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कोरोना का खतरा: नहीं होगा मणि पर्वत का प्रसिद्ध सावन झूला मेला

तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए अयोध्या के प्रसिद्ध सावन झूला मेले का इस साल भी आयोजन नहीं किया जाएगा. संतों ने यहां आने वाले श्रद्धालुओं से अपील की है कि संक्रमण के खतरे से खुद का बचाव करते हुए श्रद्धालु कम से कम संख्या में अयोध्या आएं.

प्रसिद्ध सावन झूला मेला (फाइल फोटो)
प्रसिद्ध सावन झूला मेला (फाइल फोटो)
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Published : Aug 10, 2021, 2:44 PM IST

अयोध्या: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में मची तबाही के बाद भले ही वर्तमान स्थिति में इस बीमारी का कहर कम हो गया हो, लेकिन अभी भी तीसरी लहर का खतरा मंडरा रहा है. तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए अयोध्या के प्रसिद्ध सावन झूला मेले पर प्रतिबंधों का साया पड़ गया है. आम जनमानस की सुरक्षा को देखते हुए इस साल भी मणि पर्वत का प्रसिद्ध सावन झूला मेला आयोजित नहीं होगा. आपको बता दें कि प्रत्येक वर्ष मणि पर्वत पर झूलन उत्सव कार्यक्रम होने के बाद ही अयोध्या में सावन झूला मेले का मुख्य पर्व शुरू होता है. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, लेकिन बीते वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण लगाए गए लॉकडाउन के चलते यह आयोजन नहीं हो पाया था. इस वर्ष भी तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए अयोध्या के संतों ने इस कार्यक्रम को न करने का फैसला किया है.

कम संख्या में दर्शन के लिए जाएं अयोध्या

अयोध्या के संतों ने यहां आने वाले श्रद्धालुओं से अपील की है कि संक्रमण के खतरे से खुद का बचाव करते हुए श्रद्धालु कम से कम संख्या में अयोध्या आएं. मणिराम दास छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास ने कहा कि महामारी के इस दौर में भले ही संक्रमण की रफ्तार धीमी पड़ी है, लेकिन यह भयानक बीमारी खत्म नहीं हुई है इसलिए हम सभी को सावधानी बरतने की जरूरत है. श्रद्धालु मास्क और सैनिटाइजर का प्रयोग करते हुए कतारबद्ध होकर दर्शन पूजन करें. अनावश्यक भीड़ न लगाएं, जिससे इस महामारी को फैलने से रोका जा सके.

जानकारी देते दशरथ महल के महंत.

नहीं निकाली जाएगी युगल सरकार की सवारी

दशरथ महल के महंत बिंदुगद्याचार्य महंत देवेंद्र प्रसादाचार्य ने कहा कि प्रत्येक वर्ष अयोध्या के मंदिरों में विराजमान रामलला सरकार की शोभायात्रा निकालकर मणि पर्वत पर झूलन उत्सव कार्यक्रम आयोजित होता है. जिसके बाद ही सावन झूला मेले की शुरुआत होती है, लेकिन आम जनमानस की सुरक्षा को देखते हुए इस वर्ष भी संतों ने यह निर्णय लिया है की मणि पर्वत का मेला आयोजित नहीं किया जाएगा, क्योंकि जीवन रहेगा तो उत्सव होते रहेंगे. हम सभी का सर्वप्रथम कर्तव्य है कि इस भयानक संक्रामक बीमारी के तीसरे हमले से खुद को बचाया जा सके, इसलिए मंदिरों में भी कोविड-19 प्रोटोकाल का पालन करते हुए दर्शन की व्यवस्था की जा रही है. श्रद्धालुओं से अपील है कि वह व्यवस्था में सहयोग दें और अपने साथ-साथ सभी का बचाव करें.

प्रसिद्ध सावन झूला मेला (फाइल फोटो)
प्रसिद्ध सावन झूला मेला (फाइल फोटो)

15 दिनों तक चलता है प्रसिद्ध सावन झूला मेला

बता दें कि राम नगरी अयोध्या में सदियों से परंपरा चली आ रही है कि सावन महीने में 15 दिनों तक प्रसिद्ध सावन झूला मेला चलता है. इस भव्य उत्सव में अयोध्या के सभी मंदिरों में भगवान रामलला झूले पर विराजमान होते हैं और देर शाम मंदिरों में गीत संगीत का कार्यक्रम भी आयोजित होता है. इस भव्य आयोजन में शामिल होने के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालु और विदेशी पर्यटक भी अयोध्या पहुंचते हैं, लेकिन बीते 2 वर्षों से कोरोना के खतरे के कारण इस आयोजन पर ग्रहण लगा हुआ है. इस बार भी तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए इस आयोजन को पूरी सावधानी के साथ आयोजित करने के लिए संतों ने व्यवस्था की है.

प्रसिद्ध सावन झूला मेला (फाइल फोटो)
प्रसिद्ध सावन झूला मेला (फाइल फोटो)

अयोध्या: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में मची तबाही के बाद भले ही वर्तमान स्थिति में इस बीमारी का कहर कम हो गया हो, लेकिन अभी भी तीसरी लहर का खतरा मंडरा रहा है. तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए अयोध्या के प्रसिद्ध सावन झूला मेले पर प्रतिबंधों का साया पड़ गया है. आम जनमानस की सुरक्षा को देखते हुए इस साल भी मणि पर्वत का प्रसिद्ध सावन झूला मेला आयोजित नहीं होगा. आपको बता दें कि प्रत्येक वर्ष मणि पर्वत पर झूलन उत्सव कार्यक्रम होने के बाद ही अयोध्या में सावन झूला मेले का मुख्य पर्व शुरू होता है. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, लेकिन बीते वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण लगाए गए लॉकडाउन के चलते यह आयोजन नहीं हो पाया था. इस वर्ष भी तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए अयोध्या के संतों ने इस कार्यक्रम को न करने का फैसला किया है.

कम संख्या में दर्शन के लिए जाएं अयोध्या

अयोध्या के संतों ने यहां आने वाले श्रद्धालुओं से अपील की है कि संक्रमण के खतरे से खुद का बचाव करते हुए श्रद्धालु कम से कम संख्या में अयोध्या आएं. मणिराम दास छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास ने कहा कि महामारी के इस दौर में भले ही संक्रमण की रफ्तार धीमी पड़ी है, लेकिन यह भयानक बीमारी खत्म नहीं हुई है इसलिए हम सभी को सावधानी बरतने की जरूरत है. श्रद्धालु मास्क और सैनिटाइजर का प्रयोग करते हुए कतारबद्ध होकर दर्शन पूजन करें. अनावश्यक भीड़ न लगाएं, जिससे इस महामारी को फैलने से रोका जा सके.

जानकारी देते दशरथ महल के महंत.

नहीं निकाली जाएगी युगल सरकार की सवारी

दशरथ महल के महंत बिंदुगद्याचार्य महंत देवेंद्र प्रसादाचार्य ने कहा कि प्रत्येक वर्ष अयोध्या के मंदिरों में विराजमान रामलला सरकार की शोभायात्रा निकालकर मणि पर्वत पर झूलन उत्सव कार्यक्रम आयोजित होता है. जिसके बाद ही सावन झूला मेले की शुरुआत होती है, लेकिन आम जनमानस की सुरक्षा को देखते हुए इस वर्ष भी संतों ने यह निर्णय लिया है की मणि पर्वत का मेला आयोजित नहीं किया जाएगा, क्योंकि जीवन रहेगा तो उत्सव होते रहेंगे. हम सभी का सर्वप्रथम कर्तव्य है कि इस भयानक संक्रामक बीमारी के तीसरे हमले से खुद को बचाया जा सके, इसलिए मंदिरों में भी कोविड-19 प्रोटोकाल का पालन करते हुए दर्शन की व्यवस्था की जा रही है. श्रद्धालुओं से अपील है कि वह व्यवस्था में सहयोग दें और अपने साथ-साथ सभी का बचाव करें.

प्रसिद्ध सावन झूला मेला (फाइल फोटो)
प्रसिद्ध सावन झूला मेला (फाइल फोटो)

15 दिनों तक चलता है प्रसिद्ध सावन झूला मेला

बता दें कि राम नगरी अयोध्या में सदियों से परंपरा चली आ रही है कि सावन महीने में 15 दिनों तक प्रसिद्ध सावन झूला मेला चलता है. इस भव्य उत्सव में अयोध्या के सभी मंदिरों में भगवान रामलला झूले पर विराजमान होते हैं और देर शाम मंदिरों में गीत संगीत का कार्यक्रम भी आयोजित होता है. इस भव्य आयोजन में शामिल होने के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालु और विदेशी पर्यटक भी अयोध्या पहुंचते हैं, लेकिन बीते 2 वर्षों से कोरोना के खतरे के कारण इस आयोजन पर ग्रहण लगा हुआ है. इस बार भी तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए इस आयोजन को पूरी सावधानी के साथ आयोजित करने के लिए संतों ने व्यवस्था की है.

प्रसिद्ध सावन झूला मेला (फाइल फोटो)
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