लखनऊ: प्रदेश सरकार के स्टांप और पंजीयन मंत्री रवींद्र जायसवाल ने अपने वेतन और भत्ते के त्याग का फैसला किया है. उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि जिस तरह से उनका विधायक के तौर पर जारी होने वाला वेतन और भत्ता मुख्यमंत्री आपदा कोष में जमा होता रहा है, उसी तरह से मंत्री के तौर पर मिलने वाले वेतन भत्ते को भी जमा कराया जाए.
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मंत्री पद पर रहते नहीं लेंगे वेतन
सीएम योगी सरकार में पहली बार मंत्री बने रवींद्र जायसवाल ने कहा कि वह मंत्री पद का वेतन और भत्ता नहीं लेंगे. उनके पिता ने राजनीति में आने के दौरान शिक्षा दी थी कि वह कभी पैसा कमाने के लिए राजनीति का सहारा ना लें. पिता की शिक्षा पर अमल करते हुए शहर उत्तरी से दो बार विधायक रहते हुये एक बार भी वेतन नहीं लिया.
उनके पिता ने कहा था कि परिवार और अन्य जिम्मेदारियों के निर्वाह के लिए पारंपरिक व्यवसाय पर निर्भर रहना ही उचित है. राजनीति समाज सेवा का माध्यम होती है तो इसे पैसा कमाने का जरिया नहीं बनाना चाहिये. यही वजह है कि रवींद्र जायसवाल राजनीति के पैसे से आज तक दूर हैं.
जो वेतन विधायक रहते मुझे मिला है उसे भी नहीं लिया है. मंत्री बनने के बाद मुझे बतौर मंत्री वेतन और भत्ता अलग से मिलना है. यह धन भी हमेशा की तरह मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा किया जायेगा, इसीलिये मुख्यमंत्री को यह पत्र लिखा है.
-रवींद्र जायसवाल, स्टांप एवं पंजीयन मंत्री