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लॉकडाउन ने पढ़ाया 'आत्मनिर्भरता' का पाठ, लोगों ने घरों में कर डाली सब्जियों की खेती - छतों पर ऑर्गेनिक सब्जियों की खेती

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में कोरोना को देखते हुए और बाहर निकलने से बचने के लिए लोगों ने घरों की छत पर ही ऑर्गेनिक सब्जियां उगा डाली. इससे लोगों को बाहर नहीं निकलना पड़ रहा है. साथ ही सब्जियां भी भरपूर मात्रा में मिल जा रही हैं.

छत पर कर डाली ऑर्गेनिक सब्जियों की खेती
छत पर कर डाली ऑर्गेनिक सब्जियों की खेती
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Published : Jul 18, 2020, 10:49 AM IST

आजमगढ़: पूरे देश में लगभग 3 महीने से अधिक समय तक चले लॉकडाउन से जहां आम जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ, वहीं कुछ लोगों को इस लॉकडाउन ने आत्मनिर्भर बनने का मौका भी दिया है. ऐसे ही आजमगढ़ जनपद में बड़ी संख्या में लोगों ने अपने घर की छतों पर ऑर्गेनिक सब्जियों की खेती कर डाली, ताकि उन्हें घरों से न निकलना पड़े और संक्रमण से बचा जा सके.

छत पर कर डाली ऑर्गेनिक सब्जियों की खेती.
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए घर पर सब्जी उगाने वाले किरण सिंह का कहना है कि लगभग 3 महीने से अधिक समय का लॉकडाउन काफी उलझन भरा रहा. इस दौरान काफी परेशानियां भी उठानी पड़ी. सरकार और प्रशासन लगातार लोगों से अपने घरों से न निकलने की अपील कर रहा था. ऐसे में सब्जियों की समस्या न हो, इसके लिए घर की छत पर ही ऑर्गेनिक सब्जियों की खेती करना शुरू कर दिया. जब सब्जियां आने लगी तो निश्चित रूप से अच्छा लगने लगा.

किरण सिंह का कहना है कि लौकी, तोरई, नेनुवा, कद्दू, हरी मिर्च, धनिया, टमाटर, भिन्डी, बैगन घर की छतों पर होने लगी. हर दूसरे दिन इतनी सब्जियां मिल जाती थी कि सब्जियों को खरीदने के लिए बाजार नहीं जाना पड़ता.

घर में ही सब्जियां उगाने वाले डॉक्टर पारिजात बरनवाल का कहना है कि पूरे देश में कोरोना की भयावह बढ़ रही है. इसी को देखते हुए उन्होंने सब्जियां उगाने का फैसला लिया और साग, नेनुआ, तोरई, कद्दू, लौकी, भिंडी की सब्जियां घर पर ही उगा डाली. इससे उन्हें दैनिक यूज के लिए सब्जियां मिल जाती हैं और सब्जियों के लिए उन्हें बाहर नहीं जाना पड़ता है. कभी-कभी इतनी सब्जियां हो जाती हैं कि उन्हें आसपास के लोगों में बांटना भी पड़ता है.

पेशे से शिक्षिका गरिमा राय का कहना है कि कोरोना वायरस को देखते हुए उन्होंने लॉकडाउन के समय घर की छत पर ही सब्जी लगाने का विचार आया. इससे घर से कम से कम बाहर निकलना नहीं पड़ेगा. इसके बाद बैगन, टमाटर, हरी मिर्च, मक्का, नींबू, लौकी, तोरई, जैसी सब्जियों को छतों पर लगाया और अब उन्हें इन सब्जियों को लेने के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता. साथ ही घर में काम करने आने वाले नौकरों को भी वे सब्जियां दे देती हैं, जिससे उनके साथ-साथ उन लोगों को भी घर से बाहर कम से कम निकलना पड़ेगा.

आजमगढ़: पूरे देश में लगभग 3 महीने से अधिक समय तक चले लॉकडाउन से जहां आम जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ, वहीं कुछ लोगों को इस लॉकडाउन ने आत्मनिर्भर बनने का मौका भी दिया है. ऐसे ही आजमगढ़ जनपद में बड़ी संख्या में लोगों ने अपने घर की छतों पर ऑर्गेनिक सब्जियों की खेती कर डाली, ताकि उन्हें घरों से न निकलना पड़े और संक्रमण से बचा जा सके.

छत पर कर डाली ऑर्गेनिक सब्जियों की खेती.
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए घर पर सब्जी उगाने वाले किरण सिंह का कहना है कि लगभग 3 महीने से अधिक समय का लॉकडाउन काफी उलझन भरा रहा. इस दौरान काफी परेशानियां भी उठानी पड़ी. सरकार और प्रशासन लगातार लोगों से अपने घरों से न निकलने की अपील कर रहा था. ऐसे में सब्जियों की समस्या न हो, इसके लिए घर की छत पर ही ऑर्गेनिक सब्जियों की खेती करना शुरू कर दिया. जब सब्जियां आने लगी तो निश्चित रूप से अच्छा लगने लगा.

किरण सिंह का कहना है कि लौकी, तोरई, नेनुवा, कद्दू, हरी मिर्च, धनिया, टमाटर, भिन्डी, बैगन घर की छतों पर होने लगी. हर दूसरे दिन इतनी सब्जियां मिल जाती थी कि सब्जियों को खरीदने के लिए बाजार नहीं जाना पड़ता.

घर में ही सब्जियां उगाने वाले डॉक्टर पारिजात बरनवाल का कहना है कि पूरे देश में कोरोना की भयावह बढ़ रही है. इसी को देखते हुए उन्होंने सब्जियां उगाने का फैसला लिया और साग, नेनुआ, तोरई, कद्दू, लौकी, भिंडी की सब्जियां घर पर ही उगा डाली. इससे उन्हें दैनिक यूज के लिए सब्जियां मिल जाती हैं और सब्जियों के लिए उन्हें बाहर नहीं जाना पड़ता है. कभी-कभी इतनी सब्जियां हो जाती हैं कि उन्हें आसपास के लोगों में बांटना भी पड़ता है.

पेशे से शिक्षिका गरिमा राय का कहना है कि कोरोना वायरस को देखते हुए उन्होंने लॉकडाउन के समय घर की छत पर ही सब्जी लगाने का विचार आया. इससे घर से कम से कम बाहर निकलना नहीं पड़ेगा. इसके बाद बैगन, टमाटर, हरी मिर्च, मक्का, नींबू, लौकी, तोरई, जैसी सब्जियों को छतों पर लगाया और अब उन्हें इन सब्जियों को लेने के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता. साथ ही घर में काम करने आने वाले नौकरों को भी वे सब्जियां दे देती हैं, जिससे उनके साथ-साथ उन लोगों को भी घर से बाहर कम से कम निकलना पड़ेगा.

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