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संत राजूदास बोले, राम मंदिर निर्माण के लिए शंकराचार्य स्वरूपानंद ने की थी अयोध्या में परिक्रमा - Shankaracharya Swami Swaroopanand passes away

जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के निधन पर अयोध्या के संतो ने शोक प्रकट किया है. उन्होंने कहा कि जगतगुरु शंकराचार्य का निधन संत समाज के लिए बड़ी क्षति है.

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जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद
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Published : Sep 11, 2022, 10:27 PM IST

अयोध्या: जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद (Jagatguru Shankaracharya Swami Swaroopanand) के निधन पर जहां देश विदेश में उनके अनुयायियों में शोक की लहर है. वहीं, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की पावन नगरी अयोध्या के संतो ने भी उनके निधन पर शोक जताया है और उनके निधन को संत समाज की एक अपूरणीय क्षति बताया है. पुजारी राजू दास ने कहा कि हिंदू धर्म सनातन संस्कृति के लिए जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जिस तरह से सदैव आवाज उठाते रहे वह अनुकरणीय है. आज उनके निधन पर अयोध्या का संत समाज शोक प्रकट करता है. उनका देहावसान एक अपूरणीय क्षति है, जिसे कभी पूरा नहीं किया जा सकता. ईश्वर से हमारी प्रार्थना है कि उनकी आत्मा को शांति दे. वहीं, जदगुरू राम दिनेशाचार्य ने भी जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन पर शोक जताया है. उन्होंने कहा कि ऐसे संत का जाना संत समाज को गहरा आघात पहुंचाने वाला है. समय-समय पर उन्होंने पूरे देश को मार्गदर्शक किया है.

यह भी पढ़ें- शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद का था काशी से गहरा नाता, बड़े आंदोलनों की रूपरेखा यही खींची थी

बता दें कि, दिवंगत जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद का अयोध्या से बेहद गहरा लगाव था. राम जन्मभूमि के मामले पर स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने शृंगेरी में चतुष्पीठ सम्मेलन के माध्यम से सनातन धर्म के व्यापक समर्थन की आधार भूमि खड़ी की थी. वह कहते थे कि राम जन्मभूमि के मुद्दे को आस्था से हटाकर राजनीतिक मुद्दा न बनाया जाए. उन्होंने चारों शंकराचार्य सहित ऐसे संतों को लेकर श्रीराम जन्मभूमि रामालय न्यास का गठन किया जो राजनीति से दूर रह कर राम मंदिर निर्माण के लिए तत्पर थे. 30 नवंबर 2006 को स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने अपने अनुयायियों के साथ श्रीराम जन्मभूमि की परिक्रमा की थी.

अयोध्या: जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद (Jagatguru Shankaracharya Swami Swaroopanand) के निधन पर जहां देश विदेश में उनके अनुयायियों में शोक की लहर है. वहीं, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की पावन नगरी अयोध्या के संतो ने भी उनके निधन पर शोक जताया है और उनके निधन को संत समाज की एक अपूरणीय क्षति बताया है. पुजारी राजू दास ने कहा कि हिंदू धर्म सनातन संस्कृति के लिए जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जिस तरह से सदैव आवाज उठाते रहे वह अनुकरणीय है. आज उनके निधन पर अयोध्या का संत समाज शोक प्रकट करता है. उनका देहावसान एक अपूरणीय क्षति है, जिसे कभी पूरा नहीं किया जा सकता. ईश्वर से हमारी प्रार्थना है कि उनकी आत्मा को शांति दे. वहीं, जदगुरू राम दिनेशाचार्य ने भी जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन पर शोक जताया है. उन्होंने कहा कि ऐसे संत का जाना संत समाज को गहरा आघात पहुंचाने वाला है. समय-समय पर उन्होंने पूरे देश को मार्गदर्शक किया है.

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बता दें कि, दिवंगत जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद का अयोध्या से बेहद गहरा लगाव था. राम जन्मभूमि के मामले पर स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने शृंगेरी में चतुष्पीठ सम्मेलन के माध्यम से सनातन धर्म के व्यापक समर्थन की आधार भूमि खड़ी की थी. वह कहते थे कि राम जन्मभूमि के मुद्दे को आस्था से हटाकर राजनीतिक मुद्दा न बनाया जाए. उन्होंने चारों शंकराचार्य सहित ऐसे संतों को लेकर श्रीराम जन्मभूमि रामालय न्यास का गठन किया जो राजनीति से दूर रह कर राम मंदिर निर्माण के लिए तत्पर थे. 30 नवंबर 2006 को स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने अपने अनुयायियों के साथ श्रीराम जन्मभूमि की परिक्रमा की थी.

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