अयोध्या: जिले में अब विशेष किस्म का गेहूं उपलब्ध होगा. इस गेहूं से किसानों के साथ इसका सेवन करने वाले को भी फायदा मिलेगा. कृषि विशेषज्ञों की मानें तो इस प्रजाति के गेहूं के आटे का सेवन करने से लोगों को कई बीमारियों से निजात मिल सकेगी. आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय ने इस दिशा में अब कदम आगे बढ़ा दिए हैं. काले गेहूं का उत्पादन अयोध्या जिले में अब तक नहीं हो रहा था.
आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विशेषज्ञों ने यूनिवर्सिटी परिसर के सोध क्षेत्र में इस विशेष के गेहूं की बुवाई करवाई है. विश्वविद्यालय के जोधपुर क्षेत्र में उत्पादित होने वाले गेहूं को किसानों को बीज के लिए उपलब्ध कराया जाएगा.
मोटापा शुगर समेत कई बीमारियों के लिए रामबाण है काला गेहूं
काले गेहूं की तीन प्रजातियां हैं. ब्लैक, ब्लू और रेड. इसका उत्पादन सबसे पहले नेशनल एग्रीकल्चर इंस्टिट्यूट ने किया है. नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के प्रसार निदेशक डॉक्टर एपी. राव ने ईटीवी भारत को बताया कि नॉर्मल गेहूं में एंथोसाइनिन पिगमेंट 5 पीपीएम ( पार्ट पर मिलियन) पाया जाता है, लेकिन काले गेहूं में इसकी मात्रा अधिक है. काले गेहूं में एंथोसानिन 150 पीपीएम के करीब होता है.
काला गेहूं एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर
बाजार में काले गेहूं की बिक्री 3,000 प्रति कुंतल के भाव से होती है. एंथोसाइनिन पिगमेंट की प्रचुर मात्रा होने के साथ यह एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर है. कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि एंटी ऑक्सीडेंट शरीर के अंदर से फ्री रेडिकल्स यानी शरीर में बेकार पड़े पार्टिकल्स को बाहर निकालता है. इस कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.
आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय में प्रयोग के तौर पर हो रहा उत्पादन
आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय में काले गेहूं का उत्पादन प्रयोग के तौर पर किया जा रहा है. विश्वविद्यालय के शोध क्षेत्र में इसकी बुवाई हुए करीब 5 दिन से अधिक समय बीत चुका है. विश्वविद्यालय के कृषि निदेशक डॉ. एपी. राव का कहना है कि उत्पादित गेहूं को किसानों के बीज के लिए उपलब्ध कराया जाएगा.
आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के डॉक्टर एपी राव का कहना है कि सबसे पहले काले गेहूं के उत्पादन का दावा हरियाणा के नेशनल एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट (NAVI) ने किया था. आस-पास के कुछ जिलों में किसानों ने काले गेंहू की खेती की थी. अब इसे बड़ी मात्रा में बीज के लिए किसानों को उपलब्ध कराने के लिए आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय प्रयास कर रहा है, जिसके चलते विश्वविद्यालय के शोध प्रक्षेत्र में काले गेहूं की बुवाई की गई है.