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पुनर्विचार याचिका की कोई जरूरत नहीं थी, सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही कर दिया था फैसला: इकबाल अंसारी

अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल सभी पुनर्विचार याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. इस पर बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि पुनर्विचार याचिका की कोई जरूरत ही नहीं थी, हमने इसे पहले ही मान लिया था.

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इकबाल अंसारी
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Published : Dec 12, 2019, 6:00 PM IST

अयोध्या: राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को फैसला सुनाते हुए मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ की जमीन देने का आदेश दिया था. साथ ही श्री रामलला के पक्ष में संपूर्ण जमीन का स्वामित्व आया. इस मामले में 18 पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. इस पर बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का कोई मतलब ही नहीं थी, हमने तो इसे पहले ही स्वीकार कर लिया था.

इकबाल अंसारी ने पुनर्विचार याचिका खारिज होने पर दिया बयान.

अयोध्या विवाद में फैसले के बाद पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए इसे खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि हम फैसले पर अडिग हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए इकबाल अंसारी ने कहा कि सबकी बात लोअर कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक सुनी गई. इसके बाद 70 साल तक सुनवाई चली और अब सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला दे दिया है. इस फैसले के बाद किसी प्रकार की कोई तकलीफ किसी को नहीं होनी चाहिए.

इसे भी पढ़ें- अयोध्या विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने सभी पुनर्विचार याचिकाओं को किया खारिज

इकबाल अंसारी ने कहा कि हमें पहले से यकीन था कि अमन और चैन के लिए उस फैसले को स्वीकार करना चाहिए था. इसे सभी पक्षों ने स्वीकार कर लिया था, लेकिन जिन्हें नहीं स्वीकार था उन्हें आज सुप्रीम कोर्ट ने जवाब दे दिया है. उन्होंने कहा कि रिव्यू पिटिशन की जरूरत ही नहीं थी, यह बात हम पहले से कहते थे.

अयोध्या: राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को फैसला सुनाते हुए मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ की जमीन देने का आदेश दिया था. साथ ही श्री रामलला के पक्ष में संपूर्ण जमीन का स्वामित्व आया. इस मामले में 18 पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. इस पर बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का कोई मतलब ही नहीं थी, हमने तो इसे पहले ही स्वीकार कर लिया था.

इकबाल अंसारी ने पुनर्विचार याचिका खारिज होने पर दिया बयान.

अयोध्या विवाद में फैसले के बाद पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए इसे खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि हम फैसले पर अडिग हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए इकबाल अंसारी ने कहा कि सबकी बात लोअर कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक सुनी गई. इसके बाद 70 साल तक सुनवाई चली और अब सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला दे दिया है. इस फैसले के बाद किसी प्रकार की कोई तकलीफ किसी को नहीं होनी चाहिए.

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इकबाल अंसारी ने कहा कि हमें पहले से यकीन था कि अमन और चैन के लिए उस फैसले को स्वीकार करना चाहिए था. इसे सभी पक्षों ने स्वीकार कर लिया था, लेकिन जिन्हें नहीं स्वीकार था उन्हें आज सुप्रीम कोर्ट ने जवाब दे दिया है. उन्होंने कहा कि रिव्यू पिटिशन की जरूरत ही नहीं थी, यह बात हम पहले से कहते थे.

Intro:9 नवंबर 2019 को श्री राम जन्म भूमि मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देकर मुस्लिम पक्षों को 5 एकड़ की जमीन देने का आदेश दिया तो वही श्री राम लला के पक्ष में संपूर्ण जमीन का स्वामित्व आया इस मामले पर हिंदू और मुस्लिम सभी पक्षकारों ने फैसले को स्वीकार किया था लेकिन कुछ सभी लोग ऐसे भी थे, जिन्हें यह फैसला स्वीकार होने की के पीछे उनकी दुकान बंद होना महत्वपूर्ण लगा।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से जो रिव्यू पिटीशन जमीयत ए उलेमा ए हिंद ने दायर की थी इस पिटिशन पर आज सुप्रीम कोर्ट ने दोपहर 1:40 पर इन चेंबर सुनवाई करते हैं पूरे देश की निगाहें फिर से उसी संवैधानिक पीठ पर जाट की और देर शाम 4:30 पर सुप्रीम कोर्ट से एक फैसला फिर से आया कि, उस रिविव पिटिशन को खारिज किया जाता है और उनके साथ अन्य 17 को भी खारिज कर दिया गया। जिन्हें इस फैसले से तकलीफ से लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बता दिया कि हम फैसले पर अडिग हैं।

Body:ईटीवी भारत से विशेष बातचीत के दौरान इकबाल अंसारी ने कहां की कोर्ट में सबकी बात लोअर कोर्ट हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट तक सुनी गई इसके बाद 70 साल तक सुनवाई चली और अब सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला दे दिया है इस फैसले के बाद किसी प्रकार की कोई तकलीफ किसी को नहीं होनी चाहिए कुछ लोग जो फैसले को सही नहीं मान रहे थे वह हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्ष मिलकर के गए थे हमें पहले से यकीन था कि अमन और चैन के लिए उस फैसले को स्वीकार करना चाहिए था सभी पक्षों ने स्वीकार कर लिया था लेकिन जिन्हें नहीं स्वीकार था उन्हें आज सुप्रीम कोर्ट ने जवाब दे दिया रिव्यू पिटिशन की जरूरत ही नहीं थी यह बात हम पहले से कहते हैंConclusion:कृपया तत्काल ध्यान दें।
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