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राम नगरी की मिट्टी से बनेंगी लक्ष्मी और गणेश की प्रतिमाएं, 6 दिन मनाया जाएगा दीपोत्सव

इस दिवाली पर राम नगरी अयोध्या में रहने वाले कुम्हार परिवारों में खुशी की लहर है. चाक पर बेजान मिट्टी में अपने हाथों से जान डाल रहे कुम्हारों के चेहरे पर रौनक है. वजह है कि बीते कुछ वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष मूर्तियों के आर्डर अधिक मिले हैं और कमाई भी दुगनी से ज्यादा हो रही है.

6 दिन का होगा अयोध्या में दीपोत्सव
6 दिन का होगा अयोध्या में दीपोत्सव
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Published : Sep 30, 2021, 1:53 PM IST

अयोध्या: प्रदेश सरकार द्वारा दिवाली के मौके पर चाइनीज प्रतिमाओं की जगह परंपरागत रूप से मिट्टी से बनी गणेश लक्ष्मी की प्रतिमाओं को प्रयोग में लाए जाने की कवायद को बढ़ावा देने का सीधा असर उन कुम्हार परिवारों को मिल रहा है. जिनकी रोजी-रोटी पर चाइना ने कहीं न कहीं से डाका डाल दिया था. इस बार राम नगरी अयोध्या में पवित्र अयोध्या की मिट्टी से बने गणेश और लक्ष्मी की प्रतिमाओं की पूजा होगी.



कई पीढ़ियों से दीपावली के मौके पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमाएं बनाने का काम करने वाले कुमार परिवार के साथ मेहनत कर मूर्तियों बनाने का काम कर रहे हैं. अभी दीपावली का त्योहार आने में कई दिन का समय है, ऐसे में दीपावली के पहले ही मूर्तिकार मूर्ति बनाकर स्टॉक कर लेंगे और बाद में दीपावली को बिक्री करेंगे.

6 दिन का होगा अयोध्या में दीपोत्सव

राम की नगरी में गणेश लक्ष्मी की मूर्ति का निर्माण करने वाले सत्यनारायण प्रजापति का कहना है कि सरकार की पहल सराहनीय है. इससे सरकार को कुम्हार परिवार का आशीर्वाद मिलेगा. हमारी जीविका में सुधार होगा पूर्व के दिनों में प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों की मांग ज्यादा थी. मिट्टी की मूर्तियों को कम मांगा जाता था लेकिन पिछले दो वर्ष से मिट्टी की मूर्तियों के मांग बढ़ी है और प्रत्येक परिवार 1000 से 1500 मूर्तियां बनाकर तैयार कर रहा है.




वहीं, इसी कारोबार से जुड़े बृज मोहन का कहना है कि दीपावली के मौके पर इन मूर्तियों की बिक्री बाजार में होती है. इसके लिए पहले यह लोग होलसेल करते हैं और आसपास के बाजार के प्रमुख व्यवसायी गणेश लक्ष्मी जी की मूर्तियां ले जाकर के दीपावली पर बिक्री करते हैं, जो मूर्तियां इनके पास बच जाती हैं. वह मूर्तियां स्वयं दीपावली के पहले बाजार लगते ही दुकान सजा कर के बेचते हैं और इसी एकत्रित धन से साल भर इनके परिवार का खर्च चलता है. दीपोत्सव के दरमियान अयोध्या में प्रशासनिक बंदिशें लागू हो जाती हैं. क्योंकि दीपावली के ठीक दो दिन पहले अयोध्या में दीपोत्सव की धूम मची रहती है. ऐसे में कुम्हार परिवारों का यह भी एक दर्द है कि रास्ता बंद होने के बाद मूर्तियों की बिक्री पर भी असर पड़ता है. बावजूद इसके चाइना मूर्तियों पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद अयोध्या के कुम्हार सीएम योगी आदित्यनाथ का धन्यवाद कह रहे हैं.

इस बार 6 दिन का होगा अयोध्या में दीपोत्सव

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद अयोध्या की दिवाली की रौनक चार गुना हो चुकी है. अयोध्या में आयोजित होने वाले दीपोत्सव कार्यक्रम ने इस पौराणिक नगरी को अंतर्राष्ट्रीय पटल पर एक पहचान दी है. इस वर्ष इस आयोजन को और लंबा करते हुए छह दिवसीय कर दिया गया है और 7 लाख 50 हजार दीपक जलाकर एक और वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की तैयारी चल रही है. इसलिए अयोध्या की दिवाली और जगह से कहीं खास है. जिस की एक बड़ी वजह यह भी है कि दीपावली का महत्व और दीपावली की परंपरा राम नगरी अयोध्या से शुरू हुई. जब भगवान राम 14 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या वापस आए और अयोध्या वासियों ने घी के दीए जलाए तब से दीपावली की परंपरा शुरू हुई जिसने बेहद विशाल और भव्य रूप ले लिया है.

अयोध्या: प्रदेश सरकार द्वारा दिवाली के मौके पर चाइनीज प्रतिमाओं की जगह परंपरागत रूप से मिट्टी से बनी गणेश लक्ष्मी की प्रतिमाओं को प्रयोग में लाए जाने की कवायद को बढ़ावा देने का सीधा असर उन कुम्हार परिवारों को मिल रहा है. जिनकी रोजी-रोटी पर चाइना ने कहीं न कहीं से डाका डाल दिया था. इस बार राम नगरी अयोध्या में पवित्र अयोध्या की मिट्टी से बने गणेश और लक्ष्मी की प्रतिमाओं की पूजा होगी.



कई पीढ़ियों से दीपावली के मौके पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमाएं बनाने का काम करने वाले कुमार परिवार के साथ मेहनत कर मूर्तियों बनाने का काम कर रहे हैं. अभी दीपावली का त्योहार आने में कई दिन का समय है, ऐसे में दीपावली के पहले ही मूर्तिकार मूर्ति बनाकर स्टॉक कर लेंगे और बाद में दीपावली को बिक्री करेंगे.

6 दिन का होगा अयोध्या में दीपोत्सव

राम की नगरी में गणेश लक्ष्मी की मूर्ति का निर्माण करने वाले सत्यनारायण प्रजापति का कहना है कि सरकार की पहल सराहनीय है. इससे सरकार को कुम्हार परिवार का आशीर्वाद मिलेगा. हमारी जीविका में सुधार होगा पूर्व के दिनों में प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों की मांग ज्यादा थी. मिट्टी की मूर्तियों को कम मांगा जाता था लेकिन पिछले दो वर्ष से मिट्टी की मूर्तियों के मांग बढ़ी है और प्रत्येक परिवार 1000 से 1500 मूर्तियां बनाकर तैयार कर रहा है.




वहीं, इसी कारोबार से जुड़े बृज मोहन का कहना है कि दीपावली के मौके पर इन मूर्तियों की बिक्री बाजार में होती है. इसके लिए पहले यह लोग होलसेल करते हैं और आसपास के बाजार के प्रमुख व्यवसायी गणेश लक्ष्मी जी की मूर्तियां ले जाकर के दीपावली पर बिक्री करते हैं, जो मूर्तियां इनके पास बच जाती हैं. वह मूर्तियां स्वयं दीपावली के पहले बाजार लगते ही दुकान सजा कर के बेचते हैं और इसी एकत्रित धन से साल भर इनके परिवार का खर्च चलता है. दीपोत्सव के दरमियान अयोध्या में प्रशासनिक बंदिशें लागू हो जाती हैं. क्योंकि दीपावली के ठीक दो दिन पहले अयोध्या में दीपोत्सव की धूम मची रहती है. ऐसे में कुम्हार परिवारों का यह भी एक दर्द है कि रास्ता बंद होने के बाद मूर्तियों की बिक्री पर भी असर पड़ता है. बावजूद इसके चाइना मूर्तियों पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद अयोध्या के कुम्हार सीएम योगी आदित्यनाथ का धन्यवाद कह रहे हैं.

इस बार 6 दिन का होगा अयोध्या में दीपोत्सव

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद अयोध्या की दिवाली की रौनक चार गुना हो चुकी है. अयोध्या में आयोजित होने वाले दीपोत्सव कार्यक्रम ने इस पौराणिक नगरी को अंतर्राष्ट्रीय पटल पर एक पहचान दी है. इस वर्ष इस आयोजन को और लंबा करते हुए छह दिवसीय कर दिया गया है और 7 लाख 50 हजार दीपक जलाकर एक और वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की तैयारी चल रही है. इसलिए अयोध्या की दिवाली और जगह से कहीं खास है. जिस की एक बड़ी वजह यह भी है कि दीपावली का महत्व और दीपावली की परंपरा राम नगरी अयोध्या से शुरू हुई. जब भगवान राम 14 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या वापस आए और अयोध्या वासियों ने घी के दीए जलाए तब से दीपावली की परंपरा शुरू हुई जिसने बेहद विशाल और भव्य रूप ले लिया है.

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