अयोध्या: जिले के रहने वाले एक किसान अपने 4 ट्राली गन्ने के भुगतान की मांग को बीते 30 सालों से लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन अभी तक उन्हें इंसाफ नहीं मिल पाया है. इसकी वजह से किसान बीते 13 दिनों से अपने खेत में ही धरने पर बैठ गया है. वहीं हैरान करने वाली बात यह भी है कि जब इस मामले में डीएम ने संबंधित विभाग से रिपोर्ट मांगी तो विभाग ने किसान को ही दोषी ठहरा दिया.
धरने पर बैठा बुजुर्ग किसान
जनपद के ग्रामीण क्षेत्र बीकापुर इलाके स्थित पातुपुर गांव में 30 साल से बकाए गन्ने के भुगतान को लेकर एक बुजुर्ग किसान खेत में किसान धरने पर बैठा है. किसान के प्रकरण को जिला प्रशासन ने संज्ञान में लेकर इस मामले में संबंधित विभाग से रिपोर्ट तलब की है. हालांकि इस रिपोर्ट में विभाग ने किसान और उसके पिता को ही दोषी ठहराया है, जिसके कारण अभी तक इस विवाद का हल होता नजर नहीं आ रहा है. बूढ़ा किसान अपनी मांग पर अड़ा है और भुगतान को लेकर धरने पर बैठा हुआ है.
किसान रामतेज वर्मा के अनुसार उनके पिता त्रिवेणी वर्मा ने 1990-91 में 4 ट्राली गन्ना केएम शुगर मिल को बेचा था, जिसकी कीमत लगभग उस वक्त 10 हजार रुपये थी, लेकिन समिति और मिल ने उसका भुगतान नहीं किया. तब से किसान लगातार अपने भुगतान के लिए कोर्ट कचहरी के चक्कर लगा रहा है. बावजूद इसके अभी तक किसान को इंसाफ नहीं मिल पाया है. किसान का कहना है कि वह गरीब है, शायद इसीलिए कहीं उसकी सुनवाई नहीं हो रही है. किसान ने बताया कि उल्टा उसके ऊपर आरोप लगा दिया गया है.
किसान और उसके पिता को ठहरा दिया गया दोषी
उपरोक्त मामले में जिलाधिकारी अनुज झा ने जिला गन्ना अधिकारी अखिलेश सिंह से रिपोर्ट मांगी. इसके बाद प्रेषित की गई रिपोर्ट में गन्ना विभाग ने किसान रामतेज को ही दोषी ठहरा दिया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि सन् 1990-91 में किसान और उसके पिता ने फर्जी पर्ची छपवाकर और समिति की फर्जी मुहर लगाकर गन्ने की तौल करवाई थी. इस मामले में समिति ने किसान रामतेज वर्मा के पिता त्रिवेणी वर्मा के खिलाफ थाना पूराकलन्दर में तहरीर देते हुए समिति ने गन्ना भुगतान पर रोक भी लगाई थी. किसान रामतेज ने लघुवाद न्यायालय में मुकदमा दायर किया था, जिसमें न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी थी. इसके बाद उपभोक्ता फोरम और लखनऊ उच्च न्यायालय में भी किसान की याचिका खारिज हो गई थी. विवाद खत्म न होता देख मामले को संज्ञान में लेकर गन्ना आयुक्त ने उप गन्ना आयुक्त को मामले के निपटारे के लिए आर्बिट्रेटर नियुक्त किया था. इस पर आर्बिट्रेटर ने गुण दोष के आधार पर भुगतान न करने का दिया आदेश दिया था, जिसके बाद किसान रामतेज वर्मा को ही दोषी करार दे दिया गया था.