बदायूं: मनरेगा यानी मजदूरों के लिए 100 दिन की रोजगार की गारंटी, लेकिन मजदूरों की मानें तो मनरेगा में बड़े पैमाने पर धांधली हो रही है. प्रधान और ठेकेदार की मिलीभगत की वजह से मजदूरों की मुसीबत बढ़ गयी है. मजदूरों का कहना है कि कई बार शिकायत की, लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ है. कोई भी उन्हें काम नहीं दे रहा है.
मनरेगा योजना के तहत गांव के मजदूरों को 100 दिन काम देना का वादा होता है. इस योजना की कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टी हमेशा तारीफ करती है, लेकिन बदायू में इसमें बड़े पैमाने पर धांधली हो रही है. मजदूरों का कहना है कि उन्हें काम ही नहीं मिल पा रहा है.100 दिन तो क्या उन्हें 50 दिन भी काम नहीं मिल पा रहा है. गांव के प्रधान और ठेकेदार बीच में घपला कर देते हैं, जिसकी वजह से उन्हें काम नहीं मिल पाता है. जॉब कार्ड होने के बावजूद भी उन्हें काम नहीं दिया जाता है. काम मांगने जाओ तो उन्हें भगा दिया जाता है.
किसान शिव कुमार ने बताया कि उन्होंने कई बार इसकी शिकायत भी की, लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ. उन्हें अधिकारी केवल आश्वासन ही देते हैं, लेकिन कभी कोई कार्रवाईन नहीं करते हैं. मजदूरों की मानें तो यह मिलीभगत का खेल काफी लंबे समय से चला आ रहा है. सरकार ने यह योजना गरीब मजदूरों के लिए चलाई थी ताकि उन्हें रोजगार मिल सके. अधिकारियों की लापरवाही की वजह से यह योजना धांधली की भेंट चढ़ती जा रही है.