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पलिया केस में दोषी पुलिसकर्मियों पर दर्ज हो डकैती का मुकदमा: रामगोविंद चौधरी - रामगोविंद चौधरी

यूपी के आजमगढ में रौनापार थाना क्षेत्र के पलिया गांव पहुंचे नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने पीड़त परिवारों से मुलाकात कर मुद्दे को सड़क से लेकर सदन तक उठाने की बात कही. कुछ दिन पहले यहां पुलिस और ग्रामीणों में मारपीट का मामला सामने आया था.

पलिया गांव पहुंचे नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी
पलिया गांव पहुंचे नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी
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Published : Jul 16, 2021, 11:51 PM IST

Updated : Jul 17, 2021, 12:54 AM IST

आजमगढ: जिले के पलिया में दलित उत्पीड़न के शिकार लोगों से मिलने के लिए समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के नेता व नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी (Leader of Opposition Ramgovind Chowdhury) पलिया गांव पहुंचे. उन्होंने पीड़ित परिजनों से मुलाकात की. चौधरी ने प्रकरण में दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ डकैती, हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज करने और पीड़ित परिवारों को तत्काल मुआवजा देने की मांग की. उन्होंने आश्वासन दिया कि समाजवादी पार्टी इस जघन्य कांड को सदन में उठाएगी.

जानकारी देते नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी
रामगोविंद चौधरी ने कहा कि पलिया की घटना इस सरकार में महिलाओं के अपमान का एक उदाहरण है, जहां महिलाओं के साथ अत्याचार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि 45 वर्ष की राजनीति में मैने अब तक पलिया जैसी विभत्स घटना नहीं देखी. पुलिस की ये कार्रवाई दर्दनाक व निंदनीय है. इस दौरान उन्होंने पीड़ित परिवारों से कहा कि सपा मुखिया अखिलेश यादव आप लोगों से मिलने आते, लेकिन सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव दिल्ली में भर्ती हैं, इसलिए वे यहां नहीं आ सके.

इस दौरान उन्होंने प्रदेश की योगी सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार तानाशाही कर रही है. आज हिटलर की भी आत्मा रो रही होगी. उन्होंने कहा कि यहां दलितों के घरों को लूटा गया, महिलाओं के साथ छेड़खानी हुई और बूढ़े-बच्चों को पीटा गया.

इसे भी पढ़ें-'राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ करती है सपा, कार्यकर्ता लगाते हैं पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे'

रामगोविंद चौधरी ने कहा कि घटना में शामिल पुलिस कर्मियों के विरुद्ध अनुसूचित जाति अधिनियम के साथ डकैती का मुकदमा दर्ज हो. पीड़ित परिवारों का जो भी नुकसान हुआ है, उसकी क्षतिपूर्ति सरकार करे. उन्होंने आश्वासन दिया कि समाजवादी पार्टी की सरकार बनती है, तो दोषियों पर मुकदमे दर्ज होंगे. फिलहाल, सपा इस मुद्दे को विधानसभा में प्रमुखता से उठाएगी और को सीएम को पूरी जानकारी दी जाएगी.
पढ़ें- विवाद सुलझाने गई पुलिस टीम पर हमला, 2 सिपाही गंभीर रूप से घायल

गौरतलब है कि रौनापार थाना क्षेत्र के पलिया गांव में 29 जून की शाम को गांव के ही एक बंगाली डॉक्टर से कुछ लोगों का विवाद हो गया था. सूचना के बाद नजदीक के पिकेट पर ड्यूटी कर रहे पुलिस के दो जवान मौके पर पहुंचे. आरोप है कि पुलिस के जवान वहां पहुंचे, तो वहां गांव के ग्राम प्रधान व उनके समर्थकों ने पुलिस टीम पर हमला किया. इस हमले में दो पुलिसकर्मी घायल हुए, जिसमें से एक की हालत अब भी गंभीर है. पुलिस पर हमले के बाद देर रात पुलिस ने दलित बस्ती की घेराबंदी की. मुख्य आरोपी बताए जा रहे ग्राम प्रधान के मकान में तोड़फोड़ की व मकान को गिरा दिया.

परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने उनके घरों में लूटपाट भी की. पुलिस की कार्रवाई को देखकर ग्रामीण सहम गए और इसके बाद पुरुष व बच्चे घर छोड़कर भाग गए. दूसरे दिन पुलिस ने 11 नामजद व 135 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया. इस घटना के बाद कांग्रेस ने पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और दलित और कांग्रेस कार्यकर्ता बस्ती में धरने पर बैठ गए. पिछले कई दिनों से कांग्रेस पार्टी दर्ज मामले को वापस लेने और दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग कर रही है.
पढ़ें- यूपी : विवाद के बाद पुलिसिया तोड़फोड़ से गरमाई 'दलित उत्पीड़न' की सियासत

आजमगढ: जिले के पलिया में दलित उत्पीड़न के शिकार लोगों से मिलने के लिए समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के नेता व नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी (Leader of Opposition Ramgovind Chowdhury) पलिया गांव पहुंचे. उन्होंने पीड़ित परिजनों से मुलाकात की. चौधरी ने प्रकरण में दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ डकैती, हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज करने और पीड़ित परिवारों को तत्काल मुआवजा देने की मांग की. उन्होंने आश्वासन दिया कि समाजवादी पार्टी इस जघन्य कांड को सदन में उठाएगी.

जानकारी देते नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी
रामगोविंद चौधरी ने कहा कि पलिया की घटना इस सरकार में महिलाओं के अपमान का एक उदाहरण है, जहां महिलाओं के साथ अत्याचार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि 45 वर्ष की राजनीति में मैने अब तक पलिया जैसी विभत्स घटना नहीं देखी. पुलिस की ये कार्रवाई दर्दनाक व निंदनीय है. इस दौरान उन्होंने पीड़ित परिवारों से कहा कि सपा मुखिया अखिलेश यादव आप लोगों से मिलने आते, लेकिन सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव दिल्ली में भर्ती हैं, इसलिए वे यहां नहीं आ सके.

इस दौरान उन्होंने प्रदेश की योगी सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार तानाशाही कर रही है. आज हिटलर की भी आत्मा रो रही होगी. उन्होंने कहा कि यहां दलितों के घरों को लूटा गया, महिलाओं के साथ छेड़खानी हुई और बूढ़े-बच्चों को पीटा गया.

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रामगोविंद चौधरी ने कहा कि घटना में शामिल पुलिस कर्मियों के विरुद्ध अनुसूचित जाति अधिनियम के साथ डकैती का मुकदमा दर्ज हो. पीड़ित परिवारों का जो भी नुकसान हुआ है, उसकी क्षतिपूर्ति सरकार करे. उन्होंने आश्वासन दिया कि समाजवादी पार्टी की सरकार बनती है, तो दोषियों पर मुकदमे दर्ज होंगे. फिलहाल, सपा इस मुद्दे को विधानसभा में प्रमुखता से उठाएगी और को सीएम को पूरी जानकारी दी जाएगी.
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गौरतलब है कि रौनापार थाना क्षेत्र के पलिया गांव में 29 जून की शाम को गांव के ही एक बंगाली डॉक्टर से कुछ लोगों का विवाद हो गया था. सूचना के बाद नजदीक के पिकेट पर ड्यूटी कर रहे पुलिस के दो जवान मौके पर पहुंचे. आरोप है कि पुलिस के जवान वहां पहुंचे, तो वहां गांव के ग्राम प्रधान व उनके समर्थकों ने पुलिस टीम पर हमला किया. इस हमले में दो पुलिसकर्मी घायल हुए, जिसमें से एक की हालत अब भी गंभीर है. पुलिस पर हमले के बाद देर रात पुलिस ने दलित बस्ती की घेराबंदी की. मुख्य आरोपी बताए जा रहे ग्राम प्रधान के मकान में तोड़फोड़ की व मकान को गिरा दिया.

परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने उनके घरों में लूटपाट भी की. पुलिस की कार्रवाई को देखकर ग्रामीण सहम गए और इसके बाद पुरुष व बच्चे घर छोड़कर भाग गए. दूसरे दिन पुलिस ने 11 नामजद व 135 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया. इस घटना के बाद कांग्रेस ने पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और दलित और कांग्रेस कार्यकर्ता बस्ती में धरने पर बैठ गए. पिछले कई दिनों से कांग्रेस पार्टी दर्ज मामले को वापस लेने और दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग कर रही है.
पढ़ें- यूपी : विवाद के बाद पुलिसिया तोड़फोड़ से गरमाई 'दलित उत्पीड़न' की सियासत

Last Updated : Jul 17, 2021, 12:54 AM IST
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