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आजमगढ़: शिक्षक दंपति ने किया लॉकडाउन का सदुपयोग, घर की छतों पर उगा डाली सब्जियां - आजमगढ़ खबर

यूपी के आजमगढ़ में रहने वाले एक शिक्षक दंपति ने लॉकडाउन का बेहतर तरीके से सदुपयोग किया. प्राइमरी स्कूल में पढ़ाने वाले ये शिक्षक दंपति अपनी घर की छत पर ही सब्जियां उगा रहे हैं. इनका कहना है कि इससे उन्हें ताजी सब्जियां मिल जाती हैं और उन्हें घर से बाहर भी नहीं निकलना पड़ता.

शिक्षक दंपति ने किया लॉकडाउन का सदुपयोग.
शिक्षक दंपति ने किया लॉकडाउन का सदुपयोग.
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Published : Jul 31, 2020, 5:10 PM IST

आजमगढ़: देश में कोरोना महामारी फैली हुई है. लोग अपने-अपने घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं. सरकारें भी कोरोना से बचाव के लिए जी-जान से लगी हुई हैं. कोरोना के शुरुआती समय में केंद्र सरकार ने लॉकडाउन भी घोषित किया था. कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपदा को अवसर में बदलने की बात भी कही थी. उनसे प्रेरणा पाकर जनपद के शिक्षक दंपति ने एक अनूठी पहल की है. लॉकडाउन के दौरान समय का सदुपयोग करते हुए शिक्षक दंपति अपने घर की छतों पर ही सब्जियां उगा रहे हैं.

शिक्षक दंपति ने किया लॉकडाउन का सदुपयोग.

शिक्षक दंपति का कहना है कि इस तरह से उनको ताजी हरी सब्जियां मिल जाती हैं और घर से भी बाहर नहीं निकलना पड़ता. इतना ही नहीं, घर की छत पर उगाई गई इन सब्जियों को वह घर में काम करने आने वाले लोगों को भी दे देते हैं, जिससे उन्हें भी घर से कम से कम बाहर निकलना पड़े.

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए प्राइमरी स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक बृजेश राय ने बताया कि जब पूरे देश में 3 महीने का लॉकडाउन लगाया गया और सब कुछ बंद हो गया. उस समय पहले हम लोग अपने घर की छत के ऊपर फूल के पौधे लगाते थे, लेकिन लॉकडाउन में मेरे दिमाग में एक आइडिया आया कि क्यों ना घर की छत पर सब्जियां लगाएं. इसी आइडिया पर काम करते हुए हमने अपने घर की छत पर सेम, करेला, पुदीना, मक्का, शिमला मिर्च, भिंडी, हरी मिर्च, तोरई, ककड़ी जैसी सब्जियों के पौधे लगाए. छत पर लगाई गई इन सब्जियों से इतनी सब्जियां मिल जाती है कि हमें घर से बाहर नहीं निकलना पड़ता है. यह लॉकडाउन में मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है.

नहीं निकलना पड़ता घर से बाहर

वहीं बृजेश राय की पत्नी शिक्षिका गरिमा राय का कहना है कि लगातार जिस तरह से पूरे देश में कोरोना फैल रहा है. ऐसे में हम लोगों को कम से कम घर से बाहर निकलना पड़े, इसलिए हमने घर की छत पर सब्जियां लगाने का फैसला लिया. हम दोनों लोगों द्वारा लिए गए इस फैसले का फायदा भी हुआ. अब घर की छत पर इतनी सब्जियां उपलब्ध हो जाती हैं, जिससे हमें सब्जियों के लिए बाजार नहीं जाना पड़ता है. इसके साथ ही जो भी लोग हमारे घरों पर काम करते हैं उन्हें भी हम सब्जियां दे देते हैं, जिससे उन्हें भी कम से कम बाजार जाना पड़े. घर की छत पर उगाई गई यह सब्जियां ऑर्गेनिक भी हैं और निश्चित रूप से यह बाजार की सब्जियों से बेहतर भी हैं.

आजमगढ़: देश में कोरोना महामारी फैली हुई है. लोग अपने-अपने घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं. सरकारें भी कोरोना से बचाव के लिए जी-जान से लगी हुई हैं. कोरोना के शुरुआती समय में केंद्र सरकार ने लॉकडाउन भी घोषित किया था. कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपदा को अवसर में बदलने की बात भी कही थी. उनसे प्रेरणा पाकर जनपद के शिक्षक दंपति ने एक अनूठी पहल की है. लॉकडाउन के दौरान समय का सदुपयोग करते हुए शिक्षक दंपति अपने घर की छतों पर ही सब्जियां उगा रहे हैं.

शिक्षक दंपति ने किया लॉकडाउन का सदुपयोग.

शिक्षक दंपति का कहना है कि इस तरह से उनको ताजी हरी सब्जियां मिल जाती हैं और घर से भी बाहर नहीं निकलना पड़ता. इतना ही नहीं, घर की छत पर उगाई गई इन सब्जियों को वह घर में काम करने आने वाले लोगों को भी दे देते हैं, जिससे उन्हें भी घर से कम से कम बाहर निकलना पड़े.

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए प्राइमरी स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक बृजेश राय ने बताया कि जब पूरे देश में 3 महीने का लॉकडाउन लगाया गया और सब कुछ बंद हो गया. उस समय पहले हम लोग अपने घर की छत के ऊपर फूल के पौधे लगाते थे, लेकिन लॉकडाउन में मेरे दिमाग में एक आइडिया आया कि क्यों ना घर की छत पर सब्जियां लगाएं. इसी आइडिया पर काम करते हुए हमने अपने घर की छत पर सेम, करेला, पुदीना, मक्का, शिमला मिर्च, भिंडी, हरी मिर्च, तोरई, ककड़ी जैसी सब्जियों के पौधे लगाए. छत पर लगाई गई इन सब्जियों से इतनी सब्जियां मिल जाती है कि हमें घर से बाहर नहीं निकलना पड़ता है. यह लॉकडाउन में मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है.

नहीं निकलना पड़ता घर से बाहर

वहीं बृजेश राय की पत्नी शिक्षिका गरिमा राय का कहना है कि लगातार जिस तरह से पूरे देश में कोरोना फैल रहा है. ऐसे में हम लोगों को कम से कम घर से बाहर निकलना पड़े, इसलिए हमने घर की छत पर सब्जियां लगाने का फैसला लिया. हम दोनों लोगों द्वारा लिए गए इस फैसले का फायदा भी हुआ. अब घर की छत पर इतनी सब्जियां उपलब्ध हो जाती हैं, जिससे हमें सब्जियों के लिए बाजार नहीं जाना पड़ता है. इसके साथ ही जो भी लोग हमारे घरों पर काम करते हैं उन्हें भी हम सब्जियां दे देते हैं, जिससे उन्हें भी कम से कम बाजार जाना पड़े. घर की छत पर उगाई गई यह सब्जियां ऑर्गेनिक भी हैं और निश्चित रूप से यह बाजार की सब्जियों से बेहतर भी हैं.

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