अयोध्या: सूर्य ग्रहण के बाद नवीन वस्त्र धारण कर रामलला श्रद्धालुओं को दर्शन दे रहे हैं. रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का कहना है कि ग्रहण के बाद संपूर्ण वातावरण मलिन हो जाता है. विग्रहों को स्नान कराने के साथ मंदिर परिसर की धुलाई की गई, जिसके बाद अब श्रद्धालुओं को रामलला का दर्शन उपलब्ध हो पा रहा है.
सूर्य ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले सूतक लग गया था. ऐसे में रामनगरी के सभी मंदिरों के पट बंद कर दिए गए थे. करीब 3 घंटे का पूर्ण सूर्य ग्रहण जब समाप्त हुआ तो 2 बजे के बाद मंदिरों की धुलाई शुरू की गई. इसके साथ ही रामनगरी के सभी मंदिरों में स्थापित विग्रहों को पवित्र जल से स्नान कराया गया, जिसके बाद श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए मंदिरों को खोल दिया गया.
ग्रहण के मोक्ष के स्नान के चलते बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. पवित्र सरोवर में डुबकी लगाने के बाद श्रद्धालुओं ने मंदिरों में दर्शन किए. श्रद्धालुओं की संभावित भीड़ को देखते हुए प्रशासन संक्रमण से नियंत्रण के लिए पूरी तरह सतर्क दिखा. लोगों को सीमित संख्या के साथ मंदिरों के क्रम से दर्शन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई. इस दौरान सभी प्रमुख मंदिरों के आसपास सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता प्रबंध किए गए.
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रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि ग्रहण के दौरान दूषित किरणों के प्रभाव से पूरा वातावरण मलिन हो जाता है. ऐसे में मंदिरों की जल से धुलाई महत्वपूर्ण होती है. उन्होंने बताया कि दोपहर 2 बजे ग्रहण समाप्त होने के बाद रामलला के गर्भगृह की धुलाई कर मूर्तियों का स्नान कराया गया. नवीन वस्त्र धारण कराने के बाद श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए मंदिर को खोला गया.