अयोध्या: कोरियाई दस्तावेजों के मुताबिक अयोध्या के एक दामाद दक्षिण कोरिया के प्रसिद्ध शहर 'किम हे' के राजा थे. यह रिश्ता वैसे तो दो हजार वर्ष पूर्व पुराना है लेकिन, इस रिश्ते की मिठास और गर्माहट तब बढ़ गई. जब आज से करीब 22 साल पूर्व दक्षिण कोरिया के 'किम हे' राज्य से कर्क क्लान सोसायटी के कुछ लोग इसी रिश्ते की जड़े ढूंढते हुए राम नगरी अयोध्या पहुंच गए. जब उन्होंने इस बेहद मधुर रिश्ते की पूरी कहानी बताई तो अयोध्या राजवंश परिवार के सदस्य भी हैरान रह गए. तब से आज तक यह रिश्ता इतना मधुर और इतना प्रगाढ़ हो गया कि हर साल दक्षिण कोरिया के मेहमानों का प्रतिनिधिमंडल अयोध्या आता है और अयोध्या में इस रिश्ते की निशानी पर दस्तक देता है.
अयोध्या की रानी बनी दक्षिण कोरिया की महारानी
भारतीय संस्कृति और खासकर हिंदू परंपरा में घर की बेटी के पति यानी कि दामाद की बहुत इज्जत होती है और इस रिश्ते को बहुत प्यार और सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है. इसी रिश्ते की एक मिसाल राम नगरी अयोध्या से हजारों किलोमीटर दूर दक्षिण कोरिया के किम हे शहर से जुड़ी है. सुनने में यह जरूर चौंकाने वाला लगेगा लेकिन, कोरियाई दस्तावेजों के मुताबिक अयोध्या के एक दामाद दक्षिण कोरिया के प्रसिद्ध शहर की किम हे के राजा थे. इस खास खबर में ईटीवी भारत आपको बताएगा कि आखिरकार अयोध्या की रानी आखिर कैसे बन गई दक्षिण कोरिया की महारानी.
अयोध्या की राजकुमारी पहुंच गई दक्षिण कोरिया
यह वाक्या आज से करीब 22 साल पूर्व साल 1998 का है. जब दक्षिण कोरिया के कुछ लोगों ने अयोध्या राजवंश परिवार के मुखिया विमलेंद्र मोहन मिश्र से संपर्क किया. उन्होंने दावा किया कि करीब दो हजार वर्ष पूर्व अयोध्या की राजकुमारी सुरीरत्ना बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार करने के लिए समुद्री रास्ते से कोरिया के किम हे शहर पहुंची थीं. वहां उनकी भेंट किम हे एम्पायर के तत्कालीन किंग हिज हाईनेस 'किम सोरो' से हुई. यह मुलाकात प्यार में बदली और दोनों ने विवाह कर लिया. इन दोनों से हुई संतानों के वंशज आज भी अलग-अलग किंग सोरो और महारानी 'हौ' के नाम को अपने गोत्र के रूप में प्रयोग करते हैं. दक्षिण कोरिया में दोनों के वंशजो की संख्या लाखों में है और उनका अपना संगठन है, जो कि केन्द्रीय करक क्लॉन सोसायटी के रूप में कार्यरत है. वर्ष 1998 में इन्हीं वंशजों के सत्ता में आने के बाद उन्होंने अयोध्या की खोज की और अयोध्या के तत्कालीन नरेश श्रीमिश्र से भेंट कर उन्हें कोरिया आने का आमन्त्रण दिया.
प्रतिवर्ष आता है कोरियाई दल
दक्षिण कोरियाई प्रतिनिधियों का कहना है कि जिस समय महारानी सूर्य रत्ना का विवाह हुआ उस समय उनकी उम्र 16 वर्ष थी. वहां के राजा से प्रेम होने पर उन्होंने कोरिया के करक वंशी राजा किम सोरो से विवाह किया और कोरिया की महारानी बनीं. उसके बाद वह कभी वापस अयोध्या नहीं आईं. तभी से स्थापित यह सम्बन्ध अब भारत और दक्षिण कोरिया के रिश्तों की नींव को मजबूत कर रहा है. उसी रिश्ते को प्रगाढ़ करने के लिए 2001 में कोरियाई महारानी 'हौ' की स्मृति में स्मारक की स्थापना हुई थी, जिसकी वर्षगांठ मनाने प्रतिवर्ष कोरियाई दल यहां आता है.
कोरियाई नागरिकों ने महारानी 'हौ' की यादों संजो कर रखा है
वर्ष 1998 में इस मधुर रिश्ते की तलाश करते हुए अयोध्या तक पहुंचे दक्षिण कोरियाई मेहमानों ने अयोध्या के रिश्तेदारों को कोरिया आमंत्रित किया. जिसके बाद अयोध्या से एक प्रतिनिधिमंडल दक्षिण कोरिया भी गया था. उस प्रतिनिधिमंडल के वरिष्ठ सदस्य कमलाकांत सुंदरम बताते हैं कि कोरियाई दावा करते हैं कि करीब 2000 साल पहले अयोध्या की राजकुमारी सुरीरत्ना अयोध्या से पानी के रास्ते कोरिया आयी थीं. जिस नाव से वह कोरिया आयी थीं, कोरिया वासियों ने उसे अब भी संभाल के रखा है. करक वंश के लोगों ने अपने पास अभी भी वो पत्थर सम्भाल के रखे हैं, जिसे राजकुमारी यात्रा के दौरान नाव का संतुलन बनाने के लिए नाव में रखकर लाई थीं. दक्षिण कोरिया के लोग इस कथा में अटूट विश्वास रखते हैं और इसीलिए अयोध्या और अयोध्या को इन लोगों को बहुत प्रेम और सम्मान की दृष्टि से देखते हैं. यही वजह है कि करीब 2000 साल बाद करक वंश के लोग इस रिश्ते की तलाश करते हुए अयोध्या तक पहुंच गए.
दक्षिण कोरिया की सभी रानियों में सबसे प्रसिद्ध है राजकुमारी हौ
वैसे तो दक्षिण कोरियाई इतिहास में हजार वर्ष पूर्व राजशाही तंत्र में कई महारानियां हुई लेकिन, अयोध्या की राजकुमारी हौ का सम्मान कोरियाई सबसे अधिक करते हैं. यही कारण है कि जब इस रिश्ते की बुनियाद कोरियाई डेलिगेशन को अयोध्या में मिली तो वर्ष 2001 में उन्होंने अयोध्या के सरयू तट के किनारे महारानी की याद में एक पार्क का निर्माण भी कराया. तब से लेकर आज तक प्रतिवर्ष कोरियाई डेलिगेशन महारानी हौ को श्रद्धांजलि अर्पित करने आता है. इस वर्ष भी दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्री सूह वुक अयोध्या पहुंचे और उन्होंने न सिर्फ महारानी सूरी रत्ना के स्मारक पर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की. बल्कि सरयू तट के किनारे बन रहे पार्क और म्यूजियम को ताजमहल की तरह खूबसूरत बनाने की बात कही है. डीएम अयोध्या अनुज कुमार झा ने बताया कि कोरियाई डेलिगेशन ने इस रिश्ते को और मजबूत करने में एक बड़ी पहल की है.