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आजमगढ़: लॉकडाउन का सदुपयोग करते हुए बच्चे ले रहे संगीत की शिक्षा

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में लॉकडाउन के समय का सदुपयोग करते हुए गांव के बच्चे संगीत की विभिन्न विधाएं सीख रहे हैं. बच्चों को शिक्षा दे रहे कृष्ण मुरारी मिश्रा का कहना है कि लॉकडाउन से पूर्व जहां बच्चे दो घंटे सीखने आते थे. वहीं इस समय 4 घंटे से 5 घंटे का समय संगीत सीखने में दे रहे हैं.

संगीत की शिक्षा
लॉकडाउन में बच्चे संगीत की शिक्षा ले रहे है.
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Published : May 19, 2020, 10:19 AM IST

आजमगढ़: देश में चल रहे लॉकडाउन के कारण जहां लोग अपने घरों में बैठने को मजबूर हैं. वहीं जनपद के सबसे पुराने संगीत घराने हरिहरपुर घराना के बच्चे इस विपदा की घड़ी में समय का सदुपयोग कर रहे हैं. बच्चे दिन-रात संगीत की शिक्षा ले रहे हैं.

संगीत की शिक्षा
बच्चे संगीत की शिक्षा ले रहे है.

लॉकडाउन के समय का बच्चे कर रहे सदुपयोग
लगभग 70 वर्षों से बच्चों को शिक्षा दे रहे कृष्ण मुरारी मिश्रा का कहना है कि इस विपदा की घड़ी में बच्चों को संगीत की विभिन्न विधाएं सिखाई जा रही हैं. गांव के बच्चों को राग-रागिनी के साथ-साथ संगीत की विभिन्न विधाएं इसलिए सिखाई जा रही हैं कि लॉकडाउन में गांव के बच्चे समय का सदुपयोग करें. लॉकडाउन से पूर्व जहां बच्चे दो घंटे सीखने आते थे. वहीं इस समय 5 घंटे से अधिक का समय संगीत सीखने में दे रहे हैं.

संगीत की परंपरा को बच्चे बढ़ाएंगे आगे
कृष्ण मुरारी मिश्रा का कहना है कि हमारी उम्र हो चुकी है. ऐसे में संगीत बच्चों में बांटना चाहते हैं, जिससे इस घराने की परंपरा को यह बच्चे आगे बढ़ा सकें. संगीत सीख रहे विवेक मिश्रा का कहना है कि पहले हम लोगों को सीखने का समय नहीं मिलता था और अब जब समय मिला है तो दिनभर हम लोग संगीत सीखते हैं.

संगीत की शिक्षा
शिक्षक कृष्ण मुरारी मिश्रा

गांव को देश-दुनिया में मिले पहचान
संगीत सीखने वाले पुष्कर मिश्रा का कहना है कि इसी गांव के हमारे बाबा छन्नूलाल मिश्रा हैं, जिन्हें सरकार ने पद्म विभूषण सम्मान से नवाजा है. ऐसे में इस घराने का नाम और आगे बढ़ाएं इसीलिए हम लोग इस समय ज्यादा से ज्यादा रियाज कर रहे हैं. अपने आप को संगीत में मजबूत कर रहे हैं, जिससे इस गांव को देश-दुनिया में नई पहचान मिल सके.

आजमगढ़: देश में चल रहे लॉकडाउन के कारण जहां लोग अपने घरों में बैठने को मजबूर हैं. वहीं जनपद के सबसे पुराने संगीत घराने हरिहरपुर घराना के बच्चे इस विपदा की घड़ी में समय का सदुपयोग कर रहे हैं. बच्चे दिन-रात संगीत की शिक्षा ले रहे हैं.

संगीत की शिक्षा
बच्चे संगीत की शिक्षा ले रहे है.

लॉकडाउन के समय का बच्चे कर रहे सदुपयोग
लगभग 70 वर्षों से बच्चों को शिक्षा दे रहे कृष्ण मुरारी मिश्रा का कहना है कि इस विपदा की घड़ी में बच्चों को संगीत की विभिन्न विधाएं सिखाई जा रही हैं. गांव के बच्चों को राग-रागिनी के साथ-साथ संगीत की विभिन्न विधाएं इसलिए सिखाई जा रही हैं कि लॉकडाउन में गांव के बच्चे समय का सदुपयोग करें. लॉकडाउन से पूर्व जहां बच्चे दो घंटे सीखने आते थे. वहीं इस समय 5 घंटे से अधिक का समय संगीत सीखने में दे रहे हैं.

संगीत की परंपरा को बच्चे बढ़ाएंगे आगे
कृष्ण मुरारी मिश्रा का कहना है कि हमारी उम्र हो चुकी है. ऐसे में संगीत बच्चों में बांटना चाहते हैं, जिससे इस घराने की परंपरा को यह बच्चे आगे बढ़ा सकें. संगीत सीख रहे विवेक मिश्रा का कहना है कि पहले हम लोगों को सीखने का समय नहीं मिलता था और अब जब समय मिला है तो दिनभर हम लोग संगीत सीखते हैं.

संगीत की शिक्षा
शिक्षक कृष्ण मुरारी मिश्रा

गांव को देश-दुनिया में मिले पहचान
संगीत सीखने वाले पुष्कर मिश्रा का कहना है कि इसी गांव के हमारे बाबा छन्नूलाल मिश्रा हैं, जिन्हें सरकार ने पद्म विभूषण सम्मान से नवाजा है. ऐसे में इस घराने का नाम और आगे बढ़ाएं इसीलिए हम लोग इस समय ज्यादा से ज्यादा रियाज कर रहे हैं. अपने आप को संगीत में मजबूत कर रहे हैं, जिससे इस गांव को देश-दुनिया में नई पहचान मिल सके.

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