अयोध्या: श्रीराम जन्मभूमि पर राम मंदिर निर्माण के लिए आईआईटी चेन्नई और रुड़की के इंजीनियर प्लान बना रहे हैं. मंदिर निर्माण को लेकर हर बिंदु पर गहनता से विचार किया जा रहा है. बहुप्रतीक्षित राम मंदिर हजार वर्षों तक अडिग रहेगा. 2.77 एकड़ में 1200 स्तंभों पर भव्य मंदिर खड़ा करने की योजना है. श्रीराम जन्मभूमि पर दिव्य और भव्य मंदिर का निर्माण 36 से 40 महीने में पूरा कर लिया जाएगा.
समतलीकरण का किया जा रहा काम
श्रीराम जन्मभूमि पर गहराई तक जमा मलबे को हटाकर समतलीकरण किया गया है. लोड के हिसाब से 60, 40 और 20 फीट नीचे नीचे तक मिट्टी की जांच की गई है. इसमें मिट्टी के भार वाहन क्षमता का परीक्षण किया गया. मिट्टी की ताकत नापने के लिए आईआईटी चेन्नई और सीबीआरआई रुड़की के वैज्ञानिकों की सलाह ली गई है. रुड़की के इंजीनियर भूकंप रोधी विषय पर कार्य कर रहे हैं. इस पर रिसर्च लगभग पूरी हो गई है.
500 वर्ष आगे की सोच कर की जा रही सॉइल टेस्टिंग
श्रीराम जन्मभूमि परिसर में जिस जगह पर अधिक दबाव दिया जाएगा, वहां पर 60 मीटर गहराई और उससे कम वाले स्थानों पर 40 और 20 मीटर गहराई में जाकर मिट्टी की सैंपलिंग की गई है. वैज्ञानिकों की माने तो दबाव पड़ने पर 500 साल में मिट्टी एक बार कुछ बैठती है. दबाव से मिट्टी बैठने की सीमा 1 सेंटीमीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए. इससे बिल्डिंग इंबैलेंस होने की संभावना रहती है, जिसके चलते ऑयल टेस्टिंग कर मिट्टी की क्षमता के अनुसार उस पर निर्माण किया जाएगा.
मंदिर निर्माण में लोहे का नहीं होगा प्रयोग
भगवान राम के जन्म स्थान पर बनने वाले मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं होगा. 2.77 एकड़ के क्षेत्र में 1200 स्तंभ खड़े किए जाएंगे. 30 मीटर नीचे तक गड्ढे खोदे जाएंगे. इस पर 1 मीटर चौड़ा स्तंभ खड़ा होगा. आईआईटी रुड़की और चेन्नई के वैज्ञानिक इस पर विचार कर रहे हैं. खंभों को पकने में कितना समय लगेगा, इसके बाद उसके ऊपर स्ट्रक्चर कब बनाया जाएगा, इन सब बातों पर इंजीनियर विचार कर रहे हैं. स्तंभों पर नक्काशी भी कराए जाने की योजना है.
36 से 40 महीने में बनकर तैयार होगा रामलला का भवन
भगवान राम के स्थान पर मंदिर बनने में 36 से 40 महीने का समय लगेगा. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय कहते हैं कि प्रधानमंत्री भी यह मानते हैं कि राम मंदिर के निर्माण में कम से कम 3 वर्ष का समय लगेगा. चंपत राय ने कहा कि यह एक बड़ा कार्य है. इसके लिए समय की आवश्यकता है. ट्रस्ट किसी प्रकार की जल्दबाजी में निर्माण कार्य नहीं करना चाहता.
राम मंदिर परिसर में मिले अवशेषों को रखा जाएगा सुरक्षित
श्रीराम जन्मभूमि परिसर में नागर शैली के प्राचीन मंदिरों के अवशेष मिले हैं, जिसे ट्रस्ट की ओर से सुरक्षित रखा जा रहा है. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि पीएम की नजर में यह हिंदुस्तान का एक खजाना है. ऐसे में इस महत्वपूर्ण अवशेषों को लोगों के देखने के लिए सुरक्षित रखा जाएगा.
राम जन्मभूमि परिसर में 4 फीट लंबा एक प्राचीन शिवलिंग भी मिला है. यह शिवलिंग 1992 में श्रीराम जन्मभूमि परिसर के लेवल से 12 फीट नीचे समतलीकरण के दौरान मिला है. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट राम मंदिर परिसर में एक म्यूजियम बनाने की व्यवस्था कर रहा है, जहां श्री राम जन्मभूमि परिसर में मिले सभी प्राचीन अवशेषों को श्रद्धालुओं को दिखाने की व्यवस्था होगी.
परिसर के समतलीकरण में मिले 12 टन पत्थर
राम जन्मभूमि परिसर के समतलीकरण के दौरान बड़ी मात्रा में पत्थर के टुकड़े और प्राचीन कलाकृतियां प्राप्त हुई हैं. इसमें कई दुर्लभ कलाकृतियां शामिल हैं. वर्ष 1912 के कई आमलक मिले हैं. मूर्तियां और खंभे भी मिले हैं, जिसके अंदर यक्षिणी की कलाकृतियां मिली हैं. ढांचा गिरने से पहले जून 1992 मिले अवशेषों को भी सुरक्षित रखा गया है.
भार वहन क्षमता के लिए मिट्टी की हुई जांच
राम जन्मभूमि परिसर में लोड के हिसाब से 3 प्रकार से मिट्टी टेस्टिंग की गई है. राम जन्मभूमि परिसर में इंजीनियरों ने 60, 40 और 20 फीट की गहराई के लेवल तक मिट्टी की जांच की है.
'मंदिर निर्माण प्रमुख प्राथमिकता'
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का मानना है कि श्रद्धालुओं को राम मंदिर की प्रतीक्षा है. ऐसे नहीं ट्रस्ट की टॉप प्रायॉरिटी मंदिर निर्माण है. आगे श्री राम जन्मभूमि परिसर के शेष 65 एकड़ में विकास का कार्य चलता रहेगा. राम मंदिर निर्माण के लिए श्री राम जन्मभूमि परिसर में 5 से 6 कर का क्षेत्र निकाल कर बाकी के विकास का अलग से रोडमैप तैयार किया जा रहा है. ट्रस्ट का कहना है कि मंदिर निर्माण के साथ-साथ परिसर के विकास का कार्य भी जारी रहेगा. राम मंदिर के चारों ओर परिक्रमा और परकोटा का निर्माण कराया जाएगा. इसके साथ सुरक्षा की दृष्टि से सिक्योरिटी वाल भी बनाई जाएगी.
राम मंदिर की दीवार पर श्रद्धालु दर्ज करा सकेंगे अपना नाम
लंबे समय तक टिकने वाले राम मंदिर में लोहे का बिल्कुल भी प्रयोग नहीं किया जाएगा. पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे की पत्तियों का प्रयोग किया जाएगा. ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने कहा है कि इसके लिए लगभग 10 हजार तांबे की पत्तियों की आवश्यकता होगी. यह पत्ती 18 इंच लंबी 3 मिली मीटर मोटी और 30 मिली मीटर चौड़ी होगी. पत्तियों की संख्या घट-बढ़ भी सकती है.
ट्रस्ट ने कहा है कि राम मंदिर निर्माण में दान देने का मन बना चुके लोगों से तांबे की इन पत्तियों को दान कर कार सेवा कर सकते हैं. इस पर दानदाता अपने गांव स्थान और अपना नाम अंकित करके ट्रस्ट को दान कर सकते हैं. पत्थरों को बैलेंस करने के लिए रॉड की आवश्यकता होगी. ऐसे करीब 10000 राॅड राम मंदिर निर्माण में प्रयुक्त होंगे.
श्रीराम जन्मभूमि परिसर में मिले अवशेषों को देख सकेंगे श्रद्धालु
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय कहते हैं कि भगवान राम के जन्म स्थान पर खुद समतलीकरण के दौरान मिल रहे अवशेष किसी खजाने से कम नहीं हैं. नक्काशी धार जो पत्थर मिले हैं, वह हिंदुस्तान का अमूल्य खजाना है. आगे जो भी अवशेष मिलेंगे उसे सुरक्षित रखा जाएगा. ऐसी जगह रखा जाएगा जहां सब लोग उसका दर्शन कर सकें.
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का कहना है कि समतलीकरण के दौरान कई प्राचीन अवशेष मिले हैं, जिन्हें ट्रस्ट अमूल्य धरोहर मानकर संजोने का प्लान बना रहा है. समतलीकरण के दौरान मूर्तियां और कई स्तंभ प्राप्त हुए हैं. 12 टन पत्थर के टुकड़े मिले हैं. ढांचा गिरने से पहले जून 1992 में जो अवशेष श्री राम जन्मभूमि से प्राप्त हुए हैं, उन्हें भी सुरक्षित रखा गया है.