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आस्था की डगर पर सहारा दे रहे 'भामाशाह', श्रद्धालुओं का कर रहे निशुल्क इलाज

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Published : Nov 6, 2019, 10:19 AM IST

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में श्रद्धालु लगातार 14 कोसी परिक्रमा कर रहे हैं. श्रद्धालुओं के लिए परिक्रमा मार्ग पर जगह-जगह स्वास्थ्य कैंप लगाए गए हैं, जिससे उनका निशुल्क इलाज किया जा सके.

परिक्रमा मार्ग पर श्रद्धालुओं के लिए उपलब्ध हैं चिकित्सा सुविधाएं.

अयोध्या: श्रद्धालु बिना थके हारे लगातार अयोध्या की 14 कोसी परिक्रमा कर रहे हैं. नंगे पांव चलने के कारण उनके पैरों में छाले पड़े जा रहे हैं. लगातार 42 किलोमीटर पैदल चलते हुए उन्हें चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए परिक्रमा मार्ग पर जगह-जगह स्वास्थ्य कैंप लगाए गए हैं, जहां उन्हें निशुल्क इलाज और दवाइयां उपलब्ध कराई जा रही हैं.

परिक्रमा मार्ग पर श्रद्धालुओं के लिए उपलब्ध हैं चिकित्सा सुविधाएं.

लोगों में अनोखी ऊर्जा का उदाहरण है 14 कोसी परिक्रमा

कहते हैं कि आस्था की डगर आसान नहीं होती, लेकिन जब राम और बजरंगबली का नाम हो तो एक अनोखी ऊर्जा मिलती है. अयोध्या की 14 कोसी परिक्रमा इस अनोखी ऊर्जा का उदाहरण है. शायद इसी का प्रभाव है कि नंगे पैर चल रहे श्रद्धालुओं के पैरों में छाले पड़ने के बावजूद उनका उत्साह कम नहीं हो रहा है. लंबे समय से लगातार पैदल चलने के कारण थकान जरूर हो गई है, लेकिन 42 किलोमीटर पदयात्रा करने का संकल्प बरकरार है. लगातार चलने के कारण श्रद्धालु कई विश्राम स्थलों पर कुछ क्षण के लिए रुक रहे हैं. इसके लिए जलपान और चिकित्सा शिविर में उनके बैठने की व्यवस्था की गई है.

परिक्रमा मार्ग पर श्रद्धालुओं के लिए उपलब्ध हैं चिकित्सा सुविधाएं

जत्थे में चलने और नंगे पैर होने के कारण कई श्रद्धालुओं के पैरों में चोटें आ जाती हैं. श्रद्धालु स्वास्थ्य शिविरों में मरहम पट्टी करवा रहे हैं. इसके साथ ही अन्य सभी चिकित्सा की व्यवस्थाएं परिक्रमा मार्ग पर बने अस्थायी चिकित्सा शिविरों में उपलब्ध हैं. अयोध्या की नाका हनुमानगढ़ी पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु परिक्रमा पूरी करके विश्राम कर रहे हैं. हालांकि इतनी भारी भीड़ के लिए प्रशासन द्वारा व्यवस्था उपलब्ध कराना एक कड़ी चुनौती है. परिक्रमा पूरी होने के बाद श्रद्धालुओं के रुकने-बैठने की व्यवस्था नहीं है. जिसके चलते वह सड़क पर बैठकर कुछ क्षण के लिए आराम कर रहे हैं.

परिक्रमा के बाद श्रद्धालुओं को नहीं मिलता वाहन

परिक्रमा करने ग्रामीण क्षेत्रों से अधिकतर लोग आते हैं. जब अर्धरात्रि के आसपास उनकी परिक्रमा पूरी हो जाती है, तो उन्हें घर जाने के लिए वाहन उपलब्ध नहीं हो पाता है, क्योंकि रात्रि के समय ग्रामीण क्षेत्रों में वाहन का आवागमन बंद हो जाता है. यही कारण है कि नाका हनुमानगढ़ी समेत अन्य सभी प्रमुख स्थलों पर परिक्रमा पूरी करने के बाद श्रद्धालु सुबह होने के इंतजार में हैं, जब उन्हें उनके घर जाने के लिए वाहन उपलब्ध होंगे.

पुलिस प्रशासन एलर्ट

फिलहाल अभी बड़ी संख्या में लोग अयोध्या पहुंचकर परिक्रमा शुरू कर रहे हैं. वहीं यात्रियों की बढ़ती भीड़ के दबाव को देखते हुए प्रशासन पूरी तरह सतर्क है. पुलिस बल और सेना के जवानों के साथ रैपिड एक्शन फोर्स भी लगातार निगरानी कर रही है. यात्रियों की सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं. परिक्रमा मार्ग पर किसी भी प्रकार के वाहनों का प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित है.

अयोध्या: श्रद्धालु बिना थके हारे लगातार अयोध्या की 14 कोसी परिक्रमा कर रहे हैं. नंगे पांव चलने के कारण उनके पैरों में छाले पड़े जा रहे हैं. लगातार 42 किलोमीटर पैदल चलते हुए उन्हें चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए परिक्रमा मार्ग पर जगह-जगह स्वास्थ्य कैंप लगाए गए हैं, जहां उन्हें निशुल्क इलाज और दवाइयां उपलब्ध कराई जा रही हैं.

परिक्रमा मार्ग पर श्रद्धालुओं के लिए उपलब्ध हैं चिकित्सा सुविधाएं.

लोगों में अनोखी ऊर्जा का उदाहरण है 14 कोसी परिक्रमा

कहते हैं कि आस्था की डगर आसान नहीं होती, लेकिन जब राम और बजरंगबली का नाम हो तो एक अनोखी ऊर्जा मिलती है. अयोध्या की 14 कोसी परिक्रमा इस अनोखी ऊर्जा का उदाहरण है. शायद इसी का प्रभाव है कि नंगे पैर चल रहे श्रद्धालुओं के पैरों में छाले पड़ने के बावजूद उनका उत्साह कम नहीं हो रहा है. लंबे समय से लगातार पैदल चलने के कारण थकान जरूर हो गई है, लेकिन 42 किलोमीटर पदयात्रा करने का संकल्प बरकरार है. लगातार चलने के कारण श्रद्धालु कई विश्राम स्थलों पर कुछ क्षण के लिए रुक रहे हैं. इसके लिए जलपान और चिकित्सा शिविर में उनके बैठने की व्यवस्था की गई है.

परिक्रमा मार्ग पर श्रद्धालुओं के लिए उपलब्ध हैं चिकित्सा सुविधाएं

जत्थे में चलने और नंगे पैर होने के कारण कई श्रद्धालुओं के पैरों में चोटें आ जाती हैं. श्रद्धालु स्वास्थ्य शिविरों में मरहम पट्टी करवा रहे हैं. इसके साथ ही अन्य सभी चिकित्सा की व्यवस्थाएं परिक्रमा मार्ग पर बने अस्थायी चिकित्सा शिविरों में उपलब्ध हैं. अयोध्या की नाका हनुमानगढ़ी पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु परिक्रमा पूरी करके विश्राम कर रहे हैं. हालांकि इतनी भारी भीड़ के लिए प्रशासन द्वारा व्यवस्था उपलब्ध कराना एक कड़ी चुनौती है. परिक्रमा पूरी होने के बाद श्रद्धालुओं के रुकने-बैठने की व्यवस्था नहीं है. जिसके चलते वह सड़क पर बैठकर कुछ क्षण के लिए आराम कर रहे हैं.

परिक्रमा के बाद श्रद्धालुओं को नहीं मिलता वाहन

परिक्रमा करने ग्रामीण क्षेत्रों से अधिकतर लोग आते हैं. जब अर्धरात्रि के आसपास उनकी परिक्रमा पूरी हो जाती है, तो उन्हें घर जाने के लिए वाहन उपलब्ध नहीं हो पाता है, क्योंकि रात्रि के समय ग्रामीण क्षेत्रों में वाहन का आवागमन बंद हो जाता है. यही कारण है कि नाका हनुमानगढ़ी समेत अन्य सभी प्रमुख स्थलों पर परिक्रमा पूरी करने के बाद श्रद्धालु सुबह होने के इंतजार में हैं, जब उन्हें उनके घर जाने के लिए वाहन उपलब्ध होंगे.

पुलिस प्रशासन एलर्ट

फिलहाल अभी बड़ी संख्या में लोग अयोध्या पहुंचकर परिक्रमा शुरू कर रहे हैं. वहीं यात्रियों की बढ़ती भीड़ के दबाव को देखते हुए प्रशासन पूरी तरह सतर्क है. पुलिस बल और सेना के जवानों के साथ रैपिड एक्शन फोर्स भी लगातार निगरानी कर रही है. यात्रियों की सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं. परिक्रमा मार्ग पर किसी भी प्रकार के वाहनों का प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित है.

Intro: अयोध्या: श्रद्धालु बिना थके हारे लगातार अयोध्या की 14 कोसी परिक्रमा कर रहे हैं पैदल चल रहे हैं. नंगे पांव चलने के कारण उनके पैरों में छाले पड़ पड़ जा रहे हैं. लगातार 42 किलोमीटर पैदल रास्तों पर चलते हुए उन्हें चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए परिक्रमा मार्ग पर जगह- जगह स्वास्थ्य कैंप लगाएं गए हैं, जहां उन्हें निशुल्क इलाज और दवाइयां उपलब्ध कराई जा रही हैं.


Body:कहते हैं आस्था की डगर आसान नहीं होती लेकिन जब राम और बजरंगबली का नाम हो तो एक अनोखी ऊर्जा मिलती है. अयोध्या की 14 कोसी परिक्रमा ऊर्जा का इस अनोखी ऊर्जा का उदाहरण है. शायद इसी का प्रभाव है कि नंगे पर चल रहे श्रद्धालुओं के पैरों में छाले पड़ने के बावजूद उनका उत्साह कम नहीं हो रहा है. लंबे समय से लगातार पैदल चलने के कारण थकान जरूर हो गई है लेकिन अपना परेड यानी 42 किलोमीटर पदयात्रा करने का संकल्प बरकरार है. लगातार चलने के कारण श्रद्धालु कई विश्राम स्थलों पर कुछ क्षण के लिए रुक रहे हैं. इसके लिए जलपान और चिकित्सा शिविर मैं उनके बैठने की व्यवस्था की गई है. जत्थे में चलने और नंगे पांव होने के कारण कई श्रद्धालुओं के पैरों में चोटें आ जाती हैं. श्रद्धालु स्वास्थ्य शिविरों में मरहम पट्टी करवा रहे हैं. इसके साथ ही अन्य सभी चिकित्सा की व्यवस्थाएं परिक्रमा मार्ग पर बने अस्थाई चिकित्सा शिविरों में उपलब्ध हैं. अयोध्या की नाका हनुमानगढ़ी पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु परिक्रमा पूरी करके विश्राम कर रहे हैं. हालांकि इतनी भारी भीड़ के लिए प्रशासन द्वारा व्यवस्था उपलब्ध कराना एक कड़ी चुनौती है. परिक्रमा पूरी होने के बाद श्रद्धालुओं के रुकने बैठने की व्यवस्था नहीं है. जिसके चलते वह सड़क पर बैठकर कुछ क्षण के लिए आराम कर रहे हैं. आपको बता दें कि परिक्रमा करने ग्रामीण क्षेत्रों से अधिकतर लोग आते हैं. जब अर्धरात्रि के आसपास उनकी परिक्रमा पूरी हो जाती है तो उन्हें घर जाने के लिए वाहन उपलब्ध नहीं हो पाता है. क्योंकि रात्रि के समय ग्रामीण क्षेत्रों में वाहन का आवागमन बंद हो जाता है. यही कारण है कि नाका हनुमानगढ़ी समेत अन्य सभी प्रमुख स्थलों पर परिक्रमा पूरी करने के बाद श्रद्धालु सुबह होने के इंतजार में हैं, जब उन्हें उनके घर जाने के लिए वाहन उपलब्ध होंगे.


Conclusion:फिलहाल अभी बड़ी संख्या में लोग अयोध्या पहुंचकर परिक्रमा शुरू कर रहे हैं. वहीं यात्रियों की बढ़ती भीड़ के दबाव को देखते हुए प्रशासन पूरी तरह सतर्क है. पुलिस बल और सेना के जवानों के साथ रैपिड एक्शन फोर्स भी लगातार निगरानी कर रही है. यात्रियों की सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं परिक्रमा मार्ग पर किसी भी प्रकार के वाहनों का प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित है. बाइट- आर. के. यादव, स्वास्थ्य शिविर संचालक बाइट- श्रद्धालु
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