अयोध्याः एक दशक से लाख कोशिशों के बावजूद अयोध्या को ठोस अपशिष्ट प्रबंधन योजना के लिए जमीन नहीं मिल सकी है. नगर निगम अयोध्या को 8 करोड़ रुपये सरकार द्वारा दिए जाने के बावजूद यह योजना धरातल पर नहीं उतर सकी है. मंदिरों की नगरी अयोध्या से निकलने वाले कचरे का प्रबंधन नहीं होने से श्रद्धालु से लेकर यहां के रहिवासी परेशान हैं.
स्वच्छता संबंधी रैंकिंग सुधारने में भी जमीन की कमी ग्रहण बनी
कचरे का उचित प्रबंधन न होने से फैल रही दुर्गंध से स्थानीय रहिवासी परेशान हो रहे हैं. इसके अलावा धर्मनगरी से जुड़े अयोध्या नगर निगम की स्वच्छता संबंधी रैंकिंग सुधारने में भी जमीन की कमी ग्रहण बनी हुई है. तीर्थ पुरोहित आशुतोष तिवारी कहते है कि श्मशानघाट भी दुर्गंध से पटा है, वहां भी शांति नहीं रह गई है. नगर आयुक्त विशाल सिंह व्यस्तता के कारण अपना पक्ष नही स्पष्ट कर सके.
समय से कचरा न उठाए जाने की शिकायत आम
परिस्थितियों के चलते बस्ती जिले में कचरा अस्थाई रूप से डाला जा रहा है. इसके कारण समय से कचरा न उठाए जाने की शिकायत आम है. बता दें कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण से जुड़े न्यायमूर्ति डीपी सिंह ने सीता झील के निर्माण को लेकर किए गए निरीक्षण के बाद नगर निगम को तत्काल कचरा हटाए जाने की चेतावनी के साथ जुर्माना भी लगाया था. इसके बाद प्रस्तावित प्रस्तावित सीता झील कृपा से के पास से कचरा तो हट गया लेकिन अन्य स्थानों पर समस्या जस की तस बनी हुई है.
सोहावल के पास 50 बीघा जमीन अधिग्रहण करने पर विचार-विमर्श
सूत्रों के अनुसार सोहावल के पास 50 बीघा जमीन लिए जाने की बात चल रही है. इससे पहले बीकापुर के तरुण क्षेत्र में जमीन तो मिली स्थानी अड़चन के कारण सफलता नहीं मिल सकी. पहले फैजाबाद नगर पालिका अध्यक्ष विजय गुप्त के समय रामकथा संकुल के पास कचरा प्रबंधन के लिए जमीन की तलाश की गई थी. लेकिन प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव विजय शंकर पांडे द्वारा तलाशी हुई भूमि को डूब क्षेत्र 18 जाने के कारण उस समय भी जमीन नहीं दी जा सकी. बार-बार प्रयास और उसके अड़चनों के बीच अयोध्या नगर निगम ठोस अपशिष्ट कचरा प्रबंधन में सफल ना हो पाने के कारण अपनी विकास योजनाओं को लेकर सवालों के घेरे में है.