आजमगढ़ः पूर्व राज्य सभा सांसद और बामसेफ के संस्थापक सदस्य रहे बलिहारी बाबू का बुधवार को निधन हो गया. अस्पताल में बेड नहीं मिलने की वजह से उनका घर पर ही इलाज चल रहा था. कहा जा रहा है कि ऑक्सीजन की कमी ही बलिहारी बाबू की मौत की वजह बनी.
कांशीराम के साथ बहुजन आंदोलन में रही है भूमिका
बलिहारी बाबू ने बसपा के संस्थापक स्वर्गीय कांशीराम के साथ 1984 मे बामसेफ और डीएस-4 का गठन कर दलित, पिछड़े और मुस्लिम समाज को एकजुट करने के लिए पूरे उत्तर प्रदेश में साइकिल यात्रा निकाली थी. साथ ही बहुजन समाज को एक करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
अखिलेश यादव ने दी श्रद्धांजलि
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने बलिहारी बाबू के निधन पर शोक जताते हुए ट्विटर पर लिखा है कि ‘सपा के वरिष्ठ नेता, पूर्व राज्यसभा सांसद एवं बहुजन आंदोलन के योद्धा बलिहारी बाबू का निधन, अपूरणीय क्षति है. दिवंगत आत्मा को शांति दे भगवान. शोकाकुल परिजनों के प्रति संवेदना’.
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दो बार बसपा ने भेजा राज्यसभा
बलिहारी बाबू को बहुजन समाज पार्टी से दो बार राज्यसभा जाने का मौका मिला. 2006 में कांशीराम के निधन के बाद वर्ष 2007 में उन्हें फिर राज्यसभा जाने का मौका मिला, लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया. इसके बाद बलिहारी बाबू को पार्टी से निकाल दिया गया. बसपा के बाद उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन की. फिर 2014 में लालगंज संसदीय सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन वह कांग्रेस को जिता नहीं सके. इसके बाद 2017 में उन्होंने बसपा में वापसी की, लेकिन उन्हें यहां पुराना कद नहीं मिला. आखिरकार 2020 में उन्होंने बसपा छोड़कर सपा का दामन थामा.