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आजमगढ़: अंग्रेजों का विरोध करने पर भीखा और गोगा शाव को मिली थी काला पानी की सजा

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में दो सगे भाइयों ने आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इन दोनों भाइयों ने अंग्रेजी सेना के विरुद्ध कुंवर सिंह की सेना को प्रश्रय दिया था. इसके लिए दोनों भाइयों को काला पानी की सजा दी गई थी.

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Published : Aug 13, 2019, 7:19 AM IST

शहीद भीखा शाव और गोगा शाव.

आजमगढ़: 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम में जिले के अजमतगढ़ गांव के निवासी दो सगे भाइयों भीखा शाव और गोगा शाव ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इन दोनों भाइयों ने अंग्रेजी सेना के विरुद्ध कुंवर सिंह की सेना को प्रश्रय दिया था. इसका खामियाजा इन दोनों भाइयों को काला पानी की सजा के रूप में भुगतना पड़ा था.

शहीद भीखा और गोगा शाव की बलिदान की कहानी.

जानें भीखा शाव और गोगा शाव की बलिदान की कहानी

भीखा शाव और गोगा शाव का चीनी बनाने का कारखाना था. इन्होंने 1857 में आजादी की लड़ाई में कुंवर सिंह की सेना को प्रश्रय दिया था. कुंवर सिंह की सेना को राशन देने के साथ ही यहां के स्थानीय कुएं में भी दोनों भाइयों ने इतनी चीनी डलवा दी थी, जिससे पूरे कुएं का पानी मीठा हो गया और कुंवर सिंह की सेना इसी के भरोसे डेढ़ महीने तक अंग्रेजों से लड़ती रही.

युगों-युगों तक याद किया जाएगा भीखा और गोगा का बलिदान

इन दोनों भाइयों के बारे में जब अंग्रेजों को पता चला तो अंग्रेजों ने दोनों भाइयों को गिरफ्तार कर तरह-तरह की यातनाएं देने के साथ इन दोनों भाइयों को काला पानी की सजा दे दी, जिससे दोनों भाई शहीद हो गये पर शव आज तक नहीं मिले. प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त और 26 जनवरी को पूरे आजमगढ़ के लोग इन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. आजादी की लड़ाई में जिस तरह से इन दोनों भाइयों ने अंग्रेजों की सेना के विरुद्ध कुंवर सिंह का सहयोग किया. निश्चित रूप से यह दोनों भाई आजमगढ़ के इतिहास में युगों-युगों तक याद किए जाएंगे.

आजमगढ़: 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम में जिले के अजमतगढ़ गांव के निवासी दो सगे भाइयों भीखा शाव और गोगा शाव ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इन दोनों भाइयों ने अंग्रेजी सेना के विरुद्ध कुंवर सिंह की सेना को प्रश्रय दिया था. इसका खामियाजा इन दोनों भाइयों को काला पानी की सजा के रूप में भुगतना पड़ा था.

शहीद भीखा और गोगा शाव की बलिदान की कहानी.

जानें भीखा शाव और गोगा शाव की बलिदान की कहानी

भीखा शाव और गोगा शाव का चीनी बनाने का कारखाना था. इन्होंने 1857 में आजादी की लड़ाई में कुंवर सिंह की सेना को प्रश्रय दिया था. कुंवर सिंह की सेना को राशन देने के साथ ही यहां के स्थानीय कुएं में भी दोनों भाइयों ने इतनी चीनी डलवा दी थी, जिससे पूरे कुएं का पानी मीठा हो गया और कुंवर सिंह की सेना इसी के भरोसे डेढ़ महीने तक अंग्रेजों से लड़ती रही.

युगों-युगों तक याद किया जाएगा भीखा और गोगा का बलिदान

इन दोनों भाइयों के बारे में जब अंग्रेजों को पता चला तो अंग्रेजों ने दोनों भाइयों को गिरफ्तार कर तरह-तरह की यातनाएं देने के साथ इन दोनों भाइयों को काला पानी की सजा दे दी, जिससे दोनों भाई शहीद हो गये पर शव आज तक नहीं मिले. प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त और 26 जनवरी को पूरे आजमगढ़ के लोग इन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. आजादी की लड़ाई में जिस तरह से इन दोनों भाइयों ने अंग्रेजों की सेना के विरुद्ध कुंवर सिंह का सहयोग किया. निश्चित रूप से यह दोनों भाई आजमगढ़ के इतिहास में युगों-युगों तक याद किए जाएंगे.

Intro:anchor: आजमगढ़।( 15 अगस्त विशेष) 1857 में आजादी की लड़ाई में आजमगढ़ जनपद के अजमतगढ़ निवासी दो सगे भाइयों भीखा शाव व गोगा शाव ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इन दोनों भाइयों ने अंग्रेजी सेना के विरुद्ध कुंवर सिंह की सेना को प्रश्रय दिया था जिसका खामियाजा इन दोनों भाइयों को काला पानी की सजा के रूप में भुगतना पड़ा।


Body:वीओ:1 अजमतगढ़ निवासी इन दोनों भाइयों का चीनी बनाने का कारखाना था। अंग्रेजों की सेना जब आजमगढ़ पहुंची तो इन दोनों भाइयों ने राजा कुंवर सिंह की सेना को प्रश्रय दिया। ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए विपुल कुमार ने बताया कि इन दोनों भाइयों ने गांव के कुएं में चीनी डलवा दी और इसके साथ ही कुंवर सिंह की सेना को राशन भी उपलब्ध कराया इस बात की जानकारी जब अंग्रेजों को हुई तो अंग्रेजो ने इन दोनों भाइयों को काला पानी की सजा देने के साथ तरह-तरह की यातनाएं भी दी। स्थानीय रिटायर्ड शिक्षक कैलाशपति पांडे ने बताया कि इन दोनों भाइयों ने अंग्रेजी सेनाओं का विरोध करते हुए कुंवर सिंह की सेना को डेढ़ महीने तक प्रश्रय दिया। कुंवर सिंह की सेना को राशन देने के साथ ही यहां के स्थानीय कुएं में भी इन दोनों भाइयों ने इतनी चीनी डलवा दी कि इस पूरे कुए का पानी मीठा हो गया और कुंवर सिंह की सेना इसी के भरोसे डेढ़ महीने तक यहां अंग्रेजों से लड़ती रही। राष्ट्रवादी इन दोनों भाइयों के बारे में जब अंग्रेजों को पता चला तो अंग्रेजों ने इन दोनों भाइयों को गिरफ्तार कर तरह-तरह की यातनाएं देने के साथ इन दोनों भाइयों को काला पानी की सजा दे दी इन दोनों भाइयों की डेड बॉडी आज तक नहीं मिली। प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त व 26 जनवरी को इस प्रतिमा पर हम लोग श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और इन दोनों भाइयों ने जिस तरह से आजादी की लड़ाई में अपने को बलिदान की किया है हम लोग इन्हें नमन करते हैं।


Conclusion:बाइट: विपुल कुमार, कैलाशपति पांडे
अजय कुमार मिश्रा आजमगढ़ 9453766900

बताते चलें कि आजमगढ़ का अजमतगढ़ क्षेत्र बड़ी रियासत रही है। आजादी की लड़ाई में जिस तरह से इन दोनों भाइयों ने अंग्रेजों की सेना के विरुद्ध कुंवर सिंह का सहयोग किया निश्चित रूप से यह दोनों भाई आजमगढ़ के इतिहास में युगो युगो तक याद किए जाएंगे।
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