आजमगढ़ः रमाकांत यादव की गिनती पूर्वांचल के बाहुबली नेताओं में होती है. रमाकांत यादव ने 1985 में फूलपुर सीट से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी. 1993 तक लगातार चार बार वे विधायक चुने गए. साल 1996 में उन्होंने अपनी पत्नी रंजना यादव को फूलपुर पवई सीट से लड़ाया और खुद लोकसभा का चुनाव आजमगढ़ सीट से लड़े. उनकी पत्नी विधायक नहीं बन सकीं, बाद में ये सीट बेटे अरुणकांत यादव के लिए छोड़ दी.
अरुणकांत 2007 में यहां से एसपी के विधायक बने थे. वहीं रमाकांत यादव विभिन्न दलों से चार बार सांसद चुने गए. साल 2009 में रमाकांत यादव बीजेपी से सांसद चुने गए थे. वहीं साल 2017 में अरुणकांत यादव बीजेपी से विधायक चुने गए.
साल 2019 में बीजेपी ने रमाकांत यादव को लोकसभा टिकट नहीं दिया, तो वे कांग्रेस में शामिल हो गये. जिसके बाद उन्होंने भदोही से लोकसभा चुनाव लड़ा और जमानत भी नहीं बचा पाए. उन्हें केवल 26 हजार वोट मिले. इसके बाद रमाकांत यादव एसपी में शामिल हो गए. लेकिन पार्टी में लगातार वे हाशिए पर दिख रहे थे. अब पार्टी ने बड़ा फैसला लेते हुए उन्हें फूलपुर पवई सीट से उम्मीदवार बना दिया है. वर्तमान में ये सीट बीजेपी के पास है और रमाकांत के ही बेटे अरुणकांत यादव यहां से विधायक हैं. अरुणकांत बीजेपी से यहां के लिए टिकट की दावेदारी भी कर रहे हैं.
वहीं अब रमाकांत यादव मैदान में उतर चुके हैं. एसपी से यहां पूर्व विधायक श्याम बहादुर यादव भी टिकट की दावेदारी कर रहे थे. जिन्हें रमाकांत का धुर विरोधी माना जाता है. कई मौकों पर दोनों आमने-सामने हो चुके हैं. यहां तक दोनों के बीच थाने में सार्वजनिक रुप से विवाद हो चुका है. अब रमाकांत यादव मैदान में हैं और श्याम बहादुर को पार्टी ने किनारे कर दिया है. ऐसे में उनके समर्थकों में गुस्सा साफ दिख रहा है. श्याम बहादुर के साथ यादवों का एक बड़ा गुट है, जो सीधे तौर पर रमाकांत को पसंद नहीं करता है. इन्हें साधना रमाकांत के लिए बड़ी चुनौती होगी.
रमाकांत और अरुणकांत के संबंध भी बहुत अच्छे नहीं हैं. रमाकांत यादव ने पहली पत्नी के रहते रंजना यादव से शादी कर ली थी. जिसके बाद बाद दोनों के बीच दरार पड़ी, जो आज तक कायम है. पिछले निकाय चुनाव में अरुणकांत ने अपनी मां को माहुल से अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ाया तो अंदर खाने से रमाकांत ने विरोध किया था. यही नहीं अभी हाल में हुए पंचायत चुनाव में अरुण ने अपने भाई वरुणकांत को पवई सीट से ब्लॉक प्रमुख चुनाव लड़ाया था. उस समय सपा प्रत्याशी और अरुणकांत में विवाद हुआ था. उस समय भी रमाकांत सपा के साथ खड़े हुए थे. अरुण मीडिया के सामने भी कह चुके हैं. पिता मैदान में उतरे या कोई और उनकी वैचारिक लड़ाई है और पूरी ताकत से लड़ेंगे.
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हाल ही में जब रमाकांत ने फूलपुर से टिकट मांगा था, तो उस समय सवाल उठा था कि बेटे के खिलाफ कैसे लड़ सकते हैं. उस समय उनका कहना था कि खिलाफ चुनाव लड़ने वाला सिर्फ प्रतिद्वंदी होता है. बीजेपी को आजमगढ़ में एक भी सीट नहीं जीतने देंगे. अगर बीजेपी का खाता खुला तो राजनीति से संन्यास लें लेंगे.