अयोध्या: विहिप के शीर्षस्थ नेता अशोक सिंघल विश्व हिन्दू परिषद के दो दशकों तक अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष रहे. 17 नवम्बर को उनकी पुण्यतिथि पर अयोध्या के धर्माचार्यों ने न उन्हें श्रद्धापूर्वक याद किया. साथ ही राममंदिर निर्माण के दौरान उनकी अनुपस्थिति को लेकर अफसोस भी जताया. श्रीरामवल्लभाकुंज के प्रमुख और नित्य सरयू महाआरती के संरक्षक स्वामी राजकुमार दास ने कहा कि स्व. अशोक सिंहल ने अपना सम्पूर्ण जीवन हिंदुत्व, राष्ट्रवाद, भारतीय सांस्कृतियों के संरक्षण और विकास के लिए अर्पित कर दिया.
अशोक सिंघल की स्मृति संदेश देती रहेगी
जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य ने कहा कि उनका सम्पूर्ण जीवन हिंदुत्व को समर्पित था. वह राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के लिए पल-पल जीते रहे. उनकी स्मृति हमें शेष कार्यों को पूरा करने का अमर संदेश देती रहेगी.
विहिप की वैश्विक ख्याति अशोक सिंघल की देन
जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी रत्नेश महाराज ने कहा कि आज विहिप की वैश्विक ख्याति है. इसमें अशोक सिंघल का योगदान सर्वाधिक है. अशोक सिंघल परिषद के विस्तार के लिए अक्सर विदेश प्रवास पर जाते थे. वे आजीवन अविवाहित रहे.
विवादित ढांचा तोड़ने वालों का नेतृत्व किया
सियाराम किला के महंत करुणा निधान शरण ने कहा कि 1984 में दिल्ली में धर्म संसद का आयोजन किया गया. आशोक सिंघल इसके मुख्य संचालक थे. यहीं पर राम जन्मभूमि आंदोलन की रणनीति तय की गई. यहीं से सिंघल ने पूरी योजना के साथ कार सेवकों को अपने साथ जोड़ना शुरू किया. उन्होने 1992 में विवादित ढांचा तोड़ने वाले कार सेवकों का नेतृत्व किया था. वे हिंदुओं के लिये सदैव आदरणीय रहेंगे.
नये आयामों से जुड़े
अयोध्या के महापौर ऋषिकेश उपाध्याय ने कहा कि आशोक सिंघल परिषद के काम में धर्म जागरण, सेवा, संस्कृत, परावर्तन, गोरक्षा आदि नये आयामो से जुड़े. इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण है श्रीराम जन्मभूमि मंदिर आन्दोलन. इससे परिषद ने गांव-गांव तक पहुंच गया. इसने देश की सामाजिक और राजनीतिक दिशा बदल दी. आज मंदिर का निर्माण उनकी सोच और आंदोलन का ही परिणाम है.