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अयोध्या: 500 साल बाद श्री रामलला ने खेली स्वतंत्र होली - राम जन्मभूमि

अयोध्या में होली की शुरुआत तो रंगभरी एकादशी से ही हो जाती है, जो होली के दिन देर रात तक चलती है, लेकिन इस बार पहली दफा बांके बिहारी मंदिर वृंदावन से रामलला के लिए गुलाब की पंखुड़ी से बने गुलाल भेजे गए और उसी से होली खेली गई.

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500 साल बाद श्री रामलला ने खेली स्वतंत्र होली
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Published : Mar 10, 2020, 11:22 PM IST

Updated : Mar 10, 2020, 11:43 PM IST

अयोध्या: राम जन्मभूमि में श्री रामलला की इस बार होली खास रही, उन्होंने 500 सालों बाद स्वतंत्र रूप से होली खेली. वृंदावन बांके बिहारी मंदिर से आये विशेष रंग गुलाल से होली खेली गई. आचार्य सतेंद्र दास ने बताया कि श्री रामलला ने 500 वर्षो बाद स्वतंत्र होली खेली है. इस बार रामलला और अयोध्यावासियों की होली बेहद खास है. रामलला और बांके बिहारी का संबंध इस बार होली में विशेष तौर से जुड़ रहा है.

500 साल बाद श्री रामलला ने खेली स्वतंत्र होली

वृंदावन बांके बिहारी मंदिर के सेवादार अशोक कुमार गोस्वामी, गोपी गोस्वामी ने रामलला के लिए विशेष रंगों का गुलाल भेंट भेजा है. साथ ही मिष्ठान भी भेजा. मुख्य पुजारी आचार्य सतेंद्र दास ने सुबह 7 बजे रामलला को बांके बिहारी को रंग गुलाल लगाकर होली की शुरुआत की. वहीं श्रीरामलला सहित तीनों भाई लक्ष्मन, भरत, शत्रुघ्न को बांके बिहारी मंदिर में रंग गुलाल लगाकर होली खेली गई.

वृंदावन बांके बिहारी से आए गुलाब से बने पीले, गुलाबी, लाल, नीले, हरे, केसरिया रंग के गुलाल से रामलला ने होली खेली. रामलला को होली के उपलक्ष्य में विशेष पकवान के भोग भी लगाए गए. वहीं रात को भोग के रूप में अलग व्यंजन का भोग लगाया जाएगा. विशेष पकवान के तौर पर रामलला को पूड़ी, सब्जी, खस्ता, पेड़ा, लड्डू, पंचमेवा और स्पेशल खीर का भोग रात के भोजन में भोग के रूप में दिया जाएगा.

रामलला के दरबार में सुबह 7 बजे से होली की शुरुआत हुई, जो दोपहर 12 बजे तक चली. इसके बाद शाम को उन्हीं शुद्ध गुलाब की पंखुड़ियों से बने गुलाल से शाम को भी पूजन होगा. ऐसे अवसर पर विशेष गीत 'होली खेले रघुवीरा अवध में होली खेले रघुवीरा' का गायन पुजारी द्वारा किया गया.

ये भी पढ़ें- अयोध्याः इकबाल अंसारी ने दी देश भर को होली की शुभकामनाएं

अयोध्या: राम जन्मभूमि में श्री रामलला की इस बार होली खास रही, उन्होंने 500 सालों बाद स्वतंत्र रूप से होली खेली. वृंदावन बांके बिहारी मंदिर से आये विशेष रंग गुलाल से होली खेली गई. आचार्य सतेंद्र दास ने बताया कि श्री रामलला ने 500 वर्षो बाद स्वतंत्र होली खेली है. इस बार रामलला और अयोध्यावासियों की होली बेहद खास है. रामलला और बांके बिहारी का संबंध इस बार होली में विशेष तौर से जुड़ रहा है.

500 साल बाद श्री रामलला ने खेली स्वतंत्र होली

वृंदावन बांके बिहारी मंदिर के सेवादार अशोक कुमार गोस्वामी, गोपी गोस्वामी ने रामलला के लिए विशेष रंगों का गुलाल भेंट भेजा है. साथ ही मिष्ठान भी भेजा. मुख्य पुजारी आचार्य सतेंद्र दास ने सुबह 7 बजे रामलला को बांके बिहारी को रंग गुलाल लगाकर होली की शुरुआत की. वहीं श्रीरामलला सहित तीनों भाई लक्ष्मन, भरत, शत्रुघ्न को बांके बिहारी मंदिर में रंग गुलाल लगाकर होली खेली गई.

वृंदावन बांके बिहारी से आए गुलाब से बने पीले, गुलाबी, लाल, नीले, हरे, केसरिया रंग के गुलाल से रामलला ने होली खेली. रामलला को होली के उपलक्ष्य में विशेष पकवान के भोग भी लगाए गए. वहीं रात को भोग के रूप में अलग व्यंजन का भोग लगाया जाएगा. विशेष पकवान के तौर पर रामलला को पूड़ी, सब्जी, खस्ता, पेड़ा, लड्डू, पंचमेवा और स्पेशल खीर का भोग रात के भोजन में भोग के रूप में दिया जाएगा.

रामलला के दरबार में सुबह 7 बजे से होली की शुरुआत हुई, जो दोपहर 12 बजे तक चली. इसके बाद शाम को उन्हीं शुद्ध गुलाब की पंखुड़ियों से बने गुलाल से शाम को भी पूजन होगा. ऐसे अवसर पर विशेष गीत 'होली खेले रघुवीरा अवध में होली खेले रघुवीरा' का गायन पुजारी द्वारा किया गया.

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Last Updated : Mar 10, 2020, 11:43 PM IST
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