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सीता जी की करीबी सखी हैं अयोध्या के झुनझुनिया बाबा - अयोध्या हिंदी खबरें

झुनझुनिया बाबा का नाम अयोध्या के सिद्ध संतों में शामिल है. बाबा को सीता जी की सखी चंद्रकला का अवतार कहा जाता है. यही वजह थी कि बाबा हमेशा स्त्री रूप में रहते थे और राम धुन में लीन रहते थे.

झुनझुनिया बाबा
झुनझुनिया बाबा
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Published : Dec 27, 2020, 11:09 PM IST

अयोध्या: रसिक भाव से श्रीराम नाम का प्रचार कर उसे जनमानस के हृदय में प्रतिष्ठित करने वाले स्वामी जानकी शरण महाराज उर्फ झुनझुनिया बाबा की गिनती अयोध्या के सिद्ध संतों की अग्रणी पंक्ति में की जाती है. महाराजश्री को सीता जी की सहेली चंद्रकला का अवतार माना जाता है. उन्होंने सरयू के तट पर जहां तपस्या की थी. वहां सियाराम किला भव्य मंदिर बना हुआ है.

सीता जी की सखी झुनझुनिया बाबा
अयोध्या में पक्के घाट का निर्माण कराया

स्वामी जानकी शरण उर्फ झुनझुनियां बाबा ने अपने समय मे अयोध्या में उस समय के एकमात्र पक्के घाट का निर्माण कराया था. यह आज भी झुनकी घाट के नाम से मशहूर है. इस घाट पर दर्शन एवं सरयू स्नान के लिए आने वाले लोग आज भी आनंद का अनुभव करते हैं.


उल्टी खाट पर बैठकर करते थे यात्रा

स्वामी जानकी शरण उर्फ झुनझुनिया बाबा उल्टी खाट पर बैठकर 'श्री राम नाम सत्य है' की धुन लगाते हुए यात्रा करते थे. झुनझुनिया बाबा कानों में बाली, हाथों में कंगन, पैरों में घुंघरू पहन के सीता जी की सखी चंद्रकला के रूप में ही आजीवन भगवान श्रीराम की आराधना में लीन रहे.


किशोरी जी से मिला जन कल्याण का आदेश

उन्होंने सत्यभाव से श्री सीताराम की उपासना की धारा प्रज्वलित की, जो आज भी करोड़ों लोगों को रामनाम रूपी दिव्य रस का अनुभव कराती है. मंदिर के महंत करुणानिधान शरण कहते हैं की झुनझुनियां बाबा ने कई दशक तक कठोर तपस्या कर भगवान का साक्षात दर्शन प्राप्त किया. किशोरी जी से उन्हें जन कल्याण का आदेश मिला.


तपोस्थली पर सियाराम किला की स्थापना कराई

महाराज जी के शिष्य स्वामी मिथिला शरण महाराज ने महाराज जी की तपोस्थली पर सियाराम किला की स्थापना कराई. सरयू तट पर स्थित यह आश्रम त्याग, तपस्या और रसिक परंपरा की उपासना का मुख्य केंद्र बना हुआ है. यहां पर दिल्ली, बिहार, कोलकाता सहित कई प्रांतों से जुड़े लाखों शिष्य हैं.



रामनाम संकीर्तन मंदिर की परंपरा

मंदिर में अन्नकूट, सावन झूला मेला, रामनवमी, जानकी नवमी, हनुमान जयंती आदि उत्सव धूमधाम से मनाए जाते हैं. महंत करुणानिधान शरण ने बताया कि संत सेवा, अतिथि सेवा व राम नाम संकीर्तन मंदिर की मुख्य परंपरा है. यहां जानकी जी को भोजन के समय व आरती के समय पदों का गायन कर भोग लगाया जाता है.

सरयू नदी का पानी बना घी

महंत करुणानिधान शरण ने बताया कि एक बार भंडारे के समय देसी घी की कमी पड़ गई. लोगों ने इसकी सूचना महाराज जी को दी. इस पर महाराज जी ने कहा कि जाओ सरयू से दो टीना घी मांग लाओ. शिष्य सरयू नदी से दो टीना जल लाकर कढ़ाई में डाल दिया गया और वह घी बन गया.



बाबा को समझना आसान नहीं

झुनझुनिया बाबा अनेक प्रकार की सिद्धियों के स्वामी थे. वे सामान्य रूप में बहुत ही सरल व स्नेहिल थे लेकिन रामनाम संकीर्तन के प्रति कठोर थे. वे मंदिर के सन्तों को रात भर जगाकर कीर्तन के लिए प्रेरित किया करते थे. सियाराम किला के व्यवस्थापक प्रह्लाद शरण के अनुसार झुनकी बाबा के चरित्र का वर्णन कर पाना कठिन भी है और उन्हें जान पाना दुर्लभ भी है.

अयोध्या: रसिक भाव से श्रीराम नाम का प्रचार कर उसे जनमानस के हृदय में प्रतिष्ठित करने वाले स्वामी जानकी शरण महाराज उर्फ झुनझुनिया बाबा की गिनती अयोध्या के सिद्ध संतों की अग्रणी पंक्ति में की जाती है. महाराजश्री को सीता जी की सहेली चंद्रकला का अवतार माना जाता है. उन्होंने सरयू के तट पर जहां तपस्या की थी. वहां सियाराम किला भव्य मंदिर बना हुआ है.

सीता जी की सखी झुनझुनिया बाबा
अयोध्या में पक्के घाट का निर्माण कराया

स्वामी जानकी शरण उर्फ झुनझुनियां बाबा ने अपने समय मे अयोध्या में उस समय के एकमात्र पक्के घाट का निर्माण कराया था. यह आज भी झुनकी घाट के नाम से मशहूर है. इस घाट पर दर्शन एवं सरयू स्नान के लिए आने वाले लोग आज भी आनंद का अनुभव करते हैं.


उल्टी खाट पर बैठकर करते थे यात्रा

स्वामी जानकी शरण उर्फ झुनझुनिया बाबा उल्टी खाट पर बैठकर 'श्री राम नाम सत्य है' की धुन लगाते हुए यात्रा करते थे. झुनझुनिया बाबा कानों में बाली, हाथों में कंगन, पैरों में घुंघरू पहन के सीता जी की सखी चंद्रकला के रूप में ही आजीवन भगवान श्रीराम की आराधना में लीन रहे.


किशोरी जी से मिला जन कल्याण का आदेश

उन्होंने सत्यभाव से श्री सीताराम की उपासना की धारा प्रज्वलित की, जो आज भी करोड़ों लोगों को रामनाम रूपी दिव्य रस का अनुभव कराती है. मंदिर के महंत करुणानिधान शरण कहते हैं की झुनझुनियां बाबा ने कई दशक तक कठोर तपस्या कर भगवान का साक्षात दर्शन प्राप्त किया. किशोरी जी से उन्हें जन कल्याण का आदेश मिला.


तपोस्थली पर सियाराम किला की स्थापना कराई

महाराज जी के शिष्य स्वामी मिथिला शरण महाराज ने महाराज जी की तपोस्थली पर सियाराम किला की स्थापना कराई. सरयू तट पर स्थित यह आश्रम त्याग, तपस्या और रसिक परंपरा की उपासना का मुख्य केंद्र बना हुआ है. यहां पर दिल्ली, बिहार, कोलकाता सहित कई प्रांतों से जुड़े लाखों शिष्य हैं.



रामनाम संकीर्तन मंदिर की परंपरा

मंदिर में अन्नकूट, सावन झूला मेला, रामनवमी, जानकी नवमी, हनुमान जयंती आदि उत्सव धूमधाम से मनाए जाते हैं. महंत करुणानिधान शरण ने बताया कि संत सेवा, अतिथि सेवा व राम नाम संकीर्तन मंदिर की मुख्य परंपरा है. यहां जानकी जी को भोजन के समय व आरती के समय पदों का गायन कर भोग लगाया जाता है.

सरयू नदी का पानी बना घी

महंत करुणानिधान शरण ने बताया कि एक बार भंडारे के समय देसी घी की कमी पड़ गई. लोगों ने इसकी सूचना महाराज जी को दी. इस पर महाराज जी ने कहा कि जाओ सरयू से दो टीना घी मांग लाओ. शिष्य सरयू नदी से दो टीना जल लाकर कढ़ाई में डाल दिया गया और वह घी बन गया.



बाबा को समझना आसान नहीं

झुनझुनिया बाबा अनेक प्रकार की सिद्धियों के स्वामी थे. वे सामान्य रूप में बहुत ही सरल व स्नेहिल थे लेकिन रामनाम संकीर्तन के प्रति कठोर थे. वे मंदिर के सन्तों को रात भर जगाकर कीर्तन के लिए प्रेरित किया करते थे. सियाराम किला के व्यवस्थापक प्रह्लाद शरण के अनुसार झुनकी बाबा के चरित्र का वर्णन कर पाना कठिन भी है और उन्हें जान पाना दुर्लभ भी है.

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