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बदायूं: महिला जिला अस्पताल में स्वास्थ्य महानिदेशक का दौरा - badaun women's district hospital

बदायूं के महिला जिला अस्पताल में पिछले 50 दिनों में 32 नवजात बच्चों की मौत ने स्वास्थ्य महकमे पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है. इस संदर्भ में मंगलवार को महानिदेशक स्वास्थ्य परिवार कल्याण ने बदायूं के जिला महिला अस्पताल का निरीक्षण किया.

महिला जिला अस्पताल में स्वास्थ्य महानिदेशक का दौरा
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Published : Aug 13, 2019, 9:46 PM IST

बदायूं: जनपद के महिला जिला अस्पताल में बने एसएनसीयू में पिछले 50 दिनों में 32 नवजात बच्चों की मौत ने स्वास्थ्य महकमे पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है. पूरे मामले की धमक लखनऊ तक पहुंचने के बाद मंगलवार को महानिदेशक स्वास्थ्य परिवार कल्याण ने बदायूं के महिला जिला अस्पताल का निरीक्षण किया.

जानकारी देते डॉ उमाकांत, महानिदेशक स्वास्थ्य परिवार कल्याण

उन्होंने एसएनसीयू वॉर्ड में जाकर बच्चों का हालचाल जाना. महानिदेशक डॉ.उमाकांत ने एसएनसीयू वॉर्ड का बारीकी से निरीक्षण भी किया. डॉ उमाकांत ने बताया कि मई के महीने में 24 मौतें हुई थी और उसके बाद 32 मौतें हुई . कहा जा रहा है कि मौतें संक्रमड से हो रही हैं ऐसा नहीं है,बच्चो में किसी प्रकार का संक्रमड नही होता है.

यहां पर बच्चे काफी संख्या में आ रहे है इस वजह से 1 बेड पर 2 बच्चे रखने पड़ रहे हैं. स्टाफ की कमी है, जिसको बढ़ाया जा रहा है. 3 माह में 300 बच्चे भर्ती हुए, जिनमें से 24 बच्चे मई में और बाद में 32 बच्चो की और मौतें हुई हैं.

बदायूं: जनपद के महिला जिला अस्पताल में बने एसएनसीयू में पिछले 50 दिनों में 32 नवजात बच्चों की मौत ने स्वास्थ्य महकमे पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है. पूरे मामले की धमक लखनऊ तक पहुंचने के बाद मंगलवार को महानिदेशक स्वास्थ्य परिवार कल्याण ने बदायूं के महिला जिला अस्पताल का निरीक्षण किया.

जानकारी देते डॉ उमाकांत, महानिदेशक स्वास्थ्य परिवार कल्याण

उन्होंने एसएनसीयू वॉर्ड में जाकर बच्चों का हालचाल जाना. महानिदेशक डॉ.उमाकांत ने एसएनसीयू वॉर्ड का बारीकी से निरीक्षण भी किया. डॉ उमाकांत ने बताया कि मई के महीने में 24 मौतें हुई थी और उसके बाद 32 मौतें हुई . कहा जा रहा है कि मौतें संक्रमड से हो रही हैं ऐसा नहीं है,बच्चो में किसी प्रकार का संक्रमड नही होता है.

यहां पर बच्चे काफी संख्या में आ रहे है इस वजह से 1 बेड पर 2 बच्चे रखने पड़ रहे हैं. स्टाफ की कमी है, जिसको बढ़ाया जा रहा है. 3 माह में 300 बच्चे भर्ती हुए, जिनमें से 24 बच्चे मई में और बाद में 32 बच्चो की और मौतें हुई हैं.

Intro:बदायूं के जिला महिला अस्पताल में बने एसएनसीयू में पिछले 50 दिनों में 32 नवजात बच्चों की मौत ने स्वास्थ्य महकमे पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है पूरे मामले की धमक लखनऊ तक पहुंचने के बाद आज महानिदेशक स्वास्थ्य परिवार कल्याण ने बदायूं के जिला महिला अस्पताल का निरीक्षण किया और एसएनसीयू वार्ड में जाकर बच्चों का हालचाल जाना साथ ही उन्होंने एसएनसीयू वार्ड में एक एक चीज का बारीकी से निरीक्षण भी किया।


Body:यूं तो सरकार की तरफ से नवजात बच्चों की उचित देखभाल के लिए बदायूं के जिला महिला अस्पताल में 12 बेड का एसएनसीयू वार्ड 1 साल पहले बनाया गया था लेकिन अब यह नवजात बच्चों के लिए नर्क बनता जा रहा है पिछले 50 दिनों में यहां 32 नवजात बच्चों की मौत हो चुकी है मीडिया में आई खबरों के बाद सरकार चेती और आज स्वास्थ्य महानिदेशक परिवार कल्याण को मामले की जांच के लिए बदायूं भेजा महानिदेशक ने एसएनसीयू वार्ड में सारी चीजों का बारीकी से निरीक्षण किया साथ ही डॉक्टरों से भी बातचीत की और कितने बच्चों की मौत हुई उसका कारण जानने की कोशिश की,साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि 3 माह के आकड़ों के अनुसार मई में 24 मौतें हुई थी उसके बाद 32 और हुई है,उनके अनुसार 3 महीने में 300 बच्चे भर्ती हुए और मौतें कुल 56 हो चुकी है।

पीटीसी--समीर सक्सेना

बहीं दूसरी तरफ भर्ती बच्चो के परिजनों का आरोप है कि एक एक बैड पर 2-2 बच्चे भर्ती करे जा रहे है,कोई अधिकारी आता है तो अतरिक्त बच्चो को उनके परिजनों को सौंप कर अलग कमरे में भेज दिया जाता है।

बाइट--भर्ती बच्चो के परिजन


Conclusion:लबदायूँ पहुंचे स्वास्थ्य निदेशक डॉ उमाकांत के मुताबिक मई के महीने में 24 मौतें हुई थी और उसके बाद 32 मौतें हुई है,उन्होंने कहा कि कहा जा रहा है कि मौतें संक्रमड से हो रही है, ऐसा नही है,बच्चो में किसी प्रकार का संक्रमड नही होता है,और यह मौतें संक्रमड की वजह से नही हुई है,यहाँ पर बच्चे काफी संख्या में आ रहे है इस वजह से 1 बेड पर 2 बच्चे रखने पड़ रहे है,स्टाफ की कमी है जिसको बढ़ाया जा रहा है।उन्होंने यह भी कहा कि 3 माह में 300 बच्चे भर्ती हुए जिनमे से 24 बच्चे मई में मरे उसके बाद 32 बच्चो की और मौतें हुइ है।

बाइट--डॉ उमाकांत (महानिदेशक स्वास्थ्य परिवार कल्याण)


समीर सक्सेना
बदायूँ
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