अयोध्या: राम नगरी में हनुमान जन्मोत्सव की धूम है. सुबह से ही हनुमान जन्मोत्सव के मौके पर श्रद्धालुओं ने सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी पर दर्शन पूजन किए. हालांकि, राम नगरी में मुख्य तौर पर हनुमान जन्मोत्सव छोटी दीपावली के एक दिन पहले मनाया जाता है. लेकिन, दक्षिण भारतीय परंपरा के अनुसार, दक्षिण मुखी हनुमान जी के उपासक देश के विभिन्न क्षेत्रों में आज भी हनुमान जन्मोत्सव को मनाते हैं. सुबह से ही हनुमानगढ़ी पर दर्शन पूजन का दौर शुरू हो चुका है. हनुमानगढ़ी के अलावा राम जन्मभूमि, कनक भवन और नागेश्वर नाथ मंदिर पर भी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. दर्शन पूजन के बाद श्रद्धालुओं ने सरयू नदी में स्नान किया.
दूरदराज से अयोध्या पहुंचे श्रद्धालु कहते हैं कि राम नगरी आने पर अगर हनुमानगढ़ी पर दर्शन नहीं किए तो फिर वह दर्शन अधूरा माना जाता है. ऐसी धार्मिक मान्यता है. धार्मिक मान्यता है कि हनुमान जी रुद्रावतार थे. उनको शिव का अवतार माना जाता है और उनका जन्म चैत्र मास की पूर्णिमा को हुआ था. इसलिए, हनुमान जन्मोत्सव मनाए जाने की प्रथा है. सुबह से ही हनुमान गढ़ी पर श्रद्धालुओं की भीड़ रही. तेज धूप के बावजूद लोगों ने बड़ी आस्था और श्रद्धा के साथ बजरंगबली का आशीर्वाद लिया.
हनुमान जी के जन्म स्थान और जन्मतिथि को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं. कुछ मान्यताएं हैं कि हनुमान जी का जन्म कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी यानी दीपावली के एक दिन पहले हुआ था, जो अयोध्या में मुख्यता मनाया जाता है. इसका जिक्र बाल्मीकि रामायण में भी है. वहीं, कुछ लोग बजरंगबली का जन्म चैत्र शुक्ल पूर्णिमा तिथि को भी मानते हैं. इसके पीछे कई धार्मिक कथाएं प्रचलित हैं. हनुमानगढ़ी के पुजारी मणिराम दास बताते हैं कि हनुमान जयंती दीपावली के एक दिन पहले हनुमानगढ़ी में मनाई जाती है. देश में बहुत जगह पर आज भी हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है. रामलला के मंदिर का निर्माण शुरू हुआ, तब से अयोध्या में श्रद्धालुओं की आमद बढ़ गई है.
यह भी पढ़ें: कानपुर में अचानक रोने लगे बजरंगबली, वीडियो वायरल होने पर पहुंची पुलिस