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अयोध्या: राम मंदिर मॉडल में बदलाव की मांग पर भड़के संत, कही यह बात

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर मॉडल में बदलाव की मांग पर संत भड़क गए. उन्होंने इस मांग को राजनीति और स्वार्थ से प्रेरित बताया. साथ ही कहा कि जो संत राम मंदिर मॉडल का विरोध कर रहे हैं, वही पहले इसी मॉडल का समर्थन कर चुके थे. यह मंदिर निर्माण में बाधा उत्पन्न करने का प्रयास है.

saints raging over demand for change in ram mandir model
राम मंदिर मॉडल में बदलाव की मांग पर भड़के संत.
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Published : Jun 1, 2020, 9:24 PM IST

अयोध्या: राम मंदिर आंदोलन से जुड़े संतों ने राम मंदिर के प्रस्तावित मॉडल में बदलाव की मांग की है. वहीं इस मांग को अयोध्या के कई प्रमुख संतों ने अनावश्यक बताया है. रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने इसे मंदिर निर्माण में बाधा उत्पन्न करने का प्रयास बताया. श्रीरामवल्लभाकुंज के अधिकारी संत राजकुमार दास का कहना है कि विहिप के प्रस्तावित मॉडल को राम मंदिर आंदोलन से जुड़े संतों ने ही मान्यता दी थी. ऐसे में मॉडल में बदलाव की मांग औचित्यहीन है.

संतों ने दी प्रतिक्रिया.

संतों ने मांग को लेकर केंद्र सरकार को लिखा पत्र
राम जन्मभूमि पर प्रस्तावित राम मंदिर मॉडल में अयोध्या के संतों ने बदलाव की मांग की है. उन्होंने इस संबंध में एक लिखित पत्र केंद्र सरकार और राज्य सरकार समेत ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास को लिखा है. संतों ने राम जन्मभूमि न्यास के प्रस्तावित मॉडल को विशाल रूप देने और राम के तीनों भाइयों, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न की स्मृतियों को भी राम जन्मभूमि में संजोने की मांग की है.

संतों ने मांग को बताया अनुचित
इसके अलावा संतों ने राम मंदिर को सफेद संगमरमर से बनाने की मांग की है. संतों की इस मांग को राम नगरी के प्रमुख संतों ने अनुचित बताया है.

राजनीति और स्वार्थ से प्रेरित है संतों की मांग
रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने राम मंदिर के मॉडल में बदलाव की संतों की मांग पर नाराजगी जताई है. उनका कहना है कि संतों की यह मांग राजनीति और स्वार्थ से प्रेरित हो गई है. यह मांग मंदिर निर्माण में अड़ंगा लगाने के लिए है.

...नहीं तो लग जाएंगे 20 से 25 वर्ष
आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि संगमरमर से राम मंदिर निर्माण की मांग का अब कोई औचित्य नहीं है. तराशे गए पत्थरों से अगर राम मंदिर बनेगा तो कम समय में बनकर तैयार हो जाएगा. अन्यथा इसके बनने में 20 से 25 वर्ष का समय लग जाएगा.

सभी संतों को मंदिर निर्माण में करना चाहिए सहयोग
उन्होंने कहा कि जो संत राम मंदिर मॉडल का विरोध कर रहे हैं, वही पहले इसी मॉडल का समर्थन कर चुके थे. सभी राम भक्त आज इसी मॉडल का सम्मान करते हैं. मंदिर का निर्माण विश्वास, भक्ति व श्रद्धा से होता है. ऐसे में मंदिर निर्माण में बाधा उत्पन्न करने के बजाय सभी संतों को सहयोग करना चाहिए.

अयोध्या के संतों की मांग, रामलला के भाइयों के इतिहास को अंधकार में न छोड़े ट्रस्ट

वहीं श्रीरामवल्लभाकुंज के अधिकारी संत राजकुमार दास ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट राम मंदिर निर्माण में स्थापत्य कला का ध्यान रख रही है. इमारत उतनी महत्व नहीं रखती, जितनी जगह का महत्व होता है. उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि महत्वपूर्ण है. पीएम मोदी और सीएम योगी बधाई के पात्र हैं कि उनके कार्यकाल में राम मंदिर का निर्णय आया है. ऐसे में विरोध करना उचित नहीं है क्योंकि मंदिर निर्माण में सभी के सहयोग की आवश्यकता है.

अयोध्या: राम मंदिर आंदोलन से जुड़े संतों ने राम मंदिर के प्रस्तावित मॉडल में बदलाव की मांग की है. वहीं इस मांग को अयोध्या के कई प्रमुख संतों ने अनावश्यक बताया है. रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने इसे मंदिर निर्माण में बाधा उत्पन्न करने का प्रयास बताया. श्रीरामवल्लभाकुंज के अधिकारी संत राजकुमार दास का कहना है कि विहिप के प्रस्तावित मॉडल को राम मंदिर आंदोलन से जुड़े संतों ने ही मान्यता दी थी. ऐसे में मॉडल में बदलाव की मांग औचित्यहीन है.

संतों ने दी प्रतिक्रिया.

संतों ने मांग को लेकर केंद्र सरकार को लिखा पत्र
राम जन्मभूमि पर प्रस्तावित राम मंदिर मॉडल में अयोध्या के संतों ने बदलाव की मांग की है. उन्होंने इस संबंध में एक लिखित पत्र केंद्र सरकार और राज्य सरकार समेत ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास को लिखा है. संतों ने राम जन्मभूमि न्यास के प्रस्तावित मॉडल को विशाल रूप देने और राम के तीनों भाइयों, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न की स्मृतियों को भी राम जन्मभूमि में संजोने की मांग की है.

संतों ने मांग को बताया अनुचित
इसके अलावा संतों ने राम मंदिर को सफेद संगमरमर से बनाने की मांग की है. संतों की इस मांग को राम नगरी के प्रमुख संतों ने अनुचित बताया है.

राजनीति और स्वार्थ से प्रेरित है संतों की मांग
रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने राम मंदिर के मॉडल में बदलाव की संतों की मांग पर नाराजगी जताई है. उनका कहना है कि संतों की यह मांग राजनीति और स्वार्थ से प्रेरित हो गई है. यह मांग मंदिर निर्माण में अड़ंगा लगाने के लिए है.

...नहीं तो लग जाएंगे 20 से 25 वर्ष
आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि संगमरमर से राम मंदिर निर्माण की मांग का अब कोई औचित्य नहीं है. तराशे गए पत्थरों से अगर राम मंदिर बनेगा तो कम समय में बनकर तैयार हो जाएगा. अन्यथा इसके बनने में 20 से 25 वर्ष का समय लग जाएगा.

सभी संतों को मंदिर निर्माण में करना चाहिए सहयोग
उन्होंने कहा कि जो संत राम मंदिर मॉडल का विरोध कर रहे हैं, वही पहले इसी मॉडल का समर्थन कर चुके थे. सभी राम भक्त आज इसी मॉडल का सम्मान करते हैं. मंदिर का निर्माण विश्वास, भक्ति व श्रद्धा से होता है. ऐसे में मंदिर निर्माण में बाधा उत्पन्न करने के बजाय सभी संतों को सहयोग करना चाहिए.

अयोध्या के संतों की मांग, रामलला के भाइयों के इतिहास को अंधकार में न छोड़े ट्रस्ट

वहीं श्रीरामवल्लभाकुंज के अधिकारी संत राजकुमार दास ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट राम मंदिर निर्माण में स्थापत्य कला का ध्यान रख रही है. इमारत उतनी महत्व नहीं रखती, जितनी जगह का महत्व होता है. उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि महत्वपूर्ण है. पीएम मोदी और सीएम योगी बधाई के पात्र हैं कि उनके कार्यकाल में राम मंदिर का निर्णय आया है. ऐसे में विरोध करना उचित नहीं है क्योंकि मंदिर निर्माण में सभी के सहयोग की आवश्यकता है.

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