अयोध्या: संकट मोचन हनुमानजी पौराणिक पीठ श्री हनुमानगढ़ी मंदिर अयोध्या का इतिहास बहुत ही गौरवपूर्ण है. त्रेतायुग के चतुर्थ चरण में राम-रावण युद्ध के समय मेघनाद द्वारा लक्ष्मण जी को वीरघातिनी शक्ति लगने पर वैध सुषेण के कहने पर हनुमान जी महाराज द्रोणागिरी पर्वत पर संजीवनी बूटी लेकर अयोध्या में भरत जी महाराज का दर्शन करने आ रहे थे.
अयोध्या के ऊपर राक्षस है. यह समझकर भरत ने हनुमान जी के ऊपर बाण का प्रहार कर दिया, जिससे हनुमान जी महाराज मूर्क्षित हो गए. इस दौरान भरत जी महाराज नंदीग्राम में तपस्या कर रहे थे. हनुमान जी की चेतना वापस आई तो हनुमानजी को लंका वापस भेज दिया गया था.
संजीवनी बूटी लेकर यहां गिरे थे हनुमानजी
अयोध्या के दक्षिण भाग जनौरा ग्राम स्थित है. यह जगह नंदीग्राम के उत्तर दिशा में है. हनुमान जी इसी स्थान पर संजीवनी बूटी लेकर गिरे थे. इसलिए पृष्ठ भाग में पहाड़गंज गांव है. कालांतर में इसे पहाड़पुर के नाम से जाना जाता था. जनौरा ग्राम को राजा जनक ने बसाया था. इस स्थान की बड़ी प्रतिष्ठा है.
भरत के बाण प्रहार से यहीं पर गिरे थे हनुमानजी
यह स्थान निर्मोही अखाड़ा से संबंधित है. मुख्य शिष्य परंपरा गंगा दासजी की बड़ी शाला पड़ाव ग्वालियर मध्यप्रदेश से है. वर्तमान में महंत रामदास मंदिर को भव्यता दे रहे हैं. यह स्थान निर्मोही अखाड़ा से संबंधित है. मुख्य शिष्य परंपरा गंगा दासजी की बड़ी शाला पड़ाव ग्वालियर मध्यप्रदेश से है. पहले पूर्वाचार्य महंत राजाबाबा ने इस स्थान पर धूनी रमाई जो निर्मोही अखाड़ा ग्वालियर से आए.
बाबा बलदेव दासजी महाराज के शिष्य बाबा भास्कर दास बने 23 फरवरी 1986 गुरुवार को नाका हनुमानगढ़ी मंदिर फैजाबाद के महंत नियुक्त किए गए 16/09/2017 शनिवार को महंत भास्कर दासजी महाराज का स्वर्गवास हो गया. उनके बाद संत समाज ने सर्व सम्मति से महंत भास्कर दास जी महाराज के एक मात्र शिष्य पुजारी रामदास को 28/09/2017 को महंत पद पर आसीन किया. महंत रामदास वर्तमान में मंदिर नाका हनुमानगढ़ी का उतरोतर विकास कर रहे हैं.
महंत भास्कर दास श्रीराम जन्मभूमि के प्रमुख पक्षकार रहे
मंदिर में होने वाले उत्सव समैया जैसे हनुमान जयंती, समारोह खाटू श्याम जयंती, राम विवाह फाल्गुन महोत्सव, राम जन्मोत्सव, बड़ा मंगलवार, गुरु पूर्णिमा महोत्सव, श्री कृष्ण जन्माष्टमी, गुरु पर्व, शरद पूर्णिमा, अन्नकूट महोत्सव आदि परंपरागत रूप से मनाये जाते हैं. महंत भास्कर दास महाराज श्रीराम जन्मभूमि के प्रमुख पक्षकार रहे हैं.
महंत रामदास 1986 से 1989 तक श्रीराम जन्मभूमि मुकदमा की पैरवी करने जाते थे. 1 जुलाई 1989 से 30 सितंबर 2010 तक हाईकोर्ट में लखनऊ में जाते रहे. 3 जनवरी 2011 से लगातार मंदिर श्रीराम जन्मभूमि की पैरवी करने जाते रहें हैं.