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100 वर्ष की आयु में स्वतंत्रता सेनानी लालचंद्र तिवारी का निधन, इन आंदोलनों में लिया था हिस्सा

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Published : Jul 13, 2023, 7:45 PM IST

आजमगढ़ में एक मात्र बचे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लालचंद्र तिवारी का एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. जानिए अंग्रेजों के खिलाफ कौन-कौन से आंदोलन में हिस्सा लिया था.

100 वर्ष की आयु में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लालचंद्र तिवारी का निधन
100 वर्ष की आयु में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लालचंद्र तिवारी का निधन
100 वर्ष की आयु में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लालचंद्र तिवारी का निधन

आजमगढ़: जनपद के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लालचन्द्र तिवारी का 100 वर्ष की आयु में निधन हो गया है. जिससे पूरे जिले में शोक की लहर दौड़ गई है. लालचंद्र तिवारी ने देश को आजाद कराने में अपनी महत्पूर्ण भूमिका निभाई थी. लालचन्द्र तिवारी ने नगर के एक निजी अस्पताल में गुरुवार अंतिम सांस ली.

लालचंद तिवारी के बेटी मंजू पाठक ने रोते हुए मीडिया को बताया कि शनिवार को उनके पिता की आचानक तबीयत खराब हो गई थी. इलाज घर पर ही चल रहा था, लेकिन आराम न होने पर शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां गुरुवार को उनका निधन हो गया. प्रशासन ने जानकारी मिलने पर सभी तरह का सहयोग किया है.

ठेकमा ब्लॉक के बऊवा पार गांव निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लालचंद तिवारी का जन्म दो जनवरी 1923 को जन्म हुआ था. बचपन से ही देश की आजादी का सपना देखने वाले लालचंद तिवारी हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी करते ही स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े थे. वे लगातार क्रांतिकारियों की मदद करते थे और बाद में खुद भी अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष करने लगे. वर्ष 1942 में महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ करो या मरो का नारा दिया था. हर कोई गुलामी की जंजीर को तोड़ने के लिए बेताब था, अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष जारी था. इसी बीच लालचंद तिवारी व उनके साथियों को ठेकमा के सरायमोहन गांव में स्थित बेसो नदी के पुल को तोड़ने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.

दर्जन भर लोग रात में इस पुल को तोड़ने पहुंचे थे. घना अंधेरा होने के कारण वरिष्ठ लोगों ने लालचन्द्र को लालटेन लाने के लिए ठेकमा भेजा था. जब वह लालटेन लेने के लिए ठेकमा जा रहे थे तो बीच रास्ते में बिजौली गांव के पास उन्हें सिपाही राम दरश सिंह और राम प्रसाद राय ने गिरफ्तार कर लिया था. जिसके बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया गया, जहां जज ने उन्हें दो साल और 15 बेंत की सजा सुनाई थी.

एडीएम प्रशासन अनिल कुमार मिश्रा ने बताया कि जनपद के एक मात्र स्वतंत्रता सेनानी लालचन्द्र तिवारी का निधन हो गया है. पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनको अंतिम विदाई दी जाएगी. इसीलिए ज्वाइंट मजिस्टेट मौके पर मौजूद हैं. वहीं, जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज ने स्वतंत्रता सेनानी लालचन्द्र तिवारी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है. जिलाधिकारी ने अपने शोक संदेश में कहा कि श्री तिवारी के निधन से जनपद को अपूरणीय क्षति हुई है. उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की. जिलाधिकारी ने शोक संतृप्त परिजनों को इस दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करने के लिए ईश्वर से प्रार्थना की.

यह भी पढे़ं: Republic day 2023: स्वतंत्रता सेनानी का बेटा जगा रहा आजादी की अलख

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100 वर्ष की आयु में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लालचंद्र तिवारी का निधन

आजमगढ़: जनपद के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लालचन्द्र तिवारी का 100 वर्ष की आयु में निधन हो गया है. जिससे पूरे जिले में शोक की लहर दौड़ गई है. लालचंद्र तिवारी ने देश को आजाद कराने में अपनी महत्पूर्ण भूमिका निभाई थी. लालचन्द्र तिवारी ने नगर के एक निजी अस्पताल में गुरुवार अंतिम सांस ली.

लालचंद तिवारी के बेटी मंजू पाठक ने रोते हुए मीडिया को बताया कि शनिवार को उनके पिता की आचानक तबीयत खराब हो गई थी. इलाज घर पर ही चल रहा था, लेकिन आराम न होने पर शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां गुरुवार को उनका निधन हो गया. प्रशासन ने जानकारी मिलने पर सभी तरह का सहयोग किया है.

ठेकमा ब्लॉक के बऊवा पार गांव निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लालचंद तिवारी का जन्म दो जनवरी 1923 को जन्म हुआ था. बचपन से ही देश की आजादी का सपना देखने वाले लालचंद तिवारी हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी करते ही स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े थे. वे लगातार क्रांतिकारियों की मदद करते थे और बाद में खुद भी अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष करने लगे. वर्ष 1942 में महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ करो या मरो का नारा दिया था. हर कोई गुलामी की जंजीर को तोड़ने के लिए बेताब था, अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष जारी था. इसी बीच लालचंद तिवारी व उनके साथियों को ठेकमा के सरायमोहन गांव में स्थित बेसो नदी के पुल को तोड़ने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.

दर्जन भर लोग रात में इस पुल को तोड़ने पहुंचे थे. घना अंधेरा होने के कारण वरिष्ठ लोगों ने लालचन्द्र को लालटेन लाने के लिए ठेकमा भेजा था. जब वह लालटेन लेने के लिए ठेकमा जा रहे थे तो बीच रास्ते में बिजौली गांव के पास उन्हें सिपाही राम दरश सिंह और राम प्रसाद राय ने गिरफ्तार कर लिया था. जिसके बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया गया, जहां जज ने उन्हें दो साल और 15 बेंत की सजा सुनाई थी.

एडीएम प्रशासन अनिल कुमार मिश्रा ने बताया कि जनपद के एक मात्र स्वतंत्रता सेनानी लालचन्द्र तिवारी का निधन हो गया है. पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनको अंतिम विदाई दी जाएगी. इसीलिए ज्वाइंट मजिस्टेट मौके पर मौजूद हैं. वहीं, जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज ने स्वतंत्रता सेनानी लालचन्द्र तिवारी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है. जिलाधिकारी ने अपने शोक संदेश में कहा कि श्री तिवारी के निधन से जनपद को अपूरणीय क्षति हुई है. उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की. जिलाधिकारी ने शोक संतृप्त परिजनों को इस दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करने के लिए ईश्वर से प्रार्थना की.

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