी से पश्चिमी यूपी के किसान नाराज, जानिए क्या बोले अन्नदाता

पीएम मोदी के तीनों कृषि कानून वापस लेने के ऐलान के बाद भी बागपत के किसानों में नाराजगी देखने को मिल रही है. किसानों ने कहा कि पिछले एक वर्ष से पूरे देश का किसान आंदोलन कर रहा था. देश के प्रधानमंत्री ने एक बार भी किसानों की शहादत के लिए न तो कोई ट्वीट किया न कुछ बोला. आज यूपी का चुनाव जब सर पर है तो कृषि कानून वापस लिए हैं.

PM मोदी के तीनों कृषि कानून वापसी से पश्चिमी यूपी के किसान नाराज
PM मोदी के तीनों कृषि कानून वापसी से पश्चिमी यूपी के किसान नाराज
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Published : Nov 19, 2021, 12:11 PM IST

बागपत: पीएम मोदी के तीनों कृषि कानून वापस लेने के बाद भी किसानों में गुस्सा देखने को मिल रहा है. किसानों में आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के बारे में पीएम के द्वारा कुछ भी न बोलने और गन्ने के भुगतान न होने को लेकर नाराजगी दिखाई दे रही है. किसान कृषि कानून वापसी के ऐलान के बाद भी सरकार से खुश नजर नहीं आ रहे हैं.

किसानों ने कहा कि पिछले एक वर्ष से पूरे देश का किसान आंदोलन कर रहा था. देश के प्रधानमंत्री ने एक बार भी किसानों की शहादत के लिए न तो कोई ट्वीट किया न कुछ बोला. आज यूपी का चुनाव जब सर पर है और पूरे देश से आवाज आ रही है कि किसान सरकार के विरोध में हैं. किसानों ने सरकार बनाई थी और सरकार को उखाड़ कर फेक देंगे. किसानों से डर कर आज चुनाव के दबाव में कृषि कानून वापस लिए हैं.

PM मोदी के तीनों कृषि कानून वापसी से पश्चिमी यूपी के किसान नाराज

किसानों ने कहा कि आज ये सिद्ध हो गया कि सरकार ने जो ये कानून बनाये थे ये पुंजिपतियों के लिए थे न कि किसानों के लिए. आज प्रधानमंत्री का यह कहना कि हम एसएसपी पर कमेटी बनाएंगे. कृषि कानून वापस होंगे. पीएम का कहना है कि किसानों को हम समझा नहीं पाए. एक साल से किसानों को समझाने की ही बात कर रहे थे.

किसानों का कहना है कि इतना ज्यादा किसानों के विपरीत बोलने वाले प्रधानमंत्री आज चुनाव के लिए केवल कृषि कानून वापस ले रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी की सरकार को केवल चुनाव दिखता है सत्ता दिखती है. जनता और किसान से कोई लेना देना नहीं है. किसान ने देख लिया कि सरकार कैसी है, जब चुनाव आते हैं उससे 4 महीने पहले किसानों की बात करती है. जैसे ही चुनाव समाप्त होंगे फिर किसानों के प्रति सरकार का रवैया वही हो जाएगा.

इसे भी पढ़ें-तत्काल वापस नहीं होगा किसान आंदोलन : राकेश टिकैत

उन्होंने कहा कि कृषि कानून वापस लेने का मतलब केवल चुनावी प्रोपेगेंडा है. किसान किसी भी सूरत में ये नहीं भूलेंगे की हमारे भाई वहां शहीद हुए हैं. इनकी कूट नीति और डलहौजी नीतियों के कारण अब चुनाव आ गए तो ये लोग कह रहे हैं कानून वापस ले रहे हैं, अब तक कहां थे. इनको ये दिखाई दे रहा है कि किसान एक जुट हो चुका है. किसान योगी, अमित शाह और मोदी इनको भी उखाड़ कर मानेगा.


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बागपत: पीएम मोदी के तीनों कृषि कानून वापस लेने के बाद भी किसानों में गुस्सा देखने को मिल रहा है. किसानों में आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के बारे में पीएम के द्वारा कुछ भी न बोलने और गन्ने के भुगतान न होने को लेकर नाराजगी दिखाई दे रही है. किसान कृषि कानून वापसी के ऐलान के बाद भी सरकार से खुश नजर नहीं आ रहे हैं.

किसानों ने कहा कि पिछले एक वर्ष से पूरे देश का किसान आंदोलन कर रहा था. देश के प्रधानमंत्री ने एक बार भी किसानों की शहादत के लिए न तो कोई ट्वीट किया न कुछ बोला. आज यूपी का चुनाव जब सर पर है और पूरे देश से आवाज आ रही है कि किसान सरकार के विरोध में हैं. किसानों ने सरकार बनाई थी और सरकार को उखाड़ कर फेक देंगे. किसानों से डर कर आज चुनाव के दबाव में कृषि कानून वापस लिए हैं.

PM मोदी के तीनों कृषि कानून वापसी से पश्चिमी यूपी के किसान नाराज

किसानों ने कहा कि आज ये सिद्ध हो गया कि सरकार ने जो ये कानून बनाये थे ये पुंजिपतियों के लिए थे न कि किसानों के लिए. आज प्रधानमंत्री का यह कहना कि हम एसएसपी पर कमेटी बनाएंगे. कृषि कानून वापस होंगे. पीएम का कहना है कि किसानों को हम समझा नहीं पाए. एक साल से किसानों को समझाने की ही बात कर रहे थे.

किसानों का कहना है कि इतना ज्यादा किसानों के विपरीत बोलने वाले प्रधानमंत्री आज चुनाव के लिए केवल कृषि कानून वापस ले रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी की सरकार को केवल चुनाव दिखता है सत्ता दिखती है. जनता और किसान से कोई लेना देना नहीं है. किसान ने देख लिया कि सरकार कैसी है, जब चुनाव आते हैं उससे 4 महीने पहले किसानों की बात करती है. जैसे ही चुनाव समाप्त होंगे फिर किसानों के प्रति सरकार का रवैया वही हो जाएगा.

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उन्होंने कहा कि कृषि कानून वापस लेने का मतलब केवल चुनावी प्रोपेगेंडा है. किसान किसी भी सूरत में ये नहीं भूलेंगे की हमारे भाई वहां शहीद हुए हैं. इनकी कूट नीति और डलहौजी नीतियों के कारण अब चुनाव आ गए तो ये लोग कह रहे हैं कानून वापस ले रहे हैं, अब तक कहां थे. इनको ये दिखाई दे रहा है कि किसान एक जुट हो चुका है. किसान योगी, अमित शाह और मोदी इनको भी उखाड़ कर मानेगा.


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