वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में रामलला के भव्य राम मंदिर स्थापना समारोह में शामिल होंगे. भगवान राम अपने गर्भ गृह में विराजमान होंगे और पीएम मोदी इस आयोजन के मुख्य यजमान होंगे. इन सबके बीच इस दिन विविध कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की गई है, जिसकी शुरुआत भी लगभग 10 दिन पहले से की जाएगी. 22 जनवरी का दिन विशेष होगा. लेकिन इस दिन आयोजन होंगे कैसे? इस बात को लेकर संत समाज बेहद चिंता में है.
इसकी बड़ी वजह यह है कि सरकारी कार्यालय से लेकर निजी ऑफिस और दुकानों से लेकर बाजार तक सब खुले रहेंगे. ऐसे में अपने घरों में गलियों में और मंदिरों में लोग कैसे इस उत्सव को मनाएंगे. इस बात को लेकर संत समाज ने सरकार से इस विशेष दिन पर सार्वजनिक अवकाश घोषित करने की मांग की है. वाराणसी में अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने सरकार से यह अपील की है कि 22 जनवरी को विविध आयोजनों के साथ पूजन पाठ और दीपावली जैसा पर्व मनाने के लिए सरकार सार्वजनिक अवकाश घोषित करे.
अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती का कहना है कि 495 वर्ष बाद सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के सर्व सम्मत फैसले से भगवान श्री राम की जन्म भूमि मुक्त हुई. फिर भी हम प्रसन्नता व्यक्त नहीं कर पाए, क्योकि जो लोग हार गए थे वह कहीं दंगा न कर दें. परंतु आज जब मंदिर का निर्माण पूर्ण हो रहा है, भगवान रामलला प्राण प्रतिष्ठित हो रहे हैं तब राम जन्मभूमि पर ऐसे अवसर पर पूरे देश के हर मंदिर को राम मंदिर और हर घर के मंदिर को दीपकों से सजाने के साथ दीपावली की तरह उत्सव मने ठीक वैसे ही जैसे रावण का वध करने के उपरांत भगवान राम अयोध्या पधारे थे.
495 वर्षों के बाद श्री राम जन्मभूमि पर रामलला पधार रहे हैं तो हमें खुशी मनाने के लिए एक दिन का अवकाश तो चाहिए ना और ऐसे में समाज कैसे खुशियां मनाएगा. बाकी लोग तो जिनके पास अन्य तरीके के काम हैं वह कर लेंगे लेकिन, सरकारी कर्मचारी कैसे खुशी मनाएगा, तो भारत के प्रधानमंत्री और भारत की सरकार से यह आग्रह करते हैं कि 500 वर्षों के बाद यह ऐतिहासिक क्षण है.
जब आप भगवान रामलला की प्रार्थना मंदिर के अंदर कर रहे होंगे और पूरा देश आपको टीवी के सामने बैठ करके देख रहा होगा तो इस पूरे आयोजन को देखने और आरती के साथ इसमें अपनी सुरक्षा से सहभागी बनने के लिए अवकाश की तो आवश्यकता पड़ेगी ही. ऐसी परिस्थितियों के लिए अवकाश की आवश्यकता पड़ेगी. इसलिए 22 जनवरी 2024 को भारत सरकार को सार्वजनिक अवकाश की घोषणा करनी चाहिए.