आजमगढ़: अयोध्या से नेपाल के श्रीधाम जनकपुर से निकली भगवान श्रीराम जानकी विवाह बारात यात्रा का लोगों ने जोरदार स्वागत किया. जनपद में बड़ी संख्या में लोगों ने भगवान श्रीराम के जयकारों के साथ इस वैवाहिक यात्रा पर फूलों से वर्षा की. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए राजा दशरथ बने महंत कन्हैया दास ने कहा कि जैसे धनुष टूटने से राजा दशरथ प्रसन्न हुए थे, उसी तरह इस बार सुप्रीम कोर्ट का फैसला राम लला के पक्ष में आने से साधु समाज और भक्तों में प्रसन्नता है.
दरअसल, भगवान श्रीराम की यह वैवाहिक यात्रा हर 5 साल में एक बार जाती है और इसका लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है. भगवान श्रीराम की वैवाहिक यात्रा में बड़ी संख्या में बाराती शामिल होते हैं और खुशियां मनाते हैं.
सुबह 9 बजे अयोध्या से शुरू हुई भगवान श्रीराम की यह यात्रा जनकपुर गई. यह यात्रा उसी मार्ग से होकर गुजरी, जिस मार्ग से त्रेतायुग में विश्वामित्र ने श्रीराम जी को लेकर जनकपुर गए थे.
-राजेंद्र सिंह पंकज, केंद्रीय मंत्री, विश्व हिंदू परिषद
भगवान श्रीराम की यात्रा में राजा दशरथ की भूमिका में महंत कन्हैया दास महाराज ने बताया
त्रेतायुग में भगवान श्रीराम ने जनकपुर में धनुष तोड़कर कीर्तिमान स्थापित किया था. जब भगवान राम और सीता का विवाह हुआ तो संसार से दुराचार, पापाचार और भ्रष्टाचार सब मिट गया और राम राज्य की स्थापना हुई. इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए कई वर्षों से भगवान श्रीराम की यह बारात जनकपुर जाती है. इस विवाह उत्सव से समाज में प्रेम सदाचार और सौभाग्य बढ़ता है. भगवान श्रीराम की यह बारात ऐतिहासिक और अलौकिक है.
भगवान श्रीराम की बारात में वशिष्ठ की भूमिका में रामेश्वर दास महाराज ने कहा
गुरुकुल में शिक्षा के बाद ही भगवान श्री राम विवाह योग्य हो गए हैं. गुरुकुल से उनकी शिक्षा-दीक्षा पूरी हो गई है और शिक्षा के साथ ही अब भगवान श्रीराम गृहस्थ जीवन में प्रवेश करेंगे.
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