अयोध्या: केंद्र सरकार ने 15 अक्टूबर से सशर्त स्कूलों को पुन: खोलने की मंजूरी दे दी है. हालांकि कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर कई राज्य हालात का आकलन कर रहे हैं. देशभर में कोरोना वायरस की रोकथाम के मकसद से 16 मार्च को विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया गया था. वहीं केंद्र सरकार ने 25 मार्च से संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की थी.
हालांकि सरकार ने आठ जून से 'अनलॉक' की शुरुआत के क्रम में विभिन्न चरणों में अनेक पाबंदियों में रियायत देनी शुरू की, लेकिन शिक्षण संस्थानों को बंद रखा गया. बहरहाल 'अनलॉक' की नई गाइडलाइन में कोविड-19 निषिद्ध क्षेत्रों के बाहर स्कूलों, कॉलेजों और अन्य शिक्षण संस्थानों को 15 अक्टूबर के बाद पुन: खोलने की अनुमति दे दी गयी.
उत्तर प्रदेश सरकार ने घोषणा की है कि निषिद्ध क्षेत्रों के बाहर के स्कूल नौवीं से बारहवीं तक की कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए 19 अक्टूबर से पुन: खोले जा सकेंगे. वहीं अयोध्या शहर स्थित जयपुरिया स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया कि स्कूल को फिर से खोलने तैयारी कर ली गई है. कोविड-19 प्रोटोकॉल का पूरा ख्याल रखा जाएगा. हमारा प्रयास है कि स्कूल परिसर में बच्चों को संक्रमण से सुरक्षित रखा जाए. बच्चों के अभिभावकों से भी पूरा संपर्क रखने का प्रयास किया जाएगा, ताकि बच्चे घर में भी कोविड प्रोटोकॉल का पालन करें.
नई गाइडलाइन के साथ खोला जाएगा स्कूल
सेठ एमआर जे स्कूल के एडमिनिस्ट्रेशन हेड सतीश कुमार गुप्ता ने बताया कि स्कूल नई गाइडलाइन के मुताबिक खोला जाएगा. क्लासरूम में पूर्व की अपेक्षा बच्चों की संख्या आधी रहेगी. कल्चरल एक्टिविटी कम से कम करने का प्रयास होगा. कोरोना के खतरे से बचा कर क्लास चलाने के लिए इंतजाम कर लिए गए हैं.
क्या कहते हैं स्टूडेंट्स
कक्षा 10वीं के छात्र आदित्य पांडेय का कहना है कि वो अभी तक ऑनलाइन क्लास का हिस्सा रहे हैं. हालांकि वो हाईस्कूल के छात्र हैं तो उन्हें बोर्ड एग्जाम को लेकर चिंता है. उनका मानना है कि ऑनलाइन क्लास से पढ़ाई करने पर अच्छे मार्क्स मिलना बेहद मुश्किल है. ऐसी परिस्थितियों के बीच स्कूल जाना मजबूरी है. वहीं कक्षा 9वीं की छात्रा जोया खान को स्कूल जाने में डर लगता है, क्योंकि अभी तक वैक्सीन नहीं आई है. इसके बावजूद वो कोविड प्रोटोकॉल का पालन कर स्कूल जाकर पढ़ाई करने को तैयार हैं.
अभिभावक बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर हैं चिंतित
ईटीवी भारत नें स्कूल खोलने के फैसले को लेकर अभिभावकों से बातचीत की. अभिभावक ने बताया कि उनके बच्चों की सेहत और सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन ऑनलाइन शिक्षा उतनी कारगर नहीं है, जिससे बच्चों को ठीक प्रकार से लाभ मिल सके. ऐसे में बच्चों को स्कूल भेजना एक मजबूरी और बड़ी जिम्मेदारी भी है.
बच्चों का रखना होगा विशेष ध्यान
वहीं जानकारों की माने तो बच्चों की शिक्षा और उनके भविष्य के मद्देनजर भले ही सरकार ने स्कूल खोलने का फैसला लिया है, लेकिन कोरोना के लगातार बढ़ रहे संक्रमण के बीच खतरा अभी टला नहीं है. खासतौर पर बच्चों को कोविड प्रोटोकॉल का पालन कराना न सिर्फ अभिभावकों के लिए एक बड़ी चुनौती है, बल्कि स्कूल प्रबंधन के लिए भी चिंता का विषय है. वहीं कोरोना काल में मंदी की मार झेल रहे लोगों के लिए बच्चों को पढ़ा पाना एक बड़ी चुनौती है. भले ही प्राइवेट स्कूल बच्चों को हरसंभव सुरक्षा मुहैया कराने की बात कह रहे हों, लेकिन सैनिटाइजेशन और संक्रमण से बचाने के नाम पर अभिभावकों को एक मोटी रकम चुकाने के लिए भी तैयार रहना होगा.