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श्रीराम गोशाला समिति के माध्यम से हो रहा देशी गो वंशों का संरक्षण

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Published : Mar 7, 2021, 10:32 AM IST

यूपी के अयोध्या में श्रीराम गोशाला समिति के माध्यम से कारसेवकपुरम देशी और निरीह गोवंश का संरक्षण किया जा रहा है. इतना ही नहीं वर्तमान में श्रीराम गोशाला में लगभग 12 पंचगव्य औषधियों का निर्माण चल रहा है.

देशी गो वंशों का संरक्षण
देशी गो वंशों का संरक्षण

अयोध्या: जिले में स्थित कारसेवकपुरम जहां श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण आंदोलन के कारण देश विदेश में चर्चित है, वहीं यह श्रीराम गोशाला समिति के माध्यम से निरीह, देशी गोवंशों का संरक्षण कर गो भक्तों के बीच अपनी व्यापक उपस्थिति दर्ज करा रहा है. इतना ही नहीं गोवंश संरक्षण कर अनेक प्रकार की पंचगव्य औषधियों का निर्माण कर असाध्य रोगों से मुक्ति प्रदान करने की दिशा में भी कार्य कर रहा है. गायों की रक्षा के प्रति आस्था संस्कृति और अध्यात्मिक भावना से जुड़ी होने के साथ-साथ इसके आर्थिक, सामाजिक और वैज्ञानिक पहलू भी महत्त्वपूर्ण हैं. भारत में वैदिक काल से ही गोहत्या प्रतिबंधित थी. आज गो-पालन और गो संरक्षण के लिए वर्तमान सरकारें संकल्पबद्ध हैं.

जानकारी देते सह प्रबंधक शरद शर्मा.

गो-रक्षा तथा गो-संवर्धन एक तपस्या
श्रीराम गोशाला समिति के सह प्रबंधक शरद शर्मा कहते हैं कि गो-सेवा, गो-रक्षा तथा गो-संवर्धन एक तपस्या है. जिससे साधकों का मार्ग निष्कंटक रहे, इस हेतु सभी गो भक्तों, समाज शास्त्रियों, राजनेताओं के साथ धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों को कार्य करना पड़ेगा. अयोध्या भगवान श्रीराम की जन्मभूमि है. इतना ही नहीं अयोध्या गो-सेवक भक्त महाराजा रघु, महाराज दिलीप की भी नगरी है. जिन्होंने गोवंश संरक्षण का संदेश दिया.

1992 में एक गोवंश से गौशाला हुई थी स्थापित
सह प्रबंधक शरद शर्मा ने बताया कि कारसेवकपुरम् अपने स्थापना काल से ही गोवंशों के संरक्षण और संवर्धन हेतु संवेदनशील रहा है. 1992 में एक गोवंश से गौशाला की स्थापना हुई थी. जो आगे चलकर सौ के पार पहुंच गई. इस बीच श्रीराम गोशाला समिति का गठन किया गया और 'श्रीराम गो-शाला' के नाम से गो-सेवा-राष्ट्र सेवा को संकल्प मानकर गो-शाला को आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने का कार्य प्रारंभ किया गया.

12 पंचगव्य औषधियों का निर्माण
वर्तमान में श्रीराम गोशाला में लगभग 12 पंचगव्य औषधियों का निर्माण चल रहा है, जिसमें कामधेनु अर्क, एग्जिमा साबुन, दर्द नाशक मालिश तेल, उबटन गौ-घृत और धूपबत्ती,नारी संजीवनी,गौधन वटी, आदि समलित है. अयोध्या सहित देश के विभिन्न राज्यों में इन औषधियों की गुणवत्ता को देखते हुये व्यापक मांग है. यहां तक पड़ोसी राष्ट्र नेपाल में भी इसे मंगाया जा रहा है.

श्रीराम गो-शाला समिति के प्रबंधक पुरुषोत्तम नारायण सिंह का कहना है कि एक गो-वंश एक परिवार का जहां आर्थिक स्वालंबन बन सकती है वही सैकड़ों गोवंश अनेक परिवारों की जीविका का माध्यम बन सकते हैं.

अयोध्या: जिले में स्थित कारसेवकपुरम जहां श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण आंदोलन के कारण देश विदेश में चर्चित है, वहीं यह श्रीराम गोशाला समिति के माध्यम से निरीह, देशी गोवंशों का संरक्षण कर गो भक्तों के बीच अपनी व्यापक उपस्थिति दर्ज करा रहा है. इतना ही नहीं गोवंश संरक्षण कर अनेक प्रकार की पंचगव्य औषधियों का निर्माण कर असाध्य रोगों से मुक्ति प्रदान करने की दिशा में भी कार्य कर रहा है. गायों की रक्षा के प्रति आस्था संस्कृति और अध्यात्मिक भावना से जुड़ी होने के साथ-साथ इसके आर्थिक, सामाजिक और वैज्ञानिक पहलू भी महत्त्वपूर्ण हैं. भारत में वैदिक काल से ही गोहत्या प्रतिबंधित थी. आज गो-पालन और गो संरक्षण के लिए वर्तमान सरकारें संकल्पबद्ध हैं.

जानकारी देते सह प्रबंधक शरद शर्मा.

गो-रक्षा तथा गो-संवर्धन एक तपस्या
श्रीराम गोशाला समिति के सह प्रबंधक शरद शर्मा कहते हैं कि गो-सेवा, गो-रक्षा तथा गो-संवर्धन एक तपस्या है. जिससे साधकों का मार्ग निष्कंटक रहे, इस हेतु सभी गो भक्तों, समाज शास्त्रियों, राजनेताओं के साथ धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों को कार्य करना पड़ेगा. अयोध्या भगवान श्रीराम की जन्मभूमि है. इतना ही नहीं अयोध्या गो-सेवक भक्त महाराजा रघु, महाराज दिलीप की भी नगरी है. जिन्होंने गोवंश संरक्षण का संदेश दिया.

1992 में एक गोवंश से गौशाला हुई थी स्थापित
सह प्रबंधक शरद शर्मा ने बताया कि कारसेवकपुरम् अपने स्थापना काल से ही गोवंशों के संरक्षण और संवर्धन हेतु संवेदनशील रहा है. 1992 में एक गोवंश से गौशाला की स्थापना हुई थी. जो आगे चलकर सौ के पार पहुंच गई. इस बीच श्रीराम गोशाला समिति का गठन किया गया और 'श्रीराम गो-शाला' के नाम से गो-सेवा-राष्ट्र सेवा को संकल्प मानकर गो-शाला को आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने का कार्य प्रारंभ किया गया.

12 पंचगव्य औषधियों का निर्माण
वर्तमान में श्रीराम गोशाला में लगभग 12 पंचगव्य औषधियों का निर्माण चल रहा है, जिसमें कामधेनु अर्क, एग्जिमा साबुन, दर्द नाशक मालिश तेल, उबटन गौ-घृत और धूपबत्ती,नारी संजीवनी,गौधन वटी, आदि समलित है. अयोध्या सहित देश के विभिन्न राज्यों में इन औषधियों की गुणवत्ता को देखते हुये व्यापक मांग है. यहां तक पड़ोसी राष्ट्र नेपाल में भी इसे मंगाया जा रहा है.

श्रीराम गो-शाला समिति के प्रबंधक पुरुषोत्तम नारायण सिंह का कहना है कि एक गो-वंश एक परिवार का जहां आर्थिक स्वालंबन बन सकती है वही सैकड़ों गोवंश अनेक परिवारों की जीविका का माध्यम बन सकते हैं.

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