बदायूं/मुरादाबाद/अमरोहा/मेरठः बदायूं की सहसवान विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी डीके भारद्वाज ने कलेक्ट्रेट स्थित नामांकन सेंटर पहुंचकर नामांकन कराया. जब डीके भारद्वाज कलेक्ट्रेट स्थित नामांकन स्थल के गेट पर पहुंचे तो वहां मौजूद पुलिसकर्मियों से अंदर घुसने को लेकर उनकी नोकझोंक हो गई. भाजपा जिलाध्यक्ष राजीव कुमार गुप्ता समेत भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने समझा-बुझाकर मामला रफा-दफा कराया.
बदायूं कि शेखूपुर विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान विधायक धर्मेंद्र शाक्य ने परचा दाखिल किया. गौरतलब है कि धर्मेंद्र शाक्य का नाम स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ बीजेपी छोड़ने वालों की सूची में आ गया था. धर्मेंद्र शाक्य ने इसका खंडन किया था. उन्होंने स्पष्ट कहा था कि मैं बीजेपी में हूं और बीजेपी में ही रहूंगा.
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मुरादाबाद की देहात विधानसभा से सपा की ओर से हाजी नासिर कुरैशी ने परचा दाखिल किया. वह गुरुवार रात को ही सपा का सिंबल लेकर आए थे. शुक्रवार को बिना देरी किए उन्होंने पर्चा दाखिल कर दिया. उनके साथ सपा के जिलाध्यक्ष डीपी यादव भी कलेक्ट्रेट में मौजूद थे.गौरतलब है कि हाजी नासिर कुरैशी को सपा ने 2019 में लोकसभा चुनाव में मुरादाबाद से लोकसभा प्रत्याशी बनाया था. नामांकन कराने से पहले ही उनका टिकट काटकर डॉ. एसटी हसन को दे दिया गया था. इस बार हाजी नासिर कुरैशी जैसे ही सिंबल लेकर आए उन्होंने तुरंत अपना परचा दाखिल कर दिया.
अमरोहा जनपद के नौगांवा सादात विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी पूर्व सांसद देवेंद्र नागपाल ने नामांकन कराया. इसके बाद आयोजित वार्ता में उन्होंने अमरोहा के विधायक महबूब अली व पूर्व कैबिनेट मंत्री कमाल अख्तर की तुलना आतंकवादी और गुंडे बदमाश से कर दी. उन्होंने कहा कि बीजेपी गुंडे बदमाशों को टिकट नहीं देती है.
मेरठ की सिवालखास विधानसभा से आजाद समाज पार्टी ने भूपेंद्र बाफर को प्रत्याशी बनाया है. उन्होंने शुक्रवार को नामांकन कराया. बाफर की जानी थाने में हिस्ट्रीशीट (154 ए) खुली हुई है. पुलिस रिकार्ड के मुताबिक 1985 में बाफर ने अपने साथियों के साथ हैदराबाद में एक बैंक में डकैती और साल 1987 में आंध्र प्रदेश में बैंक लूट में शामिल था. 1991 में मुजफ्फरनगर में हत्या, 1992 में देहरादून में हत्या, 2007 में लिसाड़ीगेट में जानलेवा हमला किया. 2007 में सदर बाजार में हत्या, 2012 में मेरठ के छिपी टैंक के पास केबल कारोबारी की हत्या और 2020 में रोहित सांडू को पुलिस कस्टडी से छुड़वाने समेत 30 से अधिक आपराधिक मुकदमे उस पर दर्ज है. इनमें से कई मुकदमों में वह बरी हो चुका है.
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