अयोध्या: 23 नवंबर 2007 को कचहरी बम ब्लास्ट मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया, जिसमें दो आरोपियों को आजीवन कारावास और 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया. एक आरोपी को पर्याप्त सबूत न होने के कारण बाइज्जत बरी कर दिया गया. मंडल कारागार में विशेष अदालत ने यह फैसला सुनाया.
सबूतों के अभाव में बरी
कचहरी बम ब्लास्ट मामले में एक आरोपी सज्जाद उर रहमान को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया, जो कि जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के रहने वाले हैं. अन्य दो आरोपियों तारिक आजमी, मोहम्मद अख्तर को आजीवन कारावास सुनाया गया है. ईटीवी भारत से विशेष बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि हमें हमारे खुदा पर पूरा यकीन था और आज देश का कानून वह जज ही हमारे खुदा साबित हो गए.
परिजनों में खुशी का माहौल
सज्जाद के पिता ने कहा कि हमने सच्चाई का साथ दिया और हमारा बच्चा बाइज्जत बरी हो गया. हमारे घर में कई सदस्य ऐसे भी हैं, जिन्हें नहीं पता कि कौन आ रहा है, लेकिन हर कोई खुशी से झूम रहा है कि घर में एक मेहमान आ रहा है.
उन्होंने बताया कि सज्जाद के भाई चाचा और उनका बेटा गरीब होने के कारण जेल में मिलने के लिए साल में एक या दो बार ही आ पाते थे, लेकिन आज आकर अच्छा लग रहा है कि अब हम कल उसे अपने साथ अपने घर लेकर जाएंगे. पूरे 12 साल के बाद वह अपने घर अपने लोगों के पास रहेगा.
हमें सरकार से कोई दिक्कत नहीं
सज्जाद के पिता ने बताया कि इस वक्त देश में जो हालात है हमको उससे कोई मतलब नहीं. हमारा बेटा बाइज्जत बरी हो गया. इससे ज्यादा हमें और क्या चाहिए. सरकार कोई भी हो, गरीबों का कोई भला नहीं करता. सब गरीबों के खिलाफ काम करते हैं. हमें सरकार से कोई दिक्कत नहीं. सरकार कोई भी आए, पहले भी हम मजदूरी करते थे, खेती करते थे और अब भी हम मजदूरी और खेती करते हैं. क्योंकि हम सच्चे हैं, हम ईमानदार हैं. इसलिए हमें कोई दिक्कत नहीं, जो बेईमान होते हैं समस्या उनको होती है.
हमें NRC और CAA से नहीं है डर
सज्जाद के पिता ने कहा कि हम जिस देश में रह रहे हैं, यह देश हमारा है और हमेशा से ही हम यहां के निवासी हैं. हमें एनआरसी से कोई डर नहीं है. हम नागरिकता संशोधन कानून से नहीं डरते हैं, क्योंकि यह हमारा मुल्क है. हम जानते हैं यहां के लोग हमारे अपने हैं. हम गरीब लोग हैं, ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं. इसलिए हम ज्यादा पढ़ी-लिखी बातों पर सोचते भी नहीं हैं.
देश में क्या चल रहा है, हमें इसकी जानकारी नहीं. हमसे इसका कोई मतलब नहीं. हमें खुशी है कि हमारा बेटा हमें वापस मिल गया है. इसकी मां जो बहुत बीमार है, वह भी खुश है कि उनका बेटा आ रहा है.