अयोध्या : यूं तो माघ शुक्ल पंचमी यानी कि बसंत पंचमी पर्व से रामनगरी में औपचारिक रूप से मंदिरों में होली का शुभारंभ हो जाता है और प्रतिदिन भगवान को अबीर-गुलाल भी चढ़ाया जाता है, लेकिन फाल्गुन शुक्ल एकादशी यानी कि रंगभरी एकादशी पर्व से अवध की होली का विधिवत श्रीगणेश होता है. अब 25 मार्च से अवध में होली का आगाज होने जा रहा है. नगरी के 10 हजार से अधिक मंदिरों के गर्भगृह में विराजमान भगवान की राग-भोग आरती, साज-सज्जा के साथ उनके गालों पर गुलाल लगाया जाएगा.
गुलाल के प्रसाद से संत खेलेंगे होली
हनुमानगढ़ी में होली यानी हनुमान जी के आंगन में होली खेलने के बाद, संत कुछ घंटे में अयोध्या की होली आरम्भ करने जा रहे हैं. पहले हनुमान जी को गुलाल लगाया जाएगा फिर उस गुलाल के प्रसाद से संत होली खेलेंगे.
हनुमानगढ़ी से निकलेगा परंपरागत जुलूस
रंगभरी एकादशी के पर्व पर रामनगरी में संत-महात्मा अपने आराध्य के प्रति अनुराग प्रकट करते हुए अबीर-गुलाल उड़ाकर प्रभु के साथ होली खेलेंगे. हनुमानगढ़ी परिसर में रंगभरी एकादशी की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं.
सदियों से अयोध्या में चली आ रही है प्राचीन परम्परा
अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष महंत ज्ञानदास के उत्तराधिकारी महंत संजय दास ने बताया कि परम्परागत रूप से कड़ी सुरक्षा में प्रमुख सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी से साधू संतों का जुलूस निकलेगा. हनुमानजी के निशान की छत्रछाया में यह जुलूस होली खेलते हुए अयोध्या की पंचकोसी परिक्रमा करेगा. अयोध्या की सड़कों पर निकलकर संत ढोल की धुन पर जमकर नृत्य करेंगे, साथ ही अखाड़े के पहलवान अपनी शस्त्र तलवार आदि की कला का भी प्रदर्शन करेंगे. यह प्राचीन परम्परा सदियों से अयोध्या में चली आ रही है.
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पंचकोसी परिक्रमा मार्ग के प्रमुख मंदिरों मे होली होगी
हनुमत संस्कृत महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ महेश दास ने बताया कि रंगभरी एकादशी के मौके पर अयोध्या के संत भगवान के साथ होली खेलते हैं. इसी परम्परा के तहत रंगभरी एकादशी के अवसर पर अयोध्या के पंचकोसी परिक्रमा मार्ग के प्रमुख मंदिरों में होली होगी. जुलूस की शक्ल में नागा साधुओं की टोली बैंड बाजे के साथ व अखाड़ों के पहलवान करतब दिखाते हुए अयोध्या की सड़कों पर निकलने को आतुर हैं.