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इस मॉडल पर बनेगा राम मंदिर, राम जन्मभूमि कार्यशाला में तराशे गए हैं पत्थर

सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या जमीन विवाद में दिए फैसले के बाद अब अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण करने का रास्ता साफ हो गया है. राम जन्मभूमि कार्यशाला में भव्य राम मंदिर का मॉडल रखा गया है. इस बारे में ईटीवी भारत ने कार्यशाला में पत्थर तराशने का काम देखे रहे महंत वरुण दास जी महाराज से खास बातचीत की.

राम मंदिर का मॉडल.
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Published : Nov 9, 2019, 9:39 PM IST

अयोध्या: सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद अब अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो सकेगा. विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर राम जन्मभूमि कार्यशाला में 1990 से पत्थरों को तराशने का काम शुरू कराया था, जो फैसला आने के कुछ दिनों पहले तक निरंतर जारी रहा. राम जन्मभूमि कार्यशाला में भव्य राम मंदिर का मॉडल भी रखा गया है और इसके ठीक बगल कार्यशाला स्थित राम जानकी मंदिर में भगवान राम की पूजा-अर्चना भी होती है.

ईटीवी भारत ने महंत वरुण दास जी महाराज से खास बातचीत की.

राम मंदिर मॉडल के अनुसार तराशे गए पत्थर
राम जन्मभूमि कार्यशाला में पत्थरों को तराशने का काम देख रहे महंत वरुण दास जी महाराज ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि पत्थरों को तराशने का काम काफी पहले से चल रहा है. जब मंदिर निर्माण की शुरुआत होगी तो इन पत्थरों का उपयोग किया जाएगा. उन्होंने कहा कि यहां पर एक भव्य राम मंदिर का मॉडल भी रखा गया है और इसी मॉडल के अनुरूप पत्थरों को तराशने का काम किया गया है.

विहिप के नेतृत्व में कराया जा रहा पत्थर तराशने का काम
महंत वरुण दास जी ने बताया कि राम मंदिर निर्माण के लिए राजस्थान से पत्थर लाए गए हैं और विभिन्न आकृतियों और नक्काशी के साथ इन पत्थरों को तराशने का काम कारीगरों के द्वारा किया गया है. यह सारा काम विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में लगातार कराया जाता रहा है. उन्होंने बताया कि इस राम जन्मभूमि न्यास कार्यशाला के लिए मंदिर आंदोलन के सलाहकार पुरुष रहे परमहंस रामचंद्र दास ने जमीन दान दी थी.

ये भी पढ़ें: अयोध्या का ऐतिहासिक फैसला देने वाले पांच जजों की पीठ को जानिए

विश्व हिंदू परिषद की तरफ से मंदिर का जो स्वरूप तैयार किया गया है, उसके अनुसार प्रथम मंजिल की ऊंचाई करीब 18 फीट और दूसरी मंजिल की ऊंचाई करीब 9 फीट 9 इंच होगी. बीते कुछ सालों में राजस्थान, मिर्जापुर व गुजरात के अलग-अलग हिस्सों से कारीगर इस कार्यशाला में काम कर रहे हैं और करीब 1 लाख घनफुट से अधिक पत्थरों को तराशने का काम पूरा किया जा चुका है.

कुछ इस तरह का बनेगा राम मंदिर
प्रस्तावित राम मंदिर की चौड़ाई करीब 140 फीट बताई जा रही है तो वहीं जन्मभूमि पर बनने वाले राम मंदिर की ऊंचाई 128 फीट के आसपास होगी. प्रथम तल पर चबूतरे का निर्माण होगा. इसी में रंगमंडल गर्भ गृह के रूप में मंदिर के तमाम अन्य प्रखंड तैयार किए जाएंगे. मंदिर के जिस कक्ष में प्रभु श्री राम विराजेंगे, उस गर्भ गृह से ठीक ऊपर 16 फीट 3 इंच का एक विशेष प्रकार का प्रकोष्ठ होगा. इसी प्रकोष्ठ पर 65 फीट 3 इंच ऊंचा निर्मित शिखर भी होगा. जानकारी के अनुसार प्रस्तावित मंदिर में करीब पौने दो लाख घन फिट लाल पत्थरों का उपयोग होगा, जिनमें करीब 1 लाख से अधिक पत्थरों को तराशने का काम पूरा किया जा चुका है.

ये भी पढ़ें: अयोध्या भूमि विवाद : संक्षेप में समझें फैसले के अहम बिंदु

सबसे पहले कुंभ में रखा गया था राम मंदिर का मॉडल
महंत वरुण दास जी महाराज ने बताया कि राम जन्मभूमि कार्यशाला में लोग आते हैं और पूजा पाठ भी करते हैं. प्रस्तावित राम मंदिर मॉडल सबसे पहले 1989 में प्रयागराज में आयोजित कुंभ में रखा गया था. कुंभ के बाद इस मॉडल को मंदिर के शिलान्यास स्थल पर रखा गया.

उन्होंने बताया कि 1990 में जब श्री राम जन्मभूमि न्यास कार्यशाला बनी तो मंदिर के मॉडल को यहां स्थापित कर दिया गया. लोग दूर-दराज से आते हैं और भगवान राम के भव्य मंदिर का मॉडल देखते हैं. वह दान दक्षिणा भी यहां पर करते हैं और अपनी श्रद्धा के अनुसार दान देकर मंदिर निर्माण में अपना सहयोग दे रहे हैं.

अयोध्या: सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद अब अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो सकेगा. विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर राम जन्मभूमि कार्यशाला में 1990 से पत्थरों को तराशने का काम शुरू कराया था, जो फैसला आने के कुछ दिनों पहले तक निरंतर जारी रहा. राम जन्मभूमि कार्यशाला में भव्य राम मंदिर का मॉडल भी रखा गया है और इसके ठीक बगल कार्यशाला स्थित राम जानकी मंदिर में भगवान राम की पूजा-अर्चना भी होती है.

ईटीवी भारत ने महंत वरुण दास जी महाराज से खास बातचीत की.

राम मंदिर मॉडल के अनुसार तराशे गए पत्थर
राम जन्मभूमि कार्यशाला में पत्थरों को तराशने का काम देख रहे महंत वरुण दास जी महाराज ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि पत्थरों को तराशने का काम काफी पहले से चल रहा है. जब मंदिर निर्माण की शुरुआत होगी तो इन पत्थरों का उपयोग किया जाएगा. उन्होंने कहा कि यहां पर एक भव्य राम मंदिर का मॉडल भी रखा गया है और इसी मॉडल के अनुरूप पत्थरों को तराशने का काम किया गया है.

विहिप के नेतृत्व में कराया जा रहा पत्थर तराशने का काम
महंत वरुण दास जी ने बताया कि राम मंदिर निर्माण के लिए राजस्थान से पत्थर लाए गए हैं और विभिन्न आकृतियों और नक्काशी के साथ इन पत्थरों को तराशने का काम कारीगरों के द्वारा किया गया है. यह सारा काम विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में लगातार कराया जाता रहा है. उन्होंने बताया कि इस राम जन्मभूमि न्यास कार्यशाला के लिए मंदिर आंदोलन के सलाहकार पुरुष रहे परमहंस रामचंद्र दास ने जमीन दान दी थी.

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विश्व हिंदू परिषद की तरफ से मंदिर का जो स्वरूप तैयार किया गया है, उसके अनुसार प्रथम मंजिल की ऊंचाई करीब 18 फीट और दूसरी मंजिल की ऊंचाई करीब 9 फीट 9 इंच होगी. बीते कुछ सालों में राजस्थान, मिर्जापुर व गुजरात के अलग-अलग हिस्सों से कारीगर इस कार्यशाला में काम कर रहे हैं और करीब 1 लाख घनफुट से अधिक पत्थरों को तराशने का काम पूरा किया जा चुका है.

कुछ इस तरह का बनेगा राम मंदिर
प्रस्तावित राम मंदिर की चौड़ाई करीब 140 फीट बताई जा रही है तो वहीं जन्मभूमि पर बनने वाले राम मंदिर की ऊंचाई 128 फीट के आसपास होगी. प्रथम तल पर चबूतरे का निर्माण होगा. इसी में रंगमंडल गर्भ गृह के रूप में मंदिर के तमाम अन्य प्रखंड तैयार किए जाएंगे. मंदिर के जिस कक्ष में प्रभु श्री राम विराजेंगे, उस गर्भ गृह से ठीक ऊपर 16 फीट 3 इंच का एक विशेष प्रकार का प्रकोष्ठ होगा. इसी प्रकोष्ठ पर 65 फीट 3 इंच ऊंचा निर्मित शिखर भी होगा. जानकारी के अनुसार प्रस्तावित मंदिर में करीब पौने दो लाख घन फिट लाल पत्थरों का उपयोग होगा, जिनमें करीब 1 लाख से अधिक पत्थरों को तराशने का काम पूरा किया जा चुका है.

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सबसे पहले कुंभ में रखा गया था राम मंदिर का मॉडल
महंत वरुण दास जी महाराज ने बताया कि राम जन्मभूमि कार्यशाला में लोग आते हैं और पूजा पाठ भी करते हैं. प्रस्तावित राम मंदिर मॉडल सबसे पहले 1989 में प्रयागराज में आयोजित कुंभ में रखा गया था. कुंभ के बाद इस मॉडल को मंदिर के शिलान्यास स्थल पर रखा गया.

उन्होंने बताया कि 1990 में जब श्री राम जन्मभूमि न्यास कार्यशाला बनी तो मंदिर के मॉडल को यहां स्थापित कर दिया गया. लोग दूर-दराज से आते हैं और भगवान राम के भव्य मंदिर का मॉडल देखते हैं. वह दान दक्षिणा भी यहां पर करते हैं और अपनी श्रद्धा के अनुसार दान देकर मंदिर निर्माण में अपना सहयोग दे रहे हैं.

Intro:एंकर
लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण हो सकेगा विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर राम जन्मभूमि कार्यशाला में 1990 से पत्थरों को तराशने का काम शुरू कराया था जो फैसला आने के कुछ दिनों पहले तक निरंतर जारी रहा राम जन्म भूमि कार्यशाला में भगवान राम की भव्य राम मंदिर मॉडल भी रखा गया है और मॉडल के ठीक बगल में कार्यशाला में राम जानकी मंदिर में भगवान राम की पूजा अर्चना भी होती है।



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राम जन्मभूमि कार्यशाला मैं पत्थरों को तराशने का काम देख रहे महंत वरुण दास जी महाराज ने ईटीवी से बात करते हुए बताया कि पत्थरों को तराशने का काम काफी पहले से चल रहा है और पत्थर प्रथम तल के तरह से जा चुके हैं और जब मंदिर निर्माण को लेकर शुरुआत होगी तो इन पत्थरों का उपयोग किया जाएगा यहां पर एक भव्य राम मंदिर का मॉडल भी रखा गया है और इसी मॉडल के अनुरूप पत्थरों को तराशने का काम किया गया है राजस्थान से पत्थर लाए गए हैं और विभिन्न आकृतियों और नक्काशी के साथ इन पत्थरों को तराशने का काम कारीगरों के द्वारा किया गया यह सारा काम विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में लगातार कराया जाता रहा है।
इस राम जन्मभूमि न्यास कार्यशाला के लिए मंदिर आंदोलन के सलाहकार पुरुष रहे परमहंस रामचंद्र दास ने जमीन दान दी थी जिसके बाद इस कार्यशाला में ही प्रस्तावित मंदिर के मॉडल के साथ उदित सिला है वह 83 गई सिलाई भी रखी गई है और यहीं पर राम जानकी मंदिर में पूजा अर्चना भी लगातार हो रही है
विश्व हिंदू परिषद की तरफ से मंदिर का जो स्वरूप तैयार किया गया है उसके अनुसार प्रथम मंजिल की ऊंचाई करीब 18 फीट और दूसरी मंजिल की ऊंचाई करीब 9 फीट 9 इंच होगी बीते कुछ वर्षों में राजस्थान मिर्जापुर वह गुजरात के अलग-अलग हिस्सों से कारीगर इस कार्यशाला में काम कर रहे हैं और करीब 100000 घनफुट से अधिक पत्थरों को तराशने का काम पूरा किया जा चुका है महंत वरुण दास के मुताबिक मंदिर का मॉडल भूतल के पत्थरों की तलाशी का कार्य पूरा हो चुका है राम जन्मभूमि के पार्श्व में प्रवाहित उत्तरवाहिनी मां सरयू आग्ने कोण पर विराजमान प्रभु हनुमान जी अयोध्या वासी और श्रद्धा साधक अपने रामलला को ऐसे भवन में विराजमान होते देखेंगे।
प्रस्तावित राम मंदिर की चौड़ाई करीब 140 फीट बताई जा रही है तो वहीं जन्मभूमि पर बनने वाले राम मंदिर की ऊंचाई 128 फीट के आसपास होगी मंदिर की प्रथम पीटी का 8 फीट ऊंची होगी इन तक प्रशस्त सीढ़ियों से पहुंचा जा सकेगा प्रथम तल पर चबूतरा से निर्माण होगा इसी में रंगमंडल गर्भ ग्रह के रूप में मंदिर के तमाम अन्य प्रखंड तैयार किए जाएंगे मंदिर के जिस कक्ष में प्रभु श्री राम विराजएंगे उस गर्भ ग्रह से ठीक ऊपर 16 फीट 3 इंच का एक विशेष प्रकार का प्रकोष्ठ होगा इसी प्रकोष्ठ पर 65 फीट 3 इंच ऊंचा निर्मित शिखर भी होगा जानकारी के अनुसार प्रस्तावित मंदिर में करीब पौने दो लाख घन फिट लाल पत्थरों का उपयोग होगा जिनमें करीब 1 लाख से अधिक पत्थरों को तराशने का काम पूरा किया जा चुका है।



Conclusion:इस कार्यशाला में लोग आते हैं और पूजा पाठ भी करते हैं प्रस्तावित राम मंदिर मॉडल सबसे पहले 1989 में प्रयागराज में आयोजित कुंभ में रखा गया था कुंभ के बाद इस मॉडल को मंदिर के शिलान्यास स्थल पर रखा गया 1990 में जब श्री राम जन्मभूमि न्यास कार्यशाला बनी मंदिर के मॉडल को यहां स्थापित कर दिया गया लोग दूर-दराज से आते हैं और भगवान राम के भव्य मंदिर का मॉडल देखते हैं और दान दक्षिणा भी यहां पर करते हैं और अपनी श्रद्धा के अनुसार दान भी देते हैं मंदिर निर्माण में अपना सहयोग दे रहे हैं।

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