अयोध्या: राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को फैसला सुनाते हुए मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ की जमीन देने का आदेश दिया था. साथ ही श्री रामलला के पक्ष में संपूर्ण जमीन का स्वामित्व आया. इस मामले में 18 पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. इस पर बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का कोई मतलब ही नहीं थी, हमने तो इसे पहले ही स्वीकार कर लिया था.
अयोध्या विवाद में फैसले के बाद पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए इसे खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि हम फैसले पर अडिग हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए इकबाल अंसारी ने कहा कि सबकी बात लोअर कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक सुनी गई. इसके बाद 70 साल तक सुनवाई चली और अब सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला दे दिया है. इस फैसले के बाद किसी प्रकार की कोई तकलीफ किसी को नहीं होनी चाहिए.
इसे भी पढ़ें- अयोध्या विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने सभी पुनर्विचार याचिकाओं को किया खारिज
इकबाल अंसारी ने कहा कि हमें पहले से यकीन था कि अमन और चैन के लिए उस फैसले को स्वीकार करना चाहिए था. इसे सभी पक्षों ने स्वीकार कर लिया था, लेकिन जिन्हें नहीं स्वीकार था उन्हें आज सुप्रीम कोर्ट ने जवाब दे दिया है. उन्होंने कहा कि रिव्यू पिटिशन की जरूरत ही नहीं थी, यह बात हम पहले से कहते थे.